Amazing Idea: कैथल के किसान ने पराली को बनाया आय का जरिया, बचा रहे पर्यावरण, हो रहे मालामाल
पराली जलाने से पर्यावरण नुकसान को लेकर अब किसान गंभीर हो रहे हैं। कृषि यंत्र बेलर को किसानों ने फसल अवशेष प्रबंधन के साथ आय का जरिया बनाया। अब किसान लाखों रुपये भी कमा रहे हैं। साथ ही मिट्टी की उर्वरता शक्ति को बढ़ाने के साथ बचा रहा है पर्यावरण।
कैथल, जागरण संवाददाता। कैथल के किसानों ने बेलर को फसल अवशेष प्रबंधन के साथ आय का जरिया बना लिया है। किसानों का कहना है कि खेती के साथ- साथ फसल अवशेष प्रबंधन के लिए बेलर कारगार साबित हो रहा है। एक बेलर से 10 लाख रुपये तक की सीजन में आमदनी हो जाती है। पहले रोटरी स्लैशर से फसल अवशेषों को लाइन में लगाते हैं और बेलर से उसकी गांठे बनाते हैं। प्रति एकड़ 20 क्विंटल तक पराली निकलती है। करीब 135 रुपये प्रति क्विंटल बिक जाती है। पराली की गांठों का बहुत मांग है। इसे फैक्ट्रियों में प्रयोग किया जाता है।
गांव कुलतारण के किसान अमित कुमार 2017 से धान के फसल अवशेष का प्रबंधन कर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा रहे हैं। वे बताते है कि शुरूआत में एक बेलर से काम शुरू किया था, अच्छी आमदनी हुई थी। अब पांच बेलर उनके पास है। अब तक पांच साल में उन्होंने 40 लाख रुपये के करीब आमदनी कर ली है। बेलर से कमाई कर चार के करीब ट्रैक्टर खरीद चुके हैं। उनका कहना है कि इससे आय में भी वृद्धि होती है और प्रदूषण भी नहीं होता। किसानों को फसल अवशेष खत्म करने का विकल्प मिल गया है। विकल्प के तौर पर किसानों के पास बेलर मशीन है जो खेत में पड़ी पराली के बंडल बनाती है, वहीं दूसरी ओर चौंपर मशीन है जो पराली को काटकर खेत में बिखेर देती है। चार हजार एकड़ के करीब प्रबंधन कर चुके है।
गांव नरड़ के किसान रमेश कुमार 2018 से बेलर मशीन को खरीदकर पर्यावरण संरक्षण के प्रहरी बने हुए है। वे बताते है कि खेतीबाड़ी में नुकसान हो रहा था, तो खेती के साथ- साथ कुछ अलग करने की सोची। उन्होंने बेलर खरीदा पहली साल 10 लाख रुपये की आमदनी हुई। अब तक 1900 एकड़ के करीब पराली का प्रबंधन कर चुके है। 19 लाख रुपये की कमाई हुई है। फसल अवशेष प्रबंधन अतिरिक्त आय का साधन बन गया है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से पराली प्रबंधन के लिए किसानों को जागरूक करने के साथ फसल अवशेष को आय का साधन बनाया गया है। कृषि विभाग किसानों को 50 से 80 फीसद अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध करा रहा है। इसके अलावा कस्टम हायरिंग सेंटर से उचित किराये पर अवशेष के प्रबंधन के लिए यंत्र उपलब्ध हैं।
कर्मचंद, कृषि उपनिदेशक कैथल