Agriculture news: धान में एक और रोग का प्रकोप, जल्द पहचान कर पाएं निदान, उत्पादन पर पड़ेगा असर
बारिश के बाद अब धान को रोगों से बचाना किसानों के लिए चुनौती है। हल्दी रोग धान की उत्पादकता पर असर डाल रहा है। ऐसे में किसान को सचेत रहना होगा। ये बीमारी एक पौधे से दूसरे पौधे तक फैलती जाती है।
कैथल, [सोनू थुआ]। खरीफ की मुख्य फसल धान है। इन दिनों धान की बालियां फूट रही हैं। जिसमें मुख्य रूप से हल्दी रोग लगने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। जिसको लेकर किसानों को सतर्क रहने के साथ फसल को इस रोग से सुरक्षित करना चाहिए, नहीं तो उत्पादन प्रभावित हो सकता है। ये बीमारी एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलती है। नाइट्रोजन की अधिक मात्रा भी इस बीमारी की तीव्रता का कारण है। बे मौसमी बारिश की वजह से वातावरण में अधिक नमी होने के कारण रोग होने की संभावना रहती है। 50 प्रतिशत बालियां निकलने पर दवाइयों से उपचार करें। पूरी फसल पकने के समय दवाइयों का छिड़काव न करें। कटाई दोपहर के समय ही करें। ताकि रोग का प्रभाव स्वस्थ धाने पर न पड़े। वहीं दूसरे धाने पर लगने से मार्केट वेल्यू कम होगी। खंड कृषि अधिकारी जगबीर लांबा ने बताया कि धान की फसल में हल्दी गांठ रोग फूल आने पर और बालियां पकते समय अधिक दिखता है। इस रोग से बालियों पर छोटे, नारंगी धब्बे पड़ जाते है और दानों में पीले और काले रंग का पाउडर दिखने लगता है। दानों को छूने पर पाउडर हाथ में लग जाता है और वजन घट जाता है।
ऐसे करें बचाव
500 ग्राम कापर हाइड्रोआक्साइड 46 डीएफ या 400 मिलीलीटर पिकोकसीसट्रोबिन तथा प्रोपीकोनजोल को 200 लीटर पानी के घोल में छिड़काव कर देना चाहिए। जरूरत से अधिक छिड़काव न करें। दवाओं का छिड़काव सुबह धूप निकलने से पहले या शाम के समय करें।
रोग के बाद फसल में झाड़ मिलता है कम
इस रोग की चपेट में आने से फसलों में झाड़ कम मिल पाएगा। इस बीमारी के बाद दाना बनने की प्रक्रिया पर असर हो सकता है। बिना अधिकारियों की सलाह के दवाई छिड़काव न करें। इसका नुकसान होने का अधिक संभावना बनी रहती है। कृषि विभाग के अधिकारियों को सूचित करें। उनके सुझाव पर ही दवाई का छिड़काव करें