550 वर्ष पुराना है डेरा राजापुरी का इतिहास, स्‍वामी विवेकानंद के गुरु की तपोस्‍थली है ये

कैथल के गांव बाबा लदाना स्थित डेरा राजपुरी का इतिहास करीब 550 वर्ष पुराना है। कहां जाता है बाबा राजपुरी का रास्‍ता कुछ लोगों ने रोका था। इसके बाद उनकी हजारों भैंसे कई घंटे तक बैठीं रहीं। तब से ये डेरा पशुओं के लिए विख्‍यात है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 09:07 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 09:07 AM (IST)
550 वर्ष पुराना है डेरा राजापुरी का इतिहास, स्‍वामी विवेकानंद के गुरु की तपोस्‍थली है ये
हरियाणा के कैथल के गांव बाबा लदाना स्थित डेरा बाबा राजपुरी।

कैथल, जागरण संवाददाता। कैथल के गांव बाबा लदाना स्थित डेरा बाबा राजपुरी का इतिहास 550 वर्ष पुराना है। यह डेरा हरियाणा में पशुओं की सुख-शांति के लिए विख्यात है। बाबा राजपुरी से जुड़ी पशुओं से संबंधित एक रोचक कहानी भी है।

डेरे के महंत बाबा दूजपुरी ने बताया कि करीब 500 वर्ष पहले बाबा राजपुरी गांव बाबा लदाना और गांव अटैला के बीच से कहीं जा रहे थे। उस समय आस-पास के कई गांव के भैंस चराने वाले पाली एक स्थान पर हजारों भैंसों को बैठा कर रखते थे। एक दिन उनके पास से बाबा राजपुरी जा रहे थे तो वहां मौजूद भैंस चराने वालों ने कहा कि बाबा यहां से मत जाओ हमारी भैंस बैठी हुई हैं और ये उठ जाएंगी। बाबा राजपुरी ने कहा कि अब ये भैंसें नहीं उठेंगी और इतना कह कर वे वहां से चले गए। कुछ देर बाद जब भैंसों को उठाने लगे तो एक भी भैंस नहीं उठी।

वहां मौजूद लोगों को चिंता होने लगी कि एक भी भैंस क्यों नहीं उठ रही है। तभी उन्हें एहसास हुआ कि यह बाबा का चमत्कार है। सभी पाली एकत्रित होकर बाबा के पास गए और उनसे उनका रास्ता रोकने को लेकर माफी मांगी। उसके बाद बाबा ने कहा कि जाओ एक भैंस को छोड़कर तुम्हारी सभी भैंसें उठ जाएंगी और ऐसा ही हुआ। तभी से पशुओं की सुख-शांति के लिए बाबा राजपुरी की पूजा की जाती है।

महंत तोतापुरी की तपोस्थली है डेरा

यह डेरा स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस और उनके गुरु महंत तोतापुरी महाराज की तपो स्थली रहा है। यहां महंत तोतापुरी की समाधि भी है। महंत दूजपुरी ने बताया कि माता हिंगलाज अष्टमी की रात को डेरे में बने मंदिर में आती हैं और वर्षों पुराने जाल के पेड़ पर धागा बांधकर जाती हैं। दशहरा के दिन जाल के पेड़ पर बाबा राजपुरी और माता हिंगलाज की पूजा कर ध्वजा चढ़ाई जाती है। बाबा राजपुरी के देश भर में करीब 365 मठ और डेरे हैं।

पूजा के लिए आते हैं लाखों लोग

डेरा राजपुरी पर हरियाणा के विभिन्न जिलों से लोग पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। डेरे के महंत दूजपूरी महाराज ने बताया कि डेरे में हर वर्ष दशहरे, एकादशी और द्वादशी को विशाल मेला लगता है। लाखों की संख्या में भक्त हर साल पूजा करने के लिए आते हैं। डेरे में तीन दिनों तक लगातार मेला लगता है। मेले के अंतिम दिन राज्य स्तरीय विशाल कुश्ती दंगल करवाया जाता है, जिसमें हरियाणा के नामी पहलवान भाग लेते हैं। भक्त यहां दूध, आटा और घी चढ़ाकर जाते हैं। तीनों दिनों में हजारों क्विंटल दूध एकत्रित हो जाता है, जिसका प्रसाद बनाकर भक्तों में बांटा जाता है। तीन दिनों में डेरे में करीब छह से सात लाख रुपये चढ़ावा आता है। जिला प्रशासन की तरफ से भी मेले को लेकर पुख्ता प्रबंध किए जाते हैं। मेले के लिए स्पेशल रोडवेज की बसें चलाई जाती हैं।

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