अंबाला की चेतना बनी ब्रह्माकुमारी, ग्रेजुएट तक की है पढ़ाई, माता-पिता ने कही ये बात
चेतना करनाल के गांव सटौंडी गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने कला संकाय से स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की है। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में कई लोगों ने ब्रह्माकुमारी दीक्षा ली है। उनके ताया दादी आदि भी ब्रह्माकुमारी आश्रम से जुड़े हैं।
बराड़ा (अंबाला), संवाद सहयोगी। करनाल के गांव सटौंडी की रहने वाली चेतना ने बराड़ा में हुए कार्यक्रम में जहां भगवान शिव को अपना पति स्वीकार कर लिया, वहीं उन्होंने ब्रह्माकुमारी मिशन में दीक्षा ली। इस दौरान चेतना के पिता हरिओम तथा माता सुनीता देवी ने कन्यादान किया। बहन चेतना ने इस दौरान शिव के प्रति समर्पित रहने की प्रतिज्ञा ली। उन्होंने खुद को मानवता की सेवा के लिए जीवन लगाने को कहा। ब्रह्माकुमारी विश्व शांति भवन बराड़ा के तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रह्माकुमारी पंजाब जोन की निदेशक राजयोगिनी प्रेम दीदी ने की।
बहन चेतना का समर्पण एक आलौकिक घटना
माउंट आबू राजस्थान से विशेष रुप से पधारे ब्रह्मकुमार भाई राजेश विशेष रूप से मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि बहन चेतना का समर्पण एक आलौकिक घटना है। यह एक ईश्वर की कृपा का प्रसाद है। इससे पहले परमात्मा में दृढ़ विश्वास के चलते गत 21 सितंबर 2021 को अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू स्थित शांति वन परिसर में एक भव्य समारोह के बीच बहन चेतना ने स्वयं को ईश्वर को समर्पित किया था। ब्रह्माकुमारी बहन चेतना ने शिव को अपना सच्चा साजन स्वीकार कर हर श्वास और संकल्प में केवल शिव की उपस्थिति के प्रति समर्पित रहने की प्रतिज्ञा दोहराई। कार्यक्रम में बहन चेतना द्वारा अपने स्वयंवर में शिव भोलेनाथ को परमात्मा के रूप में चुना। इस पर राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बहन उत्तरा चंडीगढ़, करनाल जोन से बहन प्रेम तथा भ्राता जय गोपाल, ब्रह्मकुमारी बहन किरण रायपुररानी तथा अंबाला जोन निर्देशिका बहन कृष्णा, बहन नीति शाहबाद, बहन शैली अंबाला, बहन सविता बराड़ा, भ्राता इंद्रजीत सिंह बराड़ा व हरज़िंदर सिंह आदि चेतना को बधाई दी। कार्यक्रम में पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा उत्तरांचल से काफी संख्या में ब्रह्माकुमारी मिशन के सेवक मौजूद रहे।
अंबाला के बराड़ा में हुए समर्पण कार्यक्रम के दौरान बहन चेतना समर्पण कार्यक्रम के दौरान।
यह कहते हैं माता-पिता
समर्पण कार्यक्रम के दौरान चेतना के पिता हरिओम व मां सुनीता देवी भी मौजूद रहीं। बहन चेतना को दुल्हन के रूप में तैयार किया गया, जबकि भगवान शिव के प्रति उन्होंने खुद को समर्पित कर दिया। माता-पिता ने कन्यादान किया और अपनी बेटी का हाथ शिव बाबा को देकर कन्यादान की रस्म निभाईं। उन्होंने कहा कि यह चेतना का निर्णय था, जिसे हमने सहर्ष स्वीकार किया।
अब परिवार और सांसारिक कार्यों से दूरी
ब्रह्माकुमारी की दीक्षा लेने के बाद अब चेतना आश्रम में ही रहेंगी। यहीं पर अब सारा जीवन व्यतीत करेंगी। इसके अलावा खुद को भगवान के प्रति समर्पित करने के बाद लोगों की सेवा में ही उनका जीवन बीतेगा।
यह हैं चेतना
चेतना करनाल के गांव सटौंडी गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने कला संकाय से स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की है। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में कई लोगों ने ब्रह्माकुमारी दीक्षा ली है। उनके ताया, दादी आदि भी ब्रह्माकुमारी आश्रम से जुड़े हैं। यह कहना गलत न होगा कि हर पीढ़ी से कोई न कोई दीक्षा हासिल कर रहा है। अब चेतना ने दीक्षा हासिल की है। उन्होंने बताया कि इस निर्णय में उनके स्वजनों ने पूरा सहयोग किया है।