सरकार के पास फंसे 200 करोड़, बैंक खातों में नहीं पहुंची धान की पेमेंट, व्यापारी और किसान परेशान

सरकार ने बीती 26 सितंबर से धान की सरकारी खरीद शुरू कर दी थी। तीन सरकारी एजेंसियां मंडी में धान की कर रही खरीद। मार्केट कमेटी कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक सरकारी एजेंसियों ने अभी लगभग 13 लाख क्विंटल धान की खरीद कर ली है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 11:17 AM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 11:17 AM (IST)
सरकार के पास फंसे 200 करोड़, बैंक खातों में नहीं पहुंची धान की पेमेंट, व्यापारी और किसान परेशान
सरकार ने बीती 26 सितंबर से धान की सरकारी खरीद की थी शुरू।

जेएनएन, करनाल : 72 घंटे में किसानों को फसलों की पेमेंट किए जाने के दावे फेल होते नजर आ रहे हैं। करीब तीन सप्ताह बीतने के बाद भी धान की फसल की पेमेंट बैंक खातों में नहीं पहुंची है। इससे किसानों और आढ़तियों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। मंडी में धान की खरीद कर रही तीनों एजेंसियों के पास करीब 200 करोड़ की पेमेंट फंसी हुई है। पेमेंट न आने से मंडी आढ़तियों और किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। दूसरी ओर खरीद एजेंसियां पहले सप्ताह की पेमेंट रिलीज करने का दावा कर रहे हैं।

सरकार ने बीती 26 सितंबर से धान की सरकारी खरीद शुरू कर दी थी। मंडी में तीन सरकारी एजेंसियां धान की खरीद कर रही है। मार्केट कमेटी कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, सरकारी एजेंसियों ने अभी लगभग 13 लाख ङ्क्षक्वटल धान की खरीद कर ली है। इसमें से 8.86 लाख क्विंटल धान का उठान हो चुका है, जबकि लगभग 34 हजार धान मंडी में पड़ी है। यदि तीनों एजेंसियों द्वारा खरीदी गई धान के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 21 अक्टूबर तक हैफेड ने एक लाख 43 हजार 304 क्विंटल, डीएफएससी ने 8 लाख 70 हजार क्विंटल तथा एचडब्ल्युसी ने एक लाख 88 हजार 580 क्विंटल धान की खरीद की है। धान की खरीद को लगभग एक माह होने को है, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक किसानों व व्यापारियों की पेमेंट नहीं हुई है।

व्यापारियों और किसानों की सुनवाई नहीं

व्यापारी व एसोसिएशन के महासचिव सुरेश मित्तल, मंडी के पूर्व प्रधान पवन गुप्ता, सुनील कुमार, कृष्ण कुमार ने बताया कि सरकार ने 72 घंटे में धान की पेमेंट देने का वायदा किया था,  एक माह बीत चुका है, लेकिन अभी तक मंडी में धान की पेमेंट नहीं आई है। उन्होंने बताया कि मंडी का लगभग दो सौ करोड़ रुपये फंसा हुआ है। व्यापारियों ने कई बार विभागीय अधिकरियों से पेमेंट देने की मांग भी कर चुके है, लेकिन पेमेंट नहीं आई है। व्यापारियों का कहना है कि लगभग दस करोड रुपये की पेमेंट विभिन्न एजेंसियों की आई है, लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं मिल पाया, क्योंकि पोर्टल की वजह से पेमेंट दूसरी मंडियों में चली गई है और दूसरी मंडियों की पेमेंट घरौंडा मंडी में पहुंच गई है। इसे दुरूस्त करने के लिए कागजात दोबारा भेज जा रहे है। किसान और व्यापारी बुरी तरह से परेशान हो चुके हैं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। खरीद एजेंसी अधिकारियों से बात की जाते है तो वे पेमेंट रिलीज होने की बात कहते है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।

पेमेंट को लेकर तमाम दिक्कतें : प्रधान

मंडी प्रधान रामलाल गोयल का कहना है कि खरीद शुरू हुए लगभग 23 दिन हो चुके हैं। डीएफएससी और वेयर हाउस की थोड़ी-सी पेमेंट आई है और वह पेमेंट किस खाते में गई है, इसका भी कुछ क्लियर नहीं है, जबकि हैफेड की आज तक कोई पेमेंट नहीं आई है। सरकार के पास करीब 200 करोड़ रुपए रुके हुए हैं, जिसकी वजह से किसान और आढ़ती परेशान हैं। सरकारी एजेंसी के अधिकारियों से बात करते है तो पोर्टल का ईशू बता दिया जाता है। दूसरा किसानों के बैंक खाते भी गलत तरीके से पोर्टल पर अपलोड किए गए हैं, जिससे उनकी पेमेंट कहीं ओर जा रही है। 

प्रबंधक एचडब्ल्यूसी घरौंडा रमेश कुमार ने बताया कि वेयर हाउस की तरफ से नौ अक्तूबर तक की पेमेंट हो चुकी है। यदि किसी की पेमेंट नहीं आई है तो इसमें मार्किट कमेटी और आढ़ती की गलती है। हमारे पास कोई पेमेंट पेंडिंग नहीं है। 21 तारीख को लगभग छह करोड़ की पेमेंट डाली गई है। पोर्टल को लेकर जो तकनीकी व्यवधान आया है, उसेे दुरुस्त कराया जा रहा है।

chat bot
आपका साथी