करनाल के डीसी बोले- किसानों से टकराव नहीं चाहते, लेकिन बिना जांच एसडीएम को नहीं कर सकते सस्‍पेंड

Farmers Protest करनाल में किसानों के आंदोलन के बीच प्रशासन से हुई वार्ता विफल रही। इसके बाद करनाल के डीसी ने पूरे मामले पर प्रशासन का पक्ष रखा। उन्‍होंने कहा कि प्रशासन किसानों से टकराव नहीं चाहता लेकिन एसडीएम को बिना जांच के सस्‍पेंड नहीं किया जा सकता है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 09:57 PM (IST) Updated:Tue, 07 Sep 2021 09:57 PM (IST)
करनाल के डीसी बोले- किसानों से टकराव नहीं चाहते, लेकिन बिना जांच एसडीएम को नहीं कर सकते सस्‍पेंड
करनाल के डीसी निशांत यादव और करनाल लघु सचिवालय के बाहर प्रदर्शन करते किसान।

जागरण संवाददाता, करनाल।  आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधिमंडल और प्रशासन के बीच हुई बातचीत बेनतीजा रहने के बाद प्रशासन का पक्ष भी सामने आ गया है। करनाल के जिला उपायुक्त निशांत यादव ने कहा कि प्रशासन किसानों के साथ टकराव नहीं चाहता, लेकिन एसडीएम को बिना जांच सस्‍पेंड नहीं किया जा सकता है। उनके खिलाफ जांच चल रही है और इसके नतीजे के बाद ही कोई कदम उठाया जा सकता है।

जिला सचिवालय में किसानों के प्रतिनिधिमंडल की बातचीत के बाद प्रशासन का पक्ष आया सामने

डीसी यादव ने कहा कि हम मामले का शांतिपूर्ण ढंग से बातचीत के माध्यम से हल निकालना चाहते हैं लेकिन किसान नेता तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के गैरकानूनी रूप से सस्पेंड करने पर अडिग रहे। किसी भी अधिकारी को बिना जांच के निलंबित नहीं किया जा सकता और तत्कालीन एसडीएम के खिलाफ जांच चल रही है।

जिस नाके पर तत्कालीन एसडीएम थे, वहां नहीं हुई किसानों व पुलिस के बीच तकरार

जिला उपायुक्त ने 28 अगस्त की घटना का जिक्र करते हुए बताया कि तत्कालीन एसडीएम को रेलवे रोड पर स्थित नाका नंबर तीन पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट थे, उस नाके पर किसानों और पुलिस के बीच कोई तकरार नहीं हुई। लेकिन, एसडीएम की ओर से जो बोला जा रहा है, उनके शब्द गलत थे, जिसकी सभी ने निंदा की है, मगर

भावना गलत नहीं थी। क्योंकि, कानून व्यवस्था बनाए रखने तथा मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में व्यवधान नहीं आए, इसके लिए वह अपनी ड्यूटी निभा रहे थे।

उन्होंने बताया कि 28 अगस्त को किसान बसताड़ा टोल प्लाजा पर बड़ी संख्या में एकत्रित हो गए और राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया और नाके तोड़कर  करनाल की तरफ बढ़ने लगे। जीटी रोड पर थोड़ी देर में ही लंबा जाम लग गया। जाम को खुलवाने तथा यात्रा कर रहे लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए सड़क रोकने वाले लोगों को तितर-बितर किया गया। किसानों और पुलिस के बीच तनाव की यह घटना करनाल से करीब 10 किलोमीटर दूर बसताड़ा टोल प्लाजा की है।

कैमला की घटना भी दिलाई उपायुक्त ने याद

जिला उपायुक्त यादव ने कैमला घटना का भी जिक्र करते हुए कहा कि उस कार्यक्रम को लेकर भी किसानों से दो-तीन बार बातचीत की गई। इसमें स्थानीय किसान नेताओं ने प्रशासन को आश्वस्त किया था कि किसान संगठनों की ओर से केवल बसताड़ा टोल प्लाजा पर ही प्रदर्शन किया जाएगा। कार्यक्रम में कोई व्यावधान नहीं डाला जाएगा, इसके बावजूद भी कुछ असामाजिक लोगों द्वारा उपद्रव मचाया गया जोकि असहनीय था। उसके बावजूद भी प्रशासन ने बल का प्रयोग नहीं किया।

उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन की मंशा स्पष्ट है कि कानून व्यवस्था को भंग नहीं होने दिया जाएगा। जान-माल की हानि नहीं होने दी जाएगी। किसान निर्धारित स्थान बसताड़ा टोल प्लाजा पर शांतिपूर्ण ढंग से अपना प्रदर्शन करते रहें, प्रशासन को कोई आपत्ति नहीं है।

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