प्रमाण-पत्र बनवाने सिविल अस्पताल में पहुंचे 30 दिव्यांग, 20 के बने

दिव्यांगों के प्रमाण-पत्र बनाने के लिए बुधवार को सिविल अस्पताल में विशेष शिविर का आयोजन हुआ। बरसात के कारण मात्र 30 दिव्यांग ही पहुंचे। इनमें से 20 के ही प्रमाण पत्र बने बाकी को खानपुर और रोहतक पीजीआई भेजा गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 10:01 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 10:01 PM (IST)
प्रमाण-पत्र बनवाने सिविल अस्पताल में पहुंचे 30 दिव्यांग, 20 के बने
प्रमाण-पत्र बनवाने सिविल अस्पताल में पहुंचे 30 दिव्यांग, 20 के बने

जागरण संवाददाता, पानीपत : दिव्यांगों के प्रमाण-पत्र बनाने के लिए बुधवार को सिविल अस्पताल में विशेष शिविर का आयोजन हुआ। बरसात के कारण मात्र 30 दिव्यांग ही पहुंचे। इनमें से 20 के ही प्रमाण पत्र बने, बाकी को खानपुर और रोहतक पीजीआई भेजा गया।

बरसात के बावजूद प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दिव्यांग सुबह साढ़े आठ बजे अस्पताल पहुंचने शुरू हो गए थे। संख्या कम होने के कारण किसी प्रकार की आपाधापी तो नहीं मची। हालांकि, कोविड-19 गाइडलाइन का उल्लंघन जरूर हुआ। दिव्यांग व उनके स्वजन एक-दूसरे से सटकर बैठे हुए थे। अधिकांश ने मास्क भी नहीं पहना था। दिव्यांगों की इंट्री कर रहे स्टाफ की टेबल के पास दो गज की शारीरिक दूरी का पालन नहीं दिखा। दो दिव्यांगों को बौद्धिक क्षमता के आकलन के लिए रोहतक पीजीआइ रेफर किया।

आठ को कान की जांच के लिए खानपुर भेजा गया। छत पर कक्ष में सीलिग फैन या एयर कंडीशनर नहीं होने के कारण आवेदन जमा कर रहे हेल्थ वर्कर पसीना-पसीना दिखे। इसलिए रेफर करने पड़ते हैं दिव्यांग

प्रिसिपल मेडिकल आफिसर डा. संजीव ग्रोवर ने बताया कि सिविल अस्पताल में फिजिशियन नहीं है, लकवाग्रस्त दिव्यांगों को करनाल भेजा जाता है। कान-नाक-गला विशेषज्ञ हैं। सुनने की क्षमता जांचने वाला आडियोलाजिस्ट भी है, लेकिन वह संविदा पर है। लीगल मेडिकल में उसकी रिपोर्ट मान्य नहीं है। इसलिए खानपुर रेफर किया जाता था। मानसिक रोगियो की बौधिक क्षमता जांचने की सुविधा नहीं है, इसलिए रोहतक भेजा जाता है।

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