यमुनानगर में देश के सबसे ऊंचे Ashoka Chakra पर स्थापित हुआ अष्टमंगल छत्र, देखिए मनमोहक तस्वीरें

बोद्धिस्ट फोरम ने ही यहां पर 30 फीट ऊंचे छह टन भारी सुनहरे रंग का अशोक चक्र स्थापित करवाया था। केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रीजजू ने इसका उद्घाटन किया था। वर्ष 2019 में देश का सबसे बड़ा अशोक चक्र होने का रिकार्ड लिम्का बुक में दर्ज हुआ।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Mon, 01 Nov 2021 08:04 PM (IST) Updated:Mon, 01 Nov 2021 08:04 PM (IST)
यमुनानगर में देश के सबसे ऊंचे Ashoka Chakra पर स्थापित हुआ अष्टमंगल छत्र, देखिए मनमोहक तस्वीरें
टोपरा कलां गांव में अशोक चक्र पर स्थापित किया गया अष्टमंगल छत्र।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार का केंद्र रहे टोपरा कलां गांव में देश के सबसे ऊंचे अशोक चक्र पर सोमवार को अष्टमंगलछत्र स्थापित कर दिया गया। करीब इसका डिजाइन सारनाथ व सांची के स्तूप के छत्र की तरह का है। 65 फीट ऊंचा यह छत्र लगने से अशोक चक्र और भी मनमोहक व एतिहासिक लग रहा है। दा बोद्धिस्ट फोरम के अध्यक्ष एनआरआइ सत्यदीप गौरी व उप प्रधान सिद्धार्थ गौरी का कहना है कि यह देश का सबसे बड़ा अष्टमंगल छत्र है। इसमें आठ सिंबल जिसमें मछली का जोड़ा, रस्सी का गुच्छा, चक्र, शंख, कलश, कमल, ध्वज, छत्र शामिल हैं। प्राचीन समय में राजा या महापुरुष के सम्मान में इस तरह के छत्र का प्रयोग हुआ करते थे।

लिम्का बुक में दर्ज है नाम 

फोरम ने ही यहां पर 30 फीट ऊंचे छह टन भारी सुनहरे रंग का अशोक चक्र स्थापित करवाया था। केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रीजजू ने इसका उद्घाटन किया था। वर्ष 2019 में देश का सबसे बड़ा अशोक चक्र होने का रिकार्ड लिम्का बुक में दर्ज हुआ। अब अष्टमंगल छत्र लगने से एक और रिकार्ड बना है।

यह है इतिहास

बौद्धिस्ट फोरम के अध्यक्ष सिद्धार्थ गौरी ने बताया कि अशोक स्तंभ 2300 साल पहले गांव टोपरा कलां में स्थापित किया था। तारीख-ए-फिरोजशाही पुस्तक में इसका वर्णन है। 1453 में फिरोजशाह तुगलक जब टोपरा कलां में शिकार के लिए आया तो उसकी नजर स्तंभ पर पड़ी। पहले वह इसको तोड़ना चाहता था, लेकिन बाद में इसेदिल्ली लेकर गया। यमुना नदी के रास्ते स्तंभ को दिल्ली ले जाने के लिए बड़ी नाव तैयार की गई। स्तंभ पर कोई खरोंच न पड़े इसके लिए उसे रेशम व रुई में लपेटा गया था।

टोपरा से यमुना नदी तक ले जाने के लिए 42 पहियों की गाड़ी तैयार की गई थी, जिसे आठ हजार लोगों ने खींचा था। 18वीं शताब्दी में सबसे पहले एलेग्जेंडर कर्निंघम ने साबित किया था कि यह स्तंभ टोपरा कलां से लाया गया है। उसके सहकर्मी पहली बार ब्राह्मी लिपि में लिखे संदेश को पढ़ा था। आदिबद्री, चुनेटी, अग्रोहा, असंध, रोहतक, खोसराकोदस, गांव सुघ आदि स्थानों पर भगवान बुद्ध के आने के प्रमाण हैं।

65 फीट ऊंचे छत्र में लगेगी तीन डिक्स

गौरी कहते हैं कि भगवान बुद्ध ने उत्तर प्रदेश के सारनाथ में सबसे पहले उपदेश दिया था। वहां पर छत्र बना है। मध्यप्रदेश के सांची के स्तूप पर भी छत्र बना है। दोनों छत्रों को देखकर ही इस छत्र का डिजाइन तय किया गया है। इसको भी लिम्का बुक में दर्ज करवाना है। 65 फीट ऊंचे छत्र में तीन डिक्स लगेगी। अशोक चक्र के ऊपर छत्र स्थापित होगा। चक्र धर्म का प्रतीत और छत्र शुभता का प्रतीत माना जाता है। इसकी डिक्स पहली 10, दूसरी 20 व 30 फीट पर लगाए जाएगी। फाउंडेशन का काम शुरू हो गया है। कमल इंजीनियरिंग के संचालक अनिल कुमार इसको तैयार करा रहे हैं।

हमारे लिए गर्व की बात

टोपरा कला के निवर्तमान सरपंच मनीष नेहरा कहते है कि यह हमारे गांव के लिए गर्व की बात है। इससे गांव में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। पर्यटन के लिहाज से यहां पर लोगों की आवाजाही बढ़ेगी। अशोक चक्र की बदौलत गांव का नाम विदेशों तक में चमकेगा। इसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ी।आसपास के ग्रामीणों का भी सहयोग रहा। इसके साथ दा बोद्धिस्ट फोरम के प्रयासों से यह सब संभव हो पाया है।

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