APJ Abdul Kalam Death Anniversary: दो बार धर्मनगरी आए थे पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम, गाउन परंपरा को लेकर कही थी बड़ी बात
पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम दो बाद धर्मनगरी कुरुक्षेत्र आए थे। यहां पर एनआइटी में गाउन परंपरा को खत्म करने की बात कही थी। साल 2007 में कुवि में किया था प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा का अनावरण।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। गीता की जन्मस्थली और महाभारत की धरा कुरुक्षेत्र से मिसाइल मैन एवं पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम का खासा लगाव रहा। वह दो बार कुरुक्षेत्र पहुंचे और दोनों बार कुरुक्षेत्र के लोगों पर अपनी कार्यशैली की छाप छोड़ गए। साल 2007 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पहुंचे तत्कालीन राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा का अनावरण किया था।
इसके बाद गीता की जन्मस्थली ज्योतिसर पहुंच वहां के पुजारी से गीता स्थली के बारे में बारीकी से जानकारी भी ली थी। इसके बाद साल 2015 में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 12वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्यातिथि पहुंच गाउन परंपरा को बदलने की सलाह दी थी। इसके बाद साल 2018 में एनआइटी ने इसमें बदलाव किया था।
अपनी ड्रेस पहन कर लेनी चाहिए डिग्री
26 मार्च 2015 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 12वें दीक्षांत समारोह में पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा कि दीक्षांत समारोह में पहना जाने वाला गाउन अंग्रेजों की निशानी है। इसे बदल देना चाहिए। उन्हें डिग्री लेने के लिए अपनी ड्रेस में आना चाहिए। उन्होंने कहा था कि एनआइटी की अपनी ड्रेस होनी चाहिए। इसके बाद साल 2018 से एनआइटी में छात्रों के लिए सफेद शर्ट और छात्राओं के लिए क्रीम कलर की साड़ी का पहनावा निर्धारित किया गया था।
कुवि में प्रथम राष्ट्रपति की प्रतिमा का किया था अनावरण
इससे पहले साल 2007 में वह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पहुंचे थे। इस मौके पर उन्होंने प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा का अनावरण भी किया था। उन्हें प्रथम राष्ट्रपति की प्रतिमा इतनी आकर्षक लगी थी उन्होंने मूर्तिकार रामसुतार के हाथ चूम लिए थे। उनकी इस कार्यशैली ने सभी को अपनेपन का अहसास कराया। कुवि लोक संपर्क विभाग के निदेशक डा. ब्रजेश साहनी ने बताया कि वह अपनी कार्यशैली से सभी को अपना बना लेते थे। दीक्षांत समारोह में उन्होंने युवा पीढ़ी को कर्म के महत्व के बारे बताया और कहा की मनुष्य को अपना कर्म करना चाहिए। इसी समारोह के बाद वह गीता स्थली में ज्योतिसर तीर्थ पर भी गए थे। वहां पर उन्होंने पुजारी से कुरुक्षेत्र के महत्व के बारे में बारीकी से जानकारी ली।