जज साहब पत्नी मुझसे ज्यादा कमाती है, मैं नहीं दे सकता गुजारा भत्ता, गुरुग्राम फैमिली कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती

वैवाहिक विवाद में गुरुग्राम फैमिली कोर्ट ने पति को आदेश दिया था कि वह पत्नी को गुजारा भत्ता दे लेकिन पति का कहना है कि उसकी पत्नी उससे ज्यादा कमाती है। वह हाई कोर्ट पहुंचा लेकिन हाई कोर्ट ने उसकी मांग को खारिज कर दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 01:29 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 01:29 PM (IST)
जज साहब पत्नी मुझसे ज्यादा कमाती है, मैं नहीं दे सकता गुजारा भत्ता, गुरुग्राम फैमिली कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। जज साहब... लाकडाउन के दौरान मेरी नौकरी चली गई। अब मजदूरी कर केवल 9500 रुपये प्रति माह कमा पाता हूं। ऐसे में पत्नी को 10 हजार रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता कैसे दूंगा? एक वैवाहिक विवाद में गुरुग्राम की फैमिली कोर्ट द्वारा पति को आदेश दिया गया था कि वह अपनी पत्नी को हर महीने 10 हजार रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता दे। गुरुग्राम कोर्ट के आदेश को पति ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि जब वह इतना कमा ही नहीं पा रहा है तो पत्नी को अपनी कमाई से अधिक गुजारा भत्ता कैसे दे सकता है।

पति ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दायर याचिका में बताया कि वह एमबीए पास है, लेकिन लाकडाउन के चलते उसकी नौकरी चली गई, जिस कारण वह एक श्रमिक के तौर पर काम कर केवल 9500 रुपये प्रति माह कमा पा रहा है। पति ने दलील दी कि उसकी पत्नी ब्यूटी पार्लर में काम कर रही है और प्रति माह 15 हजार रुपये कमा रही है। वर्तमान हालत में वह अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने की स्थिति में नहीं है।

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हाई कोर्ट के जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल ने जब केस के दस्तावेज देखे तो उनको पति द्वारा दी गई जानकारी संदिग्ध लगी। कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12 के तहत दायर अपनी याचिका में कहा है कि उसके पास एमबीए की डिग्री है और वह चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) का कोर्स कर रहा है। हाई कोर्ट के समक्ष दायर हलफनामे में पति ने स्वीकार किया है कि वह केवल एमबीए है। हलफनामे में उसने जो जानकारी दी है, वह भी कोर्ट को संदिग्ध प्रतीत हो रही है, क्योंकि पति ने अपनी आय केवल 9500 रूपये बताई है, जबकि वह मकान का जो किराया दे रहा है, उसकी राशि 4000 रुपये प्रति माह है।

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पति ने अपने हलफनामे में बात का खुलासा नहीं किया कि वह किसी वाहन या संपत्ति का मालिक है या नहीं। घरेलू खर्च, खाने-पीने, किराने और व अन्य मदों पर होने वाले खर्च की मद में उसने कोई जानकारी नहीं दी है, जिसका मतलब यह माना जा सकता है कि 9500 रुपये कमाने वाला व्यक्ति अपने भोजन और दैनिक वस्तुओं पर कोई खर्च नहीं कर रहा है।

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याची ने कोर्ट को बताया है कि उसकी प्रतिवादी (पत्नी) की योग्यता 10+2 है और वह ब्यूटी पार्लर में काम कर रही है और प्रति माह 15 हजार रुपये कमा रही है, लेकिन पति कोर्ट में यह साबित नहीं कर पाया। हाई कोर्ट ने पति की याचिका खारिज करते हुए गुरुग्राम की फैमिली कोर्ट के 18 दिसंबर 2019 के आदेश को जारी रखते हुए उसे अपनी पत्नी को 10 हजार रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी कर दिया।

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