हरियाणा भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े बोले- किसान खुश, आंदोलनजीवी कर रहे आंदोलन खत्म नहीं करने की बात

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व हरियाणा भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े ने कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले को विधानसभा चुनाव से जोड़ने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। कृषि कानूनों की वापसी से किसान खुश हैं। आंदोलनजीवी आंदोलन खत्म नहीं कर रहे।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 22 Nov 2021 07:13 PM (IST) Updated:Mon, 22 Nov 2021 07:50 PM (IST)
हरियाणा भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े बोले- किसान खुश, आंदोलनजीवी कर रहे आंदोलन खत्म नहीं करने की बात
हरियाणा भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। कृषि कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले से किसान खुश हैं। जो आंदोलनजीवी हैं, वह आंदोलन खत्म नहीं होने की बात कह रहे हैं। जिस मांग के लिए किसान संगठन आंदोलनरत थे, वह पूरी हो गई है। इसके बावजूद आंदोलन करना दुर्भाग्यपूर्ण है। हरियाणा भाजपा के प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय में यह बात कही।

राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद पहली बार चंडीगढ़ पहुंचे विनोद तावड़े का प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ व सांसद रतनलाल कटारिया सहित अन्य पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। इस दौरान पत्रकारों से रू-ब-रू तावड़े ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद किसान संगठनों को आंदोलन समाप्त कर देना चाहिए। तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने में आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा से जुड़े अनेक विषय हो सकते हैं। इसे चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि नई जिम्मेदारी मिलने के बाद हरियाणा के लिए केंद्र से सीधे बातचीत और आसान हो गई है। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि तावड़े को नई जिम्मेदारी से न केवल पार्टी को मजबूती मिलेगी, बल्कि कार्यकर्ताओं को भी इसका लाभ मिलेगा। तावड़े और वह गहरे मित्र हैं। छात्र संगठन अभाविप में एक साथ काम करते हुए उन्होंने समय-समय पर मेरा मार्गदर्शन किया है। इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता हरपाल चीका ने तावड़े और धनखड़ को आशीर्वाद स्वरूप ननकाना साहिब की मिट्टी-पानी और सरोपा भेंट किए। चीका हाल ही में ननकाना साहिब के दर्शन कर लौटे हैं।

बता दें, भले ही पीएम ने कृषि कानूनों को वापस लेने की बात कही है, लेकिन अभी तक किसान संगठनों के नेता आंदोलन में डटे हुए हैं। उनका कहना है कि उनकी अन्य मांगों पर भी उनसे वार्ता की जाए। उनकी मांग है कि  एमएसपी के लिए कानून बनाया जाए। किसानों ने अन्य मांगें भी रखी हैं। 

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