सात जिलों के सर्वे में ट्रेकोमा ट्राइकियासिस के मिले 12 केस

ट्रेकोमा ट्राइकियासिस (15 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में नेत्र संक्रमण) का सर्वे करने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली की टीम नौ अक्टूबर को पानीपत पहुंचेगी। टीम पांच दिनों में 30 क्लस्टर में 2500 से 3000 लोगों का चेकअप करेगी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 30 Sep 2021 06:29 AM (IST) Updated:Thu, 30 Sep 2021 06:29 AM (IST)
सात जिलों के सर्वे में ट्रेकोमा ट्राइकियासिस के मिले 12 केस
सात जिलों के सर्वे में ट्रेकोमा ट्राइकियासिस के मिले 12 केस

जागरण संवाददाता, पानीपत : ट्रेकोमा ट्राइकियासिस (15 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में नेत्र संक्रमण) का सर्वे करने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली की टीम नौ अक्टूबर को पानीपत पहुंचेगी। टीम पांच दिनों में 30 क्लस्टर में 2500 से 3000 लोगों का चेकअप करेगी। टीम ने अब तक प्रदेश के सात जिले कवर किए हैं, ट्रेकोमा ट्राइकियासिस के 12 केस (मरीजों को रोग की जानकारी थी) मिले हैं।

एम्स आरपी सेंटर के पब्लिक हेल्थ कंसल्टेंट डा. अमित भारद्वाज ने पानीपत में डिप्टी सिविल सर्जन डा. शशि गर्ग से सर्वे संबंधी चर्चा के उपरांत फोन पर दैनिक जागरण को यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि चार से आठ अक्टूबर तक जिला करनाल में सर्वे होगा, वहां भी 30 ही क्लस्टर बनाए गए हैं। नौ से 13 अक्टूबर तक छह सदस्यीय टीम पानीपत में रहेगी। सर्वे में आशा वर्कर्स की मदद ली जाएगी। सर्वे कर रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को सौंपी जानी है।

एम्स स्थित आरपी सेंटर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. प्रवीण वशिष्ठ सर्वे का नेतृत्व कर रहे हैं। सर्वे के दौरान टीमें ट्रेकोमा ट्राइकियासिस केसों के आंकड़े जुटाएंगी। आशंकित मरीज की जांच करेंगी, उसी समय दवा भी दी जाएगी। डा. गर्ग ने बताया कि आशा वर्कर्स को ट्रेकोमा संबंधी ट्रेनिग दी जागी। सर्वे में ड्यूटी करने वाली हर आशा को प्रत्येक दिन 250 रुपये भत्ता भी मिलेगा। ये बनाएं हैं 30 क्लस्टर

आदियाना, बराना, फरीदपुर, गांजबड़, खेड़ी नांगल (दो), वार्ड-8, वार्ड-9, वार्ड-13 में दो, वार्ड-19, वार्ड-22, वार्ड-23 में दो, वार्ड-25, वार्ड-27, वार्ड-1 तरफ मखदूम में पांच, वार्ड-1 तरफ राजपूतान में तीन, वार्ड-1 सिकंदरपुर में दो, कवि, शेरा, शोधापुर और वैसर। इन जिलों का हो चुका सर्वे

डा. अमित भारद्वाज ने बताया कि ट्रेकोमा ट्राइकियासिस (टीटी) के प्रति एक हजार आबादी पर मात्र दो केस मिलते हैं। हरियाणा में यमुनानगर, अंबाला, कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर, पलवल में सर्वे हो चुका है, इनमें 12 केस मिले हैं। ये ऐसे केस हैं, जिनमें मरीजों को बीमारी के विषय में जानकारी थी। एक्टिव ट्रेकोमा से मुक्त भारत

डा. भारद्वाज ने बताया कि भारत आठ दिसंबर वर्ष-2017 में एक्टिव ट्रेकोमा से मुक्त हो चुका है। दो साल से नौ साल की आयु में मिलने वाले केसों को एक्टिव की श्रेणी में रखा जाता है। यह होता है ट्रेकोमा

डा. शशि गर्ग ने बताया कि गंदगी वाले वातावरण में रहने से क्लेमाइडिया ट्रेकोमेटीस नामक बैक्टीरिया से ट्रेकोमा ट्राइकियासिस होता है। संक्रमण से पलक पर सूजन और एक परत बन जाती है। परत मोटी होने पर पलक अंदर की ओर मुड़ जाती हैं। बार-बार घर्षण होने से कार्निया को नुकसान पहुंचता है। समय से इलाज न किया जाए तो अंधेपन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसके बाद कार्निया प्रत्यारोपण ही विकल्प है।

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