ओलंपिक पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी से 24 लाख की हेराफेरी, जानिए क्या है पूरा मामला

ओलंपिक पदक विजेता कर्णम मल्‍लेश्‍वरी हरियाणा के यमुनानगर में अकादमी बनवा रही हैं। इसके लिए उन्‍होंने ठेका दिया। अब बिल्‍डर ने फर्जीवाड़ा करते हुए उनसे 24 लाख की हेराफेरी की। उनकी शिकायत पर केस दर्ज कर लिया गया है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 04:05 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 04:05 PM (IST)
ओलंपिक पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी से 24 लाख की हेराफेरी, जानिए क्या है पूरा मामला
ओलंपिक पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी से धोखाधड़ी।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। वर्ष 2000 में सिडनी ओलिंपिक खेलों में भारत्तोलन में कांस्य पदक जीत कर इतिहास रचने वाली कर्णम मल्लेश्वरी द्वारा बनाई जा रही खेल अकादमी में बिल्डर ने 24 लाख 69883 रुपये की हेराफेरी कर दी। जगाधरी के चाहड़ों गांव में बन रही खेल अकादमी में बिल्डर ने जो काम किया उसकी पैमाइश से कहीं अधिक के बिल पास करा लिए।

बिल पास कर कर्णम मल्लेश्वरी फाउंडेशन से मैसर्ज पिरामिड बिल्डर्स ने दो करोड़ 28 लाख 35371 रुपये की पेमेंट ले ली, जबकि जांच में काम केवल दो करोड़ तीन लाख 65488 रुपये का हुआ। बिल्डर ने उनसे धोखाधड़ी कर 24 लाख 69883 रुपये अधिक ले लिए। इतना ही नहीं जीएसटी भी 12 फीसद की बजाय 18 फीसद लगाया गया। पुलिस ने पंचकूला के सेक्टर-21 स्थित मैसर्ज पिरामिड बिल्डर्स के तीन पार्टनरों अनुज अग्रवाल, निकुल अग्रवाल व नितिन अग्रवाल पर धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया।

सरकार से मिली थी पांच करोड़ की ग्रांट

कर्णम मल्लेश्वरी ने थाना सदर जगाधरी पुलिस को दी शिकायत में कहा कि खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गांव चाहड़ाे में कर्णम मल्लेश्वरी नेशनल वेट लिफ्टिंग एंड पावर लिफ्टिंग हाई परफार्मेंस ट्रेनिंग एंड कोचिंग सेंटर बना रही हैं। अकादमी के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय की तरफ से कर्णम मल्लेश्वरी फाउंडेशन को पांच करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है।

इसका निर्माण भी खेल मंत्रालय की देखरेख में ही किया जा रहा है। फरवरी 2019 में अकादमी के कंस्ट्रक्शन के लिए टेंडर लगाया गया था। इसकी मैसर्ज पिरामिड बिल्डर्स ने पांच करोड़ 76 लाख 36075 रुपये की बिड लगाई गई। शर्तों के अनुसार अकादमी का निर्माण 10 माह में पूरा करना था। निर्माण में देरी होने की सूरत में कंपनसेशन आफ डिले का भी प्रावधान था।

जांच में फेल पाई गई मजबूती व क्वालिटी

आरोप है कि पिरामिड बिल्डर्स द्वारा शुरू से ही अकादमी का धीमी गति से कार्य किया गया। वहां पर हमेशा लेबर की कमी रहती थी। कंपनी द्वारा किसी तरह का कोई क्वालिटी रिकार्ड भी मेंटेन नहीं किया गया। इतना ही नहीं हाेस्टल बिल्डिंग की राफट 4550 एमएम ऊपर गलत बना दी गई। बिल्डर को सरकार की तरफ से मान्यता प्राप्त किसी स्ट्रक्चर इंजीनियर से उनके द्वारा किए गए कार्य को टेस्ट कराकर क्वालिटी स्ट्रेंथ प्रमाण पत्र देना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

उनकी फाउंडेशन ने श्रीराम इंस्टीट्यूट आफ इंडस्ट्रियल रिसर्च दिल्ली को निर्माण के टेस्ट के लिए नियुक्त किया गया। जांच में निर्माण कार्य नियमानुसार नहीं पाया गया। इतना ही नहीं एनआइटी कुरुक्षेत्र व डिपार्टमेंट आफ इंडस्ट्रीज एंड कामर्स आफ हरियाणा जगाधरी द्वारा की गई जांच में भी भवन की मजबूती व क्वालिटी फेल पाई गई। फाउंडेशन ने इस कार्य की देखरेख के लिए संजय गुप्ता को मैनेजर नियुक्त किया गया था। पिरामिड बिल्डर्स द्वारा खुद की पैमाइश के आधार पर संजय गुप्ता को बिल भेजे जाते थे। इसके बाद ही बिल्डर को पेमेंट होती थी।

कर्णम मल्लेश्वरी ने शिकायत में कहा कि पिरामिड बिल्डर्स ने कर्णम मल्लेश्वरी फाउंडेशन के हक में 32 लाख 27620 रुपये की जो बैंक गारंटी बनवाई थी वह भी 31 मार्च 2020 को खत्म हो गई थी, जिसे रिन्यू नहीं कराया गया। अकादमी के काम को दोबारा शुरू करने के लिए खेल मंत्रालय से दोबारा मंजूरी ली जानी थी। इसके लिए मंत्रालय ने साईं एनआरसी सोनीपत के डिप्टी डायरेक्टर से चैक कराया। जिन्होंने पैमाइश के आधार पर रिपोर्ट तैयार की।

जिसमें बताया गया कि पिरामिड बिल्डर्स कंपनी ने अब तक जो काम किया है उसकी पूरी कीमत दो करोड़ तीन लाख 65488 रुपये बनती है। जबकि बिल्डर उनसे दो करोड़ 28 लाख 35371 रुपये प्राप्त कर चुका था। इस तरह उनसे 24 लाख 69883 रुपये धोखाधड़ी कर अधिक प्राप्त किए। निर्माण सामग्री पर जीएसटी 12 फीसद की बजाय 18 फीसद लगाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि पिरामिड बिल्डर्स के पार्टनर ने गलत पैमाइश के बिल या तो उनके मैनेजर संजय गुप्ता को गुमराह करके पास करवाए हैं या फिर उन्होंने संजय गुप्ता के साथ मिलीभगत करके गलत पैमाइश के बिलों को पास कराया है।

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