आखिर पुराने वाहनों के सड़क पर दौड़ने से जो प्रदूषण फैलता है, उसकी मार आमजन क्यों झेले?

सुप्रीम कोर्ट ने तो 2018 से ही एनसीआर में ऐसे वाहनों के चलने पर रोक लगाई हुई है। एनसीआर में दौड़ने वाले निर्धारित समय सीमा पूरी कर चुके वाहन जब्त करने का निर्णय एकदम सही है एक-तिहाई से ज्यादा प्रदूषण तो यही फैलाते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 12:14 PM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 12:14 PM (IST)
आखिर पुराने वाहनों के सड़क पर दौड़ने से जो प्रदूषण फैलता है, उसकी मार आमजन क्यों झेले?
खैर देर से ही सही, पर दुरुस्त निर्णय।

पंचकूला, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानि एनसीआर में दौड़ने वाले दस साल से पुराने डीजल व 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को लेकर हरियाणा सरकार सख्त हो गई है। ऐसे वाहन सड़क पर दिखते ही जब्त किए जाएंगे। ये कदम सही भी है। आखिर कंडम वाहनों के सड़क पर दौड़ने से जो प्रदूषण फैलता है, उसकी मार आमजन क्यों झेले? क्यों उसके स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो?

वैसे भी हरियाणा के 22 में से 14 जिले तो एनसीआर क्षेत्र में ही हैं। हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर और पंचकूला ही तो सिर्फ इससे बाहर हैं। फिलहाल हालत ये है कि प्रदेश के एनसीआर के जिलों में करीब छह लाख वाहन निर्धारित समय सीमा पूरी कर चुके हैं। इनमें भी डीजल वाहनों की संख्या ज्यादा है। ये वाहन एनसीआर की हवा में प्रदूषण रूपी जहर घोल रहे हैं।

वैसे भी बढ़ते प्रदूषण से संबंधित मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सामने आया था कि एनसीआर में प्रदूषण की असल वजह तो औद्योगिक इकाइयां व वाहन हैं। पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण तो महज दस फीसद है जबकि सारा ठीकरा उसी के सिर फोड़ा जाता है। यही नहीं, पर्यावरण प्राधिकरण प्रदूषण नियंत्रण (ईपीसीए) भी कह चुका है कि एनसीआर के कुल वायु प्रदूषण में वाहनों से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी करीब चालीस फीसद है।

इसमें भी खासकर डीजल वाहनों की। इसमें भी देखने वाली बात ये है रोहतक, गुरुग्राम समेत कुछ जिलों में तो कबाड़ में तब्दील हो चुके तिपहिया वाहन केरोसिन आयल व डीजल मिलाकर चलाए जा रहे हैं जो कि बेहद प्रदूषण फैलाते हैं। अभियान चलाकर ऐसे वाहनों को सबसे पहले सड़कों से हटाना होगा। वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने तो 2018 से ही एनसीआर में ऐसे वाहनों के चलने पर रोक लगाई हुई है। ये बात अलग है कि इस पर सख्ती से अमल नहीं हुआ। खैर देर से ही सही, पर दुरुस्त निर्णय।

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