कुरुक्षेत्र में मिला प्राचीन घाट और पांव के निशान, जानिए क्यों मां सरस्वती से जुड़ा है इसका रहस्य
कुरुक्षेत्र के धनीरामपुरा में सरस्वती के किनारे प्राचीन घाट मिला है। यहां के क्षेत्र में तीन नदियों के संगम का उल्लेख है। वहीं बताया जा रहा है कि ये घाट 14 हजार वर्ष पुराना हो सकता है। इस घाट के पास पांव के निशान भी मिले हैं।
कुरुक्षेत्र, [जगमहेंद्र सरोहा]। गीता की नगरी कुरुक्षेत्र में सरस्वती किनारे पिहोवा के गांव धनीरामपुरा में एक प्राचीन घाट मिला है। इसके साथ यहां पांव के निशान भी मिले हैं। ऐसा माना गया है कि ये पांव सरस्वती मां के हैं। दावा किया गया है कि पुराणों में यहां अरुणा, वरुणा और सरस्वती नदी का संगम था। घाट की वास्तविकता जानने के लिए पुरातत्व विभाग का सहयोग लिया जाएगा। विशेषज्ञों ने प्रथम दृष्टया में घाट 14 हजार वर्ष पुराना होने की बात कही है।
हरियाणा सरस्वती हेरिटेज विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच मंगलवार को सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे। उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ घाट का दौरा किया। यहां काफी पुरानी ईंटें मिली हैं। एक हिस्से में खोदाई करने पर घाट की पौड़ी मिली हैं। इसी के साथ पेड़ों के बीच में पांव के निशान मिले हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि ये पांव सरस्वती मां के हैं। स्थानीय लोगों के दावे पुरातत्व विभाग के सर्वे में सही पाए जाते हैं तो धर्मनगरी में सरस्वती के साथ पुराने घाट की भी मान्यता शामिल हो जाएगी।
विकल कुमार चौबे ने बताया कि सरस्वती नदी किनारे पुराना घाट बताया गया था। उत्सुकता के चलते इसे देखा तो सब सच पाया गया। अरुणाय मंदिर के प्रबंधक भूषण गौतम ने बताया कि 1995-96 में यहां पर बगलामुखी मंदिर बनाने का प्रयास किया था। महंत बंसीपुरी महाराज ने प्रारंभिक खोदाई में घाट मिलने पर काम बंद करवा दिया था। इसके बाद मंदिर दूसरे स्थान पर बनाया गया। इस तरफ कोई नहीं आता था।
सरस्वती के किनारे पुराना इतिहास
सेंटर आफ एक्सीलेंस फार रिसर्च आन सरस्वती नदी के निदेशक प्रो. एआर चौधरी ने बताया कि सरस्वती की कई धाराएं कुरुक्षेत्र की धरती में बहती थीं। अरुणाय मंदिर के नजदीक तीन धाराएं मिलने की बात सामने आ चुकी हैं। यह काफी पौराणिक विषय है। सरस्वती नदी के किनारे पुरातत्व विभाग से भी जांच कराई थी। भद्रकाली मंदिर के नजदीक भी एक घाट मिला है। पुरातत्व विभाग ने इसे छह हजार साल पुराना बताया है। ऐसा माना गया है कि यहां से उस वक्त सरस्वती नदी बहती थी। इससे आगे भोर सैयदां गांव के नजदीक कुछ गहराई तक गए तो यहां 14 हजार साल पुराना इतिहास मिला है। अरुणाय मंदिर के पास घाट भी इतना या इससे भी पहले का हो सकता है।
पुरात्व विभाग को लिखेंगे पत्र
हरियाणा सरस्वती हैरीटेज बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन ङ्क्षसह किरमच ने बताया कि धनीरामपुरा गांव में अरुणाय मंदिर की जगह में एक पुराना घाट और इसके नजदीक पांव के निशान मिले हैं। ईटों को देखकर काफी प्राचीन घाट नजर आ रहा है। इसके लिए पुरातत्व विभाग को पत्र लिखकर खोदाई कराने की मांग की जाएगी। इसमें स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। यहां प्राचीन घाट मिलता है तो इसको पर्यटन स्थल के रूप विकसित किया जाएगा। जरूरत पडऩे पर इसमें पानी की भी व्यवस्था की जाएगी।