Narendra Giri: साढ़े चार वर्ष पहले आदिबद्री में आए थे स्वामी नरेंद्र गिरी, बोले थे यहां आकर मन को मिली शांति
आखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरी यमुनानगर के आदिबद्री में भी आए थे। उन्होंने सरस्वती उद्गम स्थल के पवित्र जल का का आचमन किया था। उन्होंने कहा था कि यहां पर आकर मन को काफी शांति मिलती है।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरी करीब साढ़े चार साल पहले आदिबद्री में साधु संतों के साथ पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने श्री आदिबद्री नारायण मंदिर में पूजा अर्चना की थी और श्री केदारनाथ मंदिर में जलाभिषेक किया था। इसके साथ ही उन्होंने सरस्वती उद्गम स्थल के पवित्र जल का आचमन भी किया था। आदिबद्री स्थित श्री केदारनाथ मंदिर के पुजारी राजेश्वर शास्त्री ने बताया कि स्वामी नरेंद्र गिरी के निधन से उन्हेंं गहरा दुख है। उनके अचानक हुए निधन ने संपूर्ण संत समाज सदमे में है। उन्होंने बताया कि स्वामी नरेंद्र गिरी जी जब आदिबद्री में आए थे तो वह यहां की शांत जगह व हरियाली को देखकर बहुत प्रभावित हुए थे।
उन्होंने कहा था कि यह देवों की धरती है क्योंकि जहां शांति व एकांत होता है, वहीं पर देवों का वास होता है। आदिबद्री का वर्णन हमारे वेदों, ग्रंथों में भी है। यहां से निकलने वाली सरस्वती की धारा देश के कई राज्यों से होकर पृथ्वी के भीतर बहती है। वह दिन जल्द आएगा जब सरस्वती पहले की तरह अपने जल से हर किसी को तर कर देगी। उन्होंने कहा था कि वह भले ही यहां कुछ देर के लिए रुके हो लेकिन इतने में ही उनके मन को यहां बहुत ज्यादा शांति मिली है। वह जब भी इस क्षेत्र में आएंगे तो आदिबद्री में जरूर दर्शन करने के लिए आएंगे।
गोशाला में की थी गो सेवा
आदिबद्री के महंत विनय स्वरूप ब्रह्मचारी ने बताया कि स्वामी नरेंद्र गिरी ने यहां स्थित गोशाला में गो सेवा भी की थी। उन्होंने कहा था कि इस स्थल पर हमारे मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है। इस स्थल का अपने आप में ही बड़ा विशेष महत्व है।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और प्रयागराज स्थित मठ बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरी का शव सोमवार को पंखे में फंदे से लटकता मिला। कमरे से सात पेज का सुसाइड नोट भी पुलिस को बरामद हुआ है। इस सुसाइड नोट में शिष्यों पर कई आरोप लगाए गए हैं। इसमें से एक नाम आनंद गिरी का भी है।