सरकार को चपत लगाने वाले राइस मिलरों पर सख्ती, करनाल के 16 राइस मिलों की होगी नीलामी

जुलाई में दैनिक जागरण ने चावल घोटाला उजागर किया तो निशांत राठी को फिर करनाल का चार्ज सौंपा गया। उन्होंने सरकारी चावल की अदायगी नहीं करने वाले चार राइस मिल की संपत्ति कुर्क की पिछले सालों में अदायगी नहीं करने वाले 30 राइस मिलों की फाइल दोबारा निकलवाई।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 04:47 PM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 04:47 PM (IST)
सरकार को चपत लगाने वाले राइस मिलरों पर सख्ती, करनाल के 16 राइस मिलों की होगी नीलामी
पहले उन राइस मिल की संपत्ति कुर्क होगी, जो बरसों से सरकारी चावल की राशि दबाए हैं।

पानीपत/करनाल, जेएनएन। बरसों से सरकारी चावल की कुटाई के नाम पर अपने खजाने भरने वाले राइस मिलसंचालकों की धड़कनें अब बढ़ी हैं। पहले इनके केस फाइलों में दबे थे, लेकिन अब फाइल खुल चुकी है और कार्रवाई के लिए आगे भी बढ़ चुकी है। उपायुक्त निशांत यादव भी इस पूरे मामले में गंभीरता बरत रहे हैं। 

34 राइस मिल संचालक दबाए बैठे 300 करोड़

वर्ष 2013 से लेकर अब 34 राइस मिल संचालक सरकार का करीब 300 करोड़ रुपये दबाए हुए हैं। इनमें 30 राइस मिल वे हैं, जो वर्ष 2019 तक सरकार का करोड़ों रुपये दबाए हुए थे। जबकि चार राइस मिल वे हैं, जो दैनिक जागरण द्वारा चावल घोटाला प्रकाशित किए जाने के बाद पकड़ में आए। जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने इन राइस मिलों की संपत्ति कुर्क पहले की जा चुकी थी। अब इनकी संपत्ति नीलाम करके सरकार ने राशि की पाई-पाई वसूलने की दिशा में कदम आगे बढ़ा दिए गए हैं। इस संबंध में उपायुक्त ने संबंधित नायब तहसीलदार को भी निर्देश दिए हैं।

पहले कराए केस, अब नीलामी करवाएंगे

2013-14 में पहली बार खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को पता चला कि कई मिलर्स ने जीरी की कुटाई करके सरकारी चावल नहीं लौटाया है। विभाग ने सूची तैयार की तो करीब 15 राइस मिल का नाम सामने आया। 2014-15 में फिर छह मिल सामने आए, जिन्होंने सरकार का बोझ बढ़ा दिया। पिछली रिकवरी हुई नहीं थी कि इस साल छह मिल ने 21 करोड़ 48 लाख 87 हजार 590 रुपये कीमत का चावल सरकार को अदा नहीं किया। यह सिलसिला 2015-16 में भी चला। महज चार मिलों पर इस साल 27 करोड़ 24 लाख 61 हजार 381 रुपये के चावल की देनदारी खड़ी हो गई थी। हालांकि इन पर विभाग की ओर से एफआइआर दर्ज करवा दी गई थी। लेकिन वर्ष 2015-16 में तत्कालीन डीएफएससी निशांत राठी के सामने जब यह केस आए तो वह इन राइस मिल के केस न्यायालय तक ले गए। ताकि सरकारी चावल की राशि की रिकवरी की जा सके। उनका तबादला होने के बाद विभाग भी इन केस को लेकर शांत हो गया।

दैनिक जागरण ने उजागर किया था चावल घोटाला 

लेकिन जुलाई माह में दैनिक जागरण ने चावल घोटाला उजागर किया तो निशांत राठी को फिर करनाल का चार्ज सौंपा गया। ताकि वह भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्ताई से काम कर सकें। हुआ भी यही उन्होंने इसी साल सरकारी चावल की अदायगी नहीं करने वाले चार राइस मिल की संपत्ति कुर्क की। जबकि पिछले सालों में सरकारी चावल की अदायगी नहीं करने वाले 30 राइस मिलों की फाइल दोबारा निकलवा ली। उपायुक्त निशांत यादव को जब इस बारे में बताया तो उन्होंने भी एक्शन की इजाजत दी। इसके चलते अब 16 राइस मिल की प्रोपर्टी  नीलाम करने की दिशा को लेकर संबंधित राइस मिल को नोटिस भी जारी कर दिए गए हैं।

सरकारी चावल की रिकवरी के लिए प्रतिबद्ध ः डीएफएससी

डीएफएससी निशांत राठी का कहना है कि वह सरकारी चावल की रिकवरी के लिए प्रतिबद्ध हैं। चावल नहीं देने वाले राइस संचालकों की प्रॉपर्टी अटैच करवा दी गई थी। जुलाई में करनाल का चार्ज लेने के बाद सरकारी चावल की अदायगी नहीं देने वाले चार राइस मिल की प्रॉपर्टी कुर्क की गई। अभी 16 राइस मिलों की लिस्ट नीलामी के लिए तैयार की गई है। इनसे करीब 60 करोड़ रुपये की रिकवरी होनी है।

chat bot
आपका साथी