हरियाणा आर्म्ड पुलिस से अंबाला को झटका, अब फोर्स बुलाने के लिए हेड क्वार्टर से लेनी पड़ेगी मंजूरी
एचएपी यानी हरियाणा आर्म्ड पुलिस छीनी जाने से अब आपातकाल स्थिति के दौरान मंजूरी के बाद ही मिलेगी। पुलिस महानिदेशक कार्यालय की बिना अनुमति के अधिकारियों ने अंबाला से यमुनानगर एचएपी की बटालियन को भेज दिया गया था। अब इसे वापस बुला लिया गया।
अंबाला, जागरण संवाददाता। बेशक हरियाणा आर्म्ड पुलिस (एचएपी) को छीन लिया गया है। मगर आपातकाल के दौरान इस फोर्स को मंगवाना पड़ा करेगा, जबकि यह फोर्स पहले से ही जिला में तैनात थी। हालांकि अंबाला पुलिस के कर्मचारियों की संख्या करीब 1800 है। लेकिन बड़े धरने, प्रदर्शन या फिर बड़ी आपातकाल स्थिति के दौरान एचएपी को स्पेशल बुलाना पड़ा करेगा। इसके लिए हेड क्वार्टर से मंजूरी भी लेनी पड़ेगी। उसके बाद ही फोर्स को भेजा जाएगा।
अंबाला में थी दो एचएपी कंपनियां
बता दें अंबाला पुलिस को दो अतिरिक्त एचएपी कंपनियां दे रखी थी। किसान आंदोलन, सीमा या किसी कार्यक्रम में काेई खलल न डाले, इसके लिए एसपी कार्यालय से ही एचएपी को दो कंपनियों की ड्यूटी लगाई जा गई थी। इस कंपनी को आपातकाल स्थिति से निपटने के लिए डीजीपी कार्यालय से अनुमति मिलने के बाद ही फोर्स को उस स्थान पर भेजा जाता है। लेकिन अंबाला में इस कंपनी की आवश्यकता किसान आंदोलन के दौरान शंभू बॉर्डर पर पड़ चुकी है।
अंबाला में थे करीब 85 जवान
अंबाला पुलिस के साथ-साथ यहां दो एचएपी कंपनियां थी जिनमें 85 जवान थे। कंपनी काफी समय तक यहां रही। जिनका संचालन एसपी आफिस से होता था। यहां बता दें स्पेशल फोर्स के जाने से पुलिस की ताकत पर भी इसका असर पड़ेगा। चूंकि ज्यादातर पुलिस जवान थाना व एसपी आफिस में तैनात है इसलिए कई बार आपातकाल स्थिति के दौरान इनकी संख्या कम पड़ जाती है। ऐसे में एचएपी फोर्स को बुलाना पड़ता है।
इस तरह से मामला सामने आया
दरअसल, जब कांस्टेबल राजेश ने यमुनानगर में आत्महत्या कर ली थी। शुक्रवार सुबह राजेश का कोई अता-पता नहीं था। कर्मचारी उसकी तलाश करते हुए हाल में पहुंचे तो राजेश फंदे से लटका मिला था। मृतक राजेश 2018-19 में पुलिस में भर्ती हुआ था जो जींद का रहने वाल था।