हरियाणा के सियासी गलियारों में उपचुनाव के नतीजे की गूंज, नेता कर रहे अपने हिसाब से विश्‍लेषण

हरियाणा के सियासी गलियारों में ऐलानाबााद उपचुनाव के नतीजे की गूंज है। विभिन्‍न दल इसको लेकर विचार-विमर्श कर रहे हैं तो सभी नेता अपने - अपने हिसाब से इसका विश्‍लेषण कर रहे हैं। सभी पार्टियां मिले मतों के प्रतिशत के हिसाब से अपने आकलन कर रही हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sun, 07 Nov 2021 12:49 PM (IST) Updated:Sun, 07 Nov 2021 12:49 PM (IST)
हरियाणा के सियासी गलियारों में उपचुनाव के नतीजे की गूंज, नेता कर रहे अपने हिसाब से विश्‍लेषण
कुमारी सैलजा, अभय चौटाला और दुष्‍यंत चौटाला। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के राजनीतिक गलियारों में ऐलनाबाद उपचुनाव के नतीज की गूंज है। इस नतीजे का हर कोई अपने-अपने ढंग से आकलन कर रहा है। कांग्रेस का हुड्डा खेमा जहां इस बात से खुश है कि सैलजा के प्रभाव वाले दलित बाहुल्य गांवों में पार्टी बुरी तरह से हारी है, वहीं उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भाजपा-जजपा गठबंधन को 60 हजार वोट मिलने से खासे उत्साहित हैं। उन्हें इस बात की भी खुशी है कि बिना प्रचार किए 25 से 30 हजार मतों के अंतर से जीत हासिल करने का दावा करने वाले अभय सिंह चौटाला की जीत का अंतर मात्र पौने सात हजार पर आकर अटक गया है।

हर राजनेता अपने-अपने ढंग से कर रहा जीत-हार और मिले मत प्रतिशत का आकलन

इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला पांचवीं बार विधायक बने अपने छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला का कृषि कानूनों के विरोध में दूसरी बार फिर इस्तीफा दिलाने को तैयार दिखाई दे रहे हैं, वहीं अभय सिंह के बेटे अर्जुन चौटाला ने दुष्यंत चौटाला पर यह कहकर तंज कस दिया कि हमने तो ऐलनाबाद जीत लिया, लेकिन अगर तुमसे हो सके तो उचाना को बचाकर दिखा दो। भाजपा की खुशी इस बात में है कि अभय सिंह चौटाला भले ही चुनाव जीत गए, लेकिन तकनीकी तौर पर उनकी हार हुई है। इसे साबित करने के लिए गृह मंत्री अनिल विज ने तीन कृषि कानूनों और गठबंधन को जनता द्वारा स्वीकार करने के तर्क भी दिए हैं।

परिवार की जंग में आरोपों का तड़का, हमने तो ऐलनाबाद जीत लिया, उचाना बचाकर दिखाओ

ऐलनाबाद ताऊ देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला के परिवार की परंपरागत सीट रही है। आज तक हुए चुनाव में यहां कांग्रेस सिर्फ दो बार चुनाव जीती है, जबकि भाजपा कभी फूल नहीं खिला पाई। 2019 के आम चुनाव के बाद यह पहला उपचुनाव था, जब देवीलाल के परिवार ने इस सीट को हथियाने के लिए सारे रिश्ते-मर्यादा ताक पर रखी दी।

भाजपा-जजपा-हलोपा गठबंधन के उम्मीदवार गोबिंद कांडा इनेलो के अभय सिंह चौटाला से पौने सात हजार मतों के अंतर से हार गए, जबकि कांग्रेस के पवन बैनीवाल की जमानत जब्त हो गई। कांग्रेस की इस बुरी दुर्गति पर पार्टी हाईकमान ने पूरी रिपोर्ट तलब की है, जो प्रदेश अध्यक्ष के नाते कुमारी सैलजा तैयार कर रही हैं।

हुड्डा समर्थकों के पास सैलजा की रिपोर्ट का जवाब तैयार

सैलजा की रिपोर्ट यही होगी कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनकी टीम ने पवन बैनीवाल के लिए काम नहीं किया, लेकिन पता चला है कि हुड्डा खेमा एक दूसरी रिपोर्ट तैयार कर रहा है, जिसमें करीब तीन दर्जन ऐसे गांव चिन्हित किए गए हैं, जो दलित बाहुल्य हैं। दलील दी जा सकती है कि सैलजा के सिरसा संसदीय क्षेत्र से सांसद रहने के बावजूद इन गांवों में कांग्रेस का डिब्बा गोल रहा है। यदि पवन बैनीवाल की बजाय भरत बैनीवाल को टिकट मिलता तो कांग्रेस मुकाबले में होती।

हलोपा विधायक गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा 60 हजार से ज्यादा मत मिलने पर खुश हैं और इशारा करते हैं कि वह हार कर भी जीत गए हैं। गोपाल एक सवाल भी हवा में उछालते हैं। वह कहते हैं कि अभय से ही पूछ लो कि वह कैसे जीते हैं। गोबिंद कांडा के इस सवाल के सियासी मतलब हैं, जो किसी राजनीतिक सेटिंग की तरफ इशारा कर रहे हैं।

कम होने की बजाय बढ़ती जा रही परिवार की रार

चौटाला परिवार की रार को आगे बढ़ाते हुए उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कह रहे हैं कि हर गांव और हर बूथ पर भाजपा-जजपा गठबंधन के वोट बढ़े हैं। हार जीत लगी रहती है, लेकिन जो लोग (अभय सिंह) 25 से 30 हजार मतों के अंतर से जीतने का ख्वाब बुन रहे थे, वह साढ़े छह हजार की जीत के अंतर पर सिमट गए हैं। इसका मतलब यह हुआ कि तीन कृषि कानूनों का विरोध नहीं है।

अभय सिंह के बेटे अर्जुन चौटाला अपने भाई दुष्यंत पर वार करते हैं। अर्जुन कहते हैं कि मेरे पिता को सबने मिलकर घेरा। कांग्रेस में गठबंधन के साथ मिल गई, लेकिन अभय सिंह हर चक्रव्यूह तोड़ते चले गए। हमने तो लोगों के बूते ऐलनाबाद जीत लिया, लेकिन अब दुष्यंत अपने उचाना हलके को बचाकर दिखा दें।

भाजपा की ओर से गृह मंत्री अनिल विज ने दावा किया है कि नैतिकता और तकनीकी आधार पर देखा जाए तो पौने सात हजार की जीत कोई जीत नहीं है। इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला ने यह कहकर कि अगर किसान चाहेंगे तो मैं अपने बेटे को दोबारा फिर इस्तीफा देने के लिए कहूंगा, नई सियासी चर्चाओं को जन्म दे दिया है। अभय सिंह ने भी अपने पिता की बात पर मुहर लगाई है।

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