21 साल से है अंबाला को हाकी के लिए एस्ट्रोटर्फ का इंतजार, कैंट में मैदान तक नहीं
साल 2005 में कैंट के वार हीरोज मेमोरियल स्टेडियम में मंजूर हुआ था हाकी के लिए एस्ट्रोटर्फ लेकिन अभी तक बन नहीं पाया है। अंबाला कैंट में हाकी मैदान के लिए तरस रहे हैं खिलाड़ी उधार के मैदानों पर करनी पड़ती है प्रेक्टिस।
अंबाला, जागरण संवाददाता। अंबाला में हाकी खेल के लिए एस्ट्रोटर्फ का इंतजार करीब 21 साल से है। कभी अंबाला कैंट के वार हीरोज मेमोरियल स्टेडियम में एस्ट्रोटर्फ मंजूर हुआ था, लेकिन इसे शाहाबाद में शिफ्ट कर दिया गया। इसी एस्ट्रोटर्फ पर खेलकर भारतीय महिला हाकी टीम में कई खिलाड़ियों ने जगह बनाई है। अब हाकी एसोसिएशन एस्ट्रोटर्फ की मांग कर रही है, लेकिन यह अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। इतना ही नहीं कैंट के लिए हाकी मैदान नहीं है, जबकि उधार के मैदानों पर ही हाकी खेली जा रही है।
अंबाला कैंट के वार हीरोज स्टेडियम में साल 2005 में फुटबाल मैदान हटाकर हाकी के लिए एस्ट्रोटर्फ मंजूर किया गया था। उम्मीद थी कि यह टर्फ मिलने के बाद अंबाला में हाकी के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाएंगे। लेकिन ऐन वक्त पर यह प्राेजेक्ट अंबाला के हाथों से छिटक गया और इसे शाहाबाद शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद से अंबाला में हाकी के लिए एस्ट्रोटर्फ का इंतजार किया जा रहा है।
आलम यह है कि उधार के मैदानों पर खिलाड़ियों को प्रेक्टिस करनी पड़ रही है। दूसरी ओर कैंट के लिए स्थिति यह है कि हाकी मैदान ही नहीं है। चार जगहों को खेल विभाग ने फाइनल किया था, लेकिन यह सिरे नहीं चढ़ पाया। इसके साथ ही बोह के सरकारी स्कूल में हाकी मैदान के लिए करीब 25 लाख रुपये मंजूर किए गए, लेकिन यह काम भी अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। हाकी एसोसिएशन मांग कर रही है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर को देखते हुए अंबाला में एस्ट्रोटर्फ दिया जाए ताकि अंबाला से बेहतरीन खिलाड़ी निकल सकें। कैंट का एकमात्र हाकी मैदान फरुखा खालसा स्कूल में था, जो स्टेडियम के अपग्रेडेशन में खत्म हो गया।