The Emergency 1975 Memories: हिसार जेल में बंद रही एक ही परिवार की तीन पीढ़ियां, याद ताजा कर आज भी सिहर उठते हैं पीएल गोयल

The Emergency 1975 Memories 25 जून 1975 को लगे आपातकाल के दौरान एक ही परिवार की तीन पीढ़ियां जेल में बंद रही। पौत्र को गिरफ्त में लेने के लिए दादा पिता और चाचा को भी पकड़ लिया गया। उन पर मीसा लगाया गया।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 08:44 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 09:18 AM (IST)
The Emergency 1975 Memories: हिसार जेल में बंद रही एक ही परिवार की तीन पीढ़ियां, याद ताजा कर आज भी सिहर उठते हैं पीएल गोयल
आपातकाल में जेल में बंद रहे पीएल गोयल की फाइल फोटो।

बिजेंद्र बंसल, नई दिल्ली। 'The Emergency 1975 Memories: 25 जून 1975 को देशभर में लगे आपातकाल के बाद अनेक लोग आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा)-1971 के तहत बंदी बनाए गए। कई जगह तो बंदियों को मीसा के बारे में जानकारी भी नहीं थी। कांग्रेस ने आपातकाल पर खेद व्यक्त किया है तो भाजपा इसे भारतीय इतिहास में काला अध्याय मानती है।

मीसा में बंदियों पर हुए अत्याचारों की लंबी फेहरिस्त है। हरियाणा की हिसार सेंट्रल जेल में भिवानी के एक परिवार की तीन पीढ़ियों के लोग भी मीसा के तहत बंदी बनाए गए। दादा, पिता, चाचा के साथ पौत्र भी जेल में बंद रहे। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हुए पीएल गोयल आपातकाल के दंश की यह कहानी सुनाते हुए बताते हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल स्वहित के लिए लगाया था। देश की आंतरिक सुरक्षा का इससे कोई लेना-देना नहीं था। उन दिनों की याद ताजा कर वह आज भी सिहर उठते हैं।

आपातकाल से कुछ ही दिन पहले ही आया था न्यायिक अधिकारी की परीक्षा का परिणाम

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) पीएल गोयल का कहना है, मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडलिस्ट कानून स्नातक हूं। 1975 में पहली ही बार में हरियाणा न्यायिक सेवा के लिए चयनित हो गया। बस, स्वास्थ्य जांच के बाद ज्वाइनिंग होनी थी। तभी 26 जून 1975 को पता चला कि देश में आपातकाल लागू हो गया है। शाम को मेरे घर पर मीसा के तहत मेरी गिरफ्तारी का वारंट पहुंच गया। परिवार में सबको पता था कि यह सब तत्कालीन सीएम बंसीलाल की नाराजगी की वजह से हुआ है।

असल में 1972 का विधानसभा चुनाव चौधरी देवीलाल ने बंसीलाल के खिलाफ लड़ा था। तब हमारे परिवार ने चौधरी देवीलाल का साथ दिया था। मैं परिवार की सहमति से और पुलिस से छ़ुपकर उसी रात दिल्ली पहुंच गया। वहां से कलकत्ता (अब काेलकाता) चला गया। पीछे से पुलिस ने मेरी पूछताछ के लिए मेरे दादा मंगतराय वैद्य, पिता रामप्रताप और चाचा रामनिवास गोयल को हिरासत में ले लिया।

बकौल पीएल गोयल, परिवार के लोगों ने मेरा पता नहीं बताया तो दादा, पिता और चाचा को भी मीसा के तहत जेल भेज दिया। यह खबर सुनकर मैं 13 जुलाई को वापस भिवानी पहुंचा और मुझे भी दादा, पिता और चाचा के साथ जेल में बंद कर दिया। दादाजी और चाचाजी को तो छह माह के बाद छोड़ दिया मगर मैं और मेरे पिता आपातकाल के दौरान करीब 19 माह जेल में रहे। जेल में हमारे साथ भाई महावीर, चौधरी जगन्नाथ, मूलचंद जैन,बलवंत राय तायल, बिरला ग्रुप के मैनेजर मुरलीधर डालमिया, प्रोफेसर प्रेमचंद जैन सहित ओमप्रकाश चौटाला भी मीसा में बंद रहे।

जेल में चौटाला भरते थे मीसा बंदियों के मटके

पीएल गोयल बताते हैं कि उनके साथ जेल में करीब छह माह बाद ओमप्रकाश चौटाला भी आ गए थे। चौटाला बहुत ही मिलनसार थे। बंदियों के बीच सियासी चर्चा में खूब हिस्सा लेते थे। हमें काफी दिन बाद पता चला कि जेल में मीसा बंदियों के बैरक में रखे पानी के मटके सुबह ओमप्रकाश चौटाला भरते थे।

गोयल बताते हैं कि एक रात उन्होंने अपने बैरक में रखे मटके का पूरा पानी पी लिया था और सुबह वे बैरक के बाहर ही सैर करने चले गए थे। वापस आए तो देखा कि मटका पानी से भरा हुआ था। हालांकि तब तक जेल बैरक में पानी भरने वाले भी नहीं आए थे। इसके बारे में आपस में पूछताछ की तो पता चला कि ओमप्रकाश चौटाला चूंकि सुबह चार बजे उठ जाते हैं, इसलिए वे ही सबके मटके भरने का काम करते हैं। इसके बाद से मीसा बंदियों में चौटाला के प्रति आस्था और बढ़ गई थी।

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