सेल्फी विद डाटर्स की हरियाणा में बेटियाें के लिए अनोखी पहल, महिलाओं की समस्‍याओं का हाेगा हल

Unique Initiative for Daugthers हरियाणा में बेटियों के लिए अनोखी पहल की गई‍ ह‍ै। हरियाणा की संस्‍था सेल्‍फी विद डाटर फाडंडेशन ने लीेक से हटकर यह पहल की है। इसके तहत घरों में महिलाओं और युवतियों की महावारी के चार्ट लगाए जाएंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 10:28 AM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 10:28 AM (IST)
सेल्फी विद डाटर्स की हरियाणा में बेटियाें के लिए अनोखी पहल, महिलाओं की समस्‍याओं का हाेगा हल
हरियाणा में बेटियों के लिए अनोखी पहल की गई है। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में बेटियों और महिलाओं के लिए अनोखी पहल की गई है। किशोरियों और महिलाओं को माहवारी के दौरान होने वाली समस्याओं व उस समय उनकी विशेष देखभाल की जरूरत को लेकर सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन ने अहम शुरुआत की है। इसके तहत माहवारी का चार्ट हर घर की दीवार पर लगाया जाएगा। हरियाणा को छोड़कर देश में शायद ही कोई ऐसा राज्य होगा, जहां इस विषय पर इतनी खुली मानसिकता के साथ अभियान शुरू किया गया।

हर घर में लगेगा माहवारी का चार्ट -सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन की नई पहल

प्रदेश भर के 150 परिवारों में इस अभियान को एक साथ शुरू करवाया गया है। सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन के संस्थापक सुनील जागलान कहते हैं कि माहवारी के विषय में जागरूकता का अभाव और समय से पीरियड का नहीं आना महिलाओं में कई प्रकार की बीमारियां लेकर आता है। पीरियड चार्ट में घर की सभी महिला सदस्यों के नाम के साथ हर महीने की माहवारी की तारीख लिखी जाएगी। इससे घर के पुरुष सदस्य भी इस विषय पर जागरूक हो सकेंगे।

अभियान की शुरूआत करती एक युवती। (सेल्‍फी विद डाटर फाउंडेशन द्वारा उपलब्‍ध कराई फोटो)

जागलान ने बताया कि मैरी कर्नर नाम की महिला ने पहली बार महिलाओं के लिए माहवारी के लिए सेनेटरी बेल्ट की खोज की थी। उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि स्वरूप यह अभियान उनको समर्पित किया है। जागलान के अनुसार पिछड़े इलाकों में महिलाओं को माहवारी के समय सेनेटरी नैपकिन भी नहीं मिल पाते। गांव की महिलाएं हों या फिर शहर की, सेनेटरी नैपकिन मंगवाने में झिझक महसूस करती हैं। माहवारी के समय तीन-चार दिन का रक्त स्त्राव नारी को कमजोर करता है। कई महिलाओं को इस समय हाथ-पैरों में सूजन, पेट-पैर में दर्द, कमर दर्द, बुखार, भूख न लगना, कब्ज जैसी अन्य समस्याएं भी होती हैं।

वह कहते हैं, कुल मिलाकर माहवारी के समय स्त्री का स्वास्थ्य विशेष देखभाल की मांग करता है। उसे आराम की जरूरत होती है, जिसे पितृ सत्तात्मक समाज नहीं समझता। स्त्री के इस प्राकृतिक नियम को समाज उसकी कमजोरी मानता है जो कि उनकी सोच की विकृति है। पीरियड के दिनों में महिलाओं को धार्मिक कार्य करने की किसी प्रकार से मनाही नहीं होनी चाहिए।

फिरोजपुर झिरका की कानून की विद्यार्थी निशात रून कहती हैं कि यह शुरुआत हर घर के लिए जरूरी है। हमें सचमुच इन दिनों में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। मेवात जैसे हमारे क्षेत्र में जहां सेनेटरी पैड का नाममात्र प्रयोग होता है, वहां सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन के पीरियड चार्ट से जरूर बदलाव आएगा।

नूंह निवासी पूजा का कहना है कि पीरियड चार्ट में मेरा व मेरी मम्मी दोनों की माहवारी की तारीख है। हम बहुत सहज महसूस कर रहे हैं । हमारे भाइयों ने भी इस चार्ट को देखा है। सेल्फी विद डाटर सिग्नेचर अभियान की ब्रांड एंबेसडर अनवी अग्रवाल का कहना है कि हमारे फाउंडेशन का यह अभियान नई सामाजिक क्रांति लेकर आएगा। जैसे घरों के बाहर लड़कियों के नाम की नेम प्लेट लगाने का अभियान पूरे देश में पसंद किया गया, वैसे ही यह अभियान देश भर में इस विषय पर सहज संवाद शुरू करेगा।

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