यमुनानगर में दर्दनाक हादसा, हैफेड गोदाम में खोदे गए गड्ढे में दबे दो वेल्‍डर, एक की मौत

यमुनानगर के साढौरा में दर्दनाक हादसा हो गया। हैफेड गोदाम में खोदे गए गड्ढे में दो वेल्‍डर दब गए। इसमें से एक की मौत हो गई। दोनों को किसी तरह से बाहर निकाला गया। हादसे की सूचना पुलिस को दी गई।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 10:02 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 10:02 PM (IST)
यमुनानगर में दर्दनाक हादसा, हैफेड गोदाम में खोदे गए गड्ढे में दबे दो वेल्‍डर, एक की मौत
हरियाणा के यमुनानगर के साढौरा में दर्दनाक हादसा।

पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। साढौरा के दोसड़का मार्ग पर हैफेड के गोदाम में लगाए जा रहे नलकूप के लिए खोदी गई मिट्टी की ढांग अचानक ढह गई। जिससे करीब दस फीट गहरे गड्ढे में वैल्डिंग का कार्य कर रहे दो मजदूर दब गए। हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस पहुंची। आसपास के मजदूर भी एकत्र हो गए। करीब एक घंटे बाद दोनों मजदूरों को गड्ढे से बाहर निकाला और अस्पताल में भिजवाया। जहां चिकित्सकों ने मुकेश को मृत बता दिया। अमन की हालत गंभीर बनी हुई है। समाचार लिखे जाने तक केस दर्ज नहीं हुआ।

हैफेड के गोदाम में नलकूप लगाने के लिए ठेकेदार की लेबर काम कर रही है। नलकूप लगाने के लिए दस फुट गहरा गड्ढा खोदा गया है। यहां से नीचे उतारे जा रहे पाइपों को जोड़ने के लिए बस अड्डे के पास वैल्डिंग की दुकान करने वाले मुकेश व अमन को बुलाया गया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दोनों इस गड्ढे में उतरकर वैल्डिंग का काम कर रहे थे। तभी अचानक मिट्टी की ढांग धंस गई। जिससे मुकेश व अमन मिट्टी के नीचे दब गए। इन दोनों को मिट्टी के नीचे दबते देखते ही वहां मजदूरों ने उन्हें निकालने के प्रयास शुरु कर दिए। थाना प्रभारी बलबीर सिंह भी घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिसकर्मियों की मदद से राहत अभियान चलाया गया।

अमन को पहले निकाल लिया गया, जबकि मुकेश को निकालने में करीब एक घंटा लग गया। जिससे मुकेश की हालत अधिक बिगड़ गई। उसे जगाधरी सिविल अस्पताल में भिजवाया। जहां उसे चिकित्सकों ने मृत बता दिया। मृतक मुकेश ने आठ माह पहले ही वैल्डिंग का कार्य सीखा था। इसके बाद उसने अपनी यहां पर अलग दुकान कर ली थी।

ठेकेदार की लापरवाही से हुआ हादसा 

पुलिस अभी तक हादसा ठेकेदार की लापरवाही से हुआ मान रही है। यहां पर सुरक्षा मानकों का कोई प्रबंध नहीं था। जब वैल्डरों को वैल्डिंग करने के लिए नीचे उतारा गया, तो उस समय भी कोई सुरक्षा उपकरण नहीं था। मिट्टी भी काफी गीली हो चुकी थी। जिस वजह से ही ढांग गिरी।

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