ट्रेकोमा का सर्वे करने चार अक्टूबर को पानीपत पहुंचेगी एम्स की टीम

ट्रेकोमा (आंख की बीमारी) का सर्वे करने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली की टीम रविवार चार अक्टूबर को पानीपत पहुंचेगी। यह टीम सर्वे कर रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को सौंपेगी। सर्वे में करनाल जींद कैथल को भी शामिल किया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 08:00 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 08:00 PM (IST)
ट्रेकोमा का सर्वे करने चार अक्टूबर को पानीपत पहुंचेगी एम्स की टीम
ट्रेकोमा का सर्वे करने चार अक्टूबर को पानीपत पहुंचेगी एम्स की टीम

जागरण संवाददाता, पानीपत : ट्रेकोमा (आंख की बीमारी) का सर्वे करने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली की टीम रविवार चार अक्टूबर को पानीपत पहुंचेगी। यह टीम सर्वे कर रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को सौंपेगी। सर्वे में करनाल, जींद, कैथल को भी शामिल किया गया है।

डिप्टी सिविल सर्जन डा. शशि गर्ग ने जागरण को यह जानकारी दी है।उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ट्रेकोमा को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। केंद्र सरकार ने एम्स दिल्ली को यह जिम्मेदारी सौंपी है। पानीपत में तीन क्लस्टर बनाए जाएंगे। प्रत्येक कलस्टर में 35 घरों को शामिल किया जाएगा। टीमें क्लस्टरों में जाकर आशंकित मरीज की जांच करेंगी, उसी समय दवाई भी देगी। उन्होंने बताया कि 1960-70 के दशक में ट्रेकोमा के चलते देश में ज्यादा लोग अंधेपन से पीड़ित होते थे। हरियाणा सहित उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, गुजरात व दिल्ली में अंधेपन से पीड़ित 50 फीसद लोगों में अंधेपन का कारण ट्रेकोमा था।

राष्ट्रीय अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम का नाम भी पहले ट्रेकोमा नियंत्रण कार्यक्रम था। डा. गर्ग के मुताबिक सर्वे का नेतृत्व एम्स स्थित आरपी सेंटर के डा. अमित भारद्वाज करेंगे। यह होता है ट्रेकोमा

यह आंखों का संक्रामक रोग है। गंदगी वाले वातावरण में रहने वालों को क्लेमाइडिया ट्रेकोमेटीस नामक बैक्टीरिया से ट्रेकोमा होता है। पलकों में बार-बार संक्रमण से ऊपर की पलक पर एक परत बन जाती है। परत मोटी होने पर अंदर की ओर मुड़ जाती हैं। कार्निया से बार-बार घर्षण होता है, इससे कार्निया में सफेदी आ जाती है। एक से दूसरे तक फैलता है रोग

ट्रेकोमा बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति की आंख, नाक-गले से निकलने वाले डिस्चार्ज के फैलने के कारण होता है।संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने, उसके कपड़े या निजी चीजें शेयर करने और संपर्क में आने पर बैक्टीरिया दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंचते हैं। 2017 में ट्रेकोमा मुक्त हुआ भारत

सिविल अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. केतन भारद्वाज ने बताया कि जिला में ट्रेकोमा केस शून्य हैं। वर्ष-2017 में भारत ट्रेकोमा मुक्त भी हो चुका है। ट्रेकोमा संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए मरीज की ही नहीं, पूरे परिवार के लिए समुचित कदम उठाने की योजना बनाई जाती है।

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