हौसला देखिए, 92 फीसदी फेफड़े संक्रमित, 80 साल के जींद के फौजी ने जीत ली कोरोना से जंग

जींद के 80 साल के फौजी। कोरोना संक्रमित हो गए। 92 फीसद फेफड़े संक्रमित हो गए है। इसके बावजूद हार नहीं मानी। डॉक्टरों ने भी कहा कुछ भी हो सकता है हमें ब्लेम मत करना। कोरोना को हराकर 11 दिन बाद अस्पताल से घर लौटे फौजी सूबे सिंह।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 02:16 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 02:16 PM (IST)
हौसला देखिए, 92 फीसदी फेफड़े संक्रमित, 80 साल के जींद के फौजी ने जीत ली कोरोना से जंग
कोरोना से जंग जीतने वाले 80 साल के फौजी सूबे सिंह गोयत।

जींद, [कर्मपाल सिंह]। कोरोना से डरने वाले लोग इन बुजुर्ग की कहानी पढि़ए। ये हैं 80 साल के फौजी सूबे सिंह गोयत। 1971 की लड़ाई में पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ाए थे। अब कोरोना को पटखनी दे दी। वह भी तब, जब इनके फेफड़े 92 फीसदी तक संक्रमित हो चुके थे। डॉक्टर भी इनकी रिकवरी को चमत्कार मान रहे हैं। 

दैनिक जागरण से बातचीत में सूबे सिंह कहते हैं कि जिंदगी में डरना तो सीखा ही नहीं। मैं फौजी हूं। विपरीत हालात में दुश्मन सैनिकों के छक्के छुड़ाए थे। कश्मीर में जान हथेली पर रखकर ड्यूटी की। तब नहीं डरे तो अब कोरोना से कैसा डरना। 16 अप्रैल को बुखार हुआ था। 19 को पोते ने कोरोना का सैंपल दिलाया तो 24 को रिपोर्ट पॉजिटिव आई। घर पर ही दवा दे रहे थे। 
 
 
26 अप्रैल की रात को दिक्कत ज्यादा बढ़ गई थी। अगले दिन सुबह बच्चों ने प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया। सीटी स्कैन भी कराया, जिसका स्कोर 25 में से 23 आया। ऑक्सीजन लेवल भी 67 था। सूबे सिंह के बेटे बीएसएफ में इंस्पेक्टर ईश्वर गोयत कहते हैं कि सीटी स्कोर देखकर डॉक्टरों ने कह दिया था कि हालत बहुत ज्यादा गंभीर है। हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे, लेकिन कुछ हो सकता है। हमें ब्लेम मत करना। नि
जी अस्पताल में चौथे दिन साथ वाले बेड पर लेटे बुजुर्ग की मौत के बाद सूबे सिंह का मन खट्टा हो गया था। उसी दिन डॉक्टर ने कहा कि इन्हें डायलिसिस की जरूरत पड़ सकती है। तभी सरकारी अस्पताल  में भर्ती कराया। वहां फिजिशियन डा. नरेश वर्मा ने इलाज शुरू किया। 
तीसरे दिन सुबह-शाम ऑक्सीजन हटाकर अनुलोम-विलोम करना शुरू कर दिया था। खाना भी नहीं छोड़ा। खिचड़ी व कढ़ी का मन किया, वही खिलाई। अंगूर, सेब, चीकू भी देते रहे। धीरे-धीरे रिकवरी बढ़ती गई, जिसे देखकर डॉक्टर भी हैरान रह गए। ऑक्सीजन लेवल 90 से ऊपर होने पर बीती 7 मई को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। सूबे सिंह अब घर पर स्वस्थ हैं और सुबह-शाम ताजी हवा में बैठकर अनुलोम-विलोम व भ्रामरी प्राणायाम और ओम का उच्चारण करते हैं। 
 
 
सकारात्मक रहें, मन से हारे तो दवा काम नहीं करेंगी
जींद के सेक्टर-11 निवासी बुजुर्ग सूबे सिंह ने बताया कि वह छह साल से रोज सुबह उठकर आधा घंटा घूमकर आते हैं। छह साल से सुबह आधा घंटा प्राणायाम कर रहे हैं। दो बार गदूद का आपरेशन करवा चुके हैं और तीन साल पहले अटैक आने पर स्टंट भी डलवाया था। कोरोना को लेकर सूबे सिंह कहते हैं कि पॉजिटिव रहना ही सबसे बड़ी दवा है। मन से हार जाएंगे तो दवा भी काम नहीं करेंगी। अस्पताल से घर आने के बाद अब ठीक हूं। हारना तो सीखा ही नहीं। 
 
कोरोना को हराया: ऑक्सीजन लेवल 56 आ गया था, मैंने हौसला नहीं छोड़ा 
कोरोना को लेकर मास्क लगाने व शारीरिक दूरी रखने की जो बात कही जा रही है, उसका जो पालन कर लेंगे वो इस बीमारी से बचे रहे हैं। मैंने कोरोना को दस दिन झेला है, इसलिए यह बात कह रही हूं। यह वायरस एक बार घर में घुस जाता है तो फिर कई लोगों को चपेट में ले लेता है। मेरे घर में सबसे पहले बहू को बुखार हुआ। उसके बाद पोते को हुआ। फिर बेटे व पति को हुआ। उन सबका बुखार दो या तीन दिन में उतर गया था। फिर 20 अप्रैल को मुझे तेज बुखार हुआ। उसी दिन कोरोना सैंपल कराया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 26 को बुखार ठीक हो गया, लेकिन सांस लेने में परेशानी आने लगी। उसी दिन बेटा अस्पताल लेकर आया। तीन घंटे ऑक्सीजन चढ़ाई और कुछ आराम हुआ। इसके बाद डॉक्टरों ने घर भेज दिया। 29 अप्रैल की रात को खांसी ज्यादा होने से सांस लेने में बहुत तकलीफ हो गई। अगले ही दिन फिर सरकारी अस्पताल में पहुंचे। डॉक्टरों ने सीटी स्कैन कराया, जिसका स्कोर 25 में से 18 आया। मुझे इस स्कोर के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। बच्चे चिंतित थे, लेकिन उन्होंने मेरे सामने महसूस नहीं होने दिया। मेरी उम्र 51 साल हो चुकी है। बच्चों को देखकर मैंने भी हौसला नहीं खोया। जिस दिन अस्पताल आई थी, उस दिन ऑक्सीजन लेवल 56 पर पहुंच गया था। दो दिन बाद मुझे कुछ आराम महसूस होने लगा। नौ मई को मुझे अस्पताल से छुट्टी मिल गई। कमजोरी अब बहुत ज्यादा है। मेरा संदेश यही है कि पहले ही सावधानी बरती जाए तो बेहतर है। घर से बाहर निकलने पर मास्क जरूर लगाएं।
-इंद्रावती, पटियाला चौक, जींद
 

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