सौ साल की उम्र में इस तरह कोरोना को हराया, आप भी इनसे प्रेरित हो सकते हैं

पानीपत के 100 वर्षीय ब्रह्म सिंह कोरोना संक्रमित हो गए थे। वे हिम्‍मत नहीं हारे और नियमों का पालन करते हुए 12 दिन में कोरोना को मात दी। पानीपत के सेक्‍टर सात के ब्रह्म सिंह को हुआ था कोरोना संक्रमण। काढ़ा गुनगुना पानी और हल्दी मिश्रित दूध पिया।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 07:57 AM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 07:57 AM (IST)
सौ साल की उम्र में इस तरह कोरोना को हराया, आप भी इनसे प्रेरित हो सकते हैं
पानीपत के सेक्‍टर 7 निवासी ब्रह्म सिंह।

पानीपत, जेएनएन। कोरोना संक्रमण का जितना डर है, उतना ये संक्रमण खतरनाक नहीं है। अगर हौसला रखें, सकारात्‍मक रहें तो इसे हराया जा सकता है। सौ साल के बुजुर्ग तक कोरोना को हरा रहे हैं।

नाम ब्रह्म सिंह, निवासी सेक्टर-सात, उम्र 100 साल। सात मई को इनकी रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आई थी। आयु के शतकवीर ने 12 दिनों में ही मजबूत इम्युनिटी के बल से कोरोना को हरा दिया। बेहतर तीमारदारी को भी इसका श्रेय जाता है।

पोते के बाद दादा को कोरोना

ब्रह्मसिंह के परिवार में पुत्र जगमाल सिंह, पुत्रवधू ब्रह्मवती, पौत्र सचिन और विपिन हैं। विपिन सिविल अस्पताल में माइक्रोबायोलाजिस्ट हैं। ड्यूटी करते हुए 25 अप्रैल को कोरोना पाजिटिव हुए। तीन अप्रैल को रिपोर्ट नेगेटिव मिलने पर ड्यूटी ज्वाइन कर ली। इसके बाद सात मई को सौ वर्षीय बुजुर्ग की रिपोर्ट भी पाजिटिव गई। घर के एक कमरे में इन्हें आइसोलेट किया गया। संक्रमित होने के बावजूद हौसला नहीं खोया। परिवार के सदस्यों को बताया कि सौ साल पहले भी कातक की बीमारी आई थी। इन्होंने हर एक घंटे में गुनगुना पानी पिया।

चार बार पीते रहे काढ़ा

आयुष का काढ़ा रोजाना चार बार पीते रहे। नाश्ते में ओट्स, दलिया लेते। भोजन में मूंग दाल की खिचड़ी खाई। रात्रि में सोने से एक घंटे पहले हल्दी मिश्रित दूध जरूर पीते। सिविल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों को जो मेडिसिन दी जाती हैं, वे भी इन्हें खिलाई गई। इनकी तीमारीदारी माइक्रोबायोलाजिस्ट विपिन ने की। 17 मई की रात्रि शतकवीर की रिपोर्ट नेगेटिव आ गई तो खुशी से विक्टरी का चिन्ह बनाते हुए फोटो क्लिक कराया। परिवार के सदस्य भी खुश हैं।

रोजाना पांच किमी. पैदल वॉक

विपिन ने बताया कि कोरोना पाजिटिव आने से पहले दादाजी रोजाना चार-पांच किलोमीटर पैदल चलते थे। स्वाब सैंपल देने से एक दिन पहले भी सेक्टर सात किला तक पैदल घूमकर आए थे। मजबूत इम्युनिटी से ही कोरोना को हराने में सफल रहे।

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