Stubble Management : गोवंश के लिए पराली बनेगी चारा, हरियाणा में गोसेवा आयोग देगा प्रति एकड़ 500 रुपये

Stubble Management हरियाणा में पराली का इस्तेमाल चारे सहित अन्य कार्यों में करने के लिए गोशालाओं को प्रति एकड़ 500 रुपये दिए जाएंगे। पराली प्रबंधन के लिए पहले ही सरकार एक हजार रुपये प्रति एकड़ दे रही है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 10:35 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 10:35 AM (IST)
Stubble Management : गोवंश के लिए पराली बनेगी चारा, हरियाणा में गोसेवा आयोग देगा प्रति एकड़ 500 रुपये
हरियाणा में पराली बनेगा गोशालाओं के लिए चारा। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में किसानों को पराली (धान के फसल अवशेष) प्रबंधन में मदद कर रही प्रदेश सरकार गोशालाओं में भी पराली के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में जुटी है। पराली का इस्तेमाल चारे सहित अन्य कार्यों में करने के लिए गोशालाओं को प्रति एकड़ 500 रुपये दिए जाएंगे। किसानों को पराली प्रबंधन के लिए पहले ही एक हजार रुपये प्रति एकड़ दिए जा रहे हैं।

गोशालाओं में पराली के इस्तेमाल से न केवल किसानों की बड़ी समस्या खत्म होगी, बल्कि उनके लिए कमाई के रास्ते भी खुलेंगे। प्रदेश में 582 पंजीकृत गोशालाएं हैं जिन्हें अक्सर चारे की कमी से जूझना पड़ता है। इसकी भरपाई पराली के जरिये की जाएगी। गोसेवा आयोग ने सभी गोशालाओं में चारा का प्रबंधन करने के लिए निर्देश दिए हैं। सिरसा, फतेहाबाद, अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल व करनाल सहित अन्य जिलों की गोशालाओं को संबंधित जिला कृषि कार्यालय से संपर्क कर पंजीकरण कराने और पराली प्रबंधन के लिए टास्क फोर्स से समन्वय बनाने को कहा गया है, ताकि किसी भी गोशाला में चारे की कमी न रहे।

गोसेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण कुमार गर्ग ने बताया कि सरकार की पहल पर आयोग द्वारा पंजीकृत गोशालाओं को पराली लाने के लिए 500 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह राशि अधिकतम 15 हजार रुपये निर्धारित की गई है। प्रदेश के 13 जिले ऐसे हैं जहां धान का उत्पादन होता है। इनमें पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, सिरसा, फतेहाबाद, यमुनानगर, पलवल, पानीपत, जींद, सोनीपत जिले शामिल हैं। पराली जलाने के लिहाज से 199 गांवों को रेड तो 723 गांवों को आरेंज व येलो जोन में शामिल किया गया है।

कृषि विभाग ने पराली प्रबंधन के लिए दिए 250 करोड़

कृषि विभाग ने किसानों को पराली प्रबंधन में मदद के लिए 250 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। किसानों को कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी जा रही है, ताकि वे पराली और फानों को खेत में ही नष्ट कर सकें। इसके अलावा 50 फीसद सब्सिडी पर आर्गेनिक दवा दी जा रही है जिसके छिड़काव से फाने और पराली की खुद ही खाद भी बन जाएगी। पराली प्रबंधन के लिए विभिन्न उद्योगों और गोशालाओं से संपर्क किया गया है, ताकि पराली का सही तरीके से प्रयोग किया जा सके।

पराली प्रबंधन में कारगर कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं

पराली प्रबंधन के लिए जल्द ही कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं जिनमें लगभग 40 लाख टन पराली की खपत हो जाएगी। कंप्रेस्ड बायोगैस (सीजीबी) प्लांट लगाने के लिए आइओसीएल से समझौता किया गया है। प्रतिदिन एक हजार टन सीजीबी उत्पादन की क्षमता वाली 200 परियोजनाओं में करीब 24 लाख मीट्रिक टन पराली की खपत होगी। आइओसीएल द्वारा 25 किलोमीटर के दायरे में दस साल के लिए यह सीजीबी खरीदी जाएगी। प्रदेश में 234 टन प्रतिदिन क्षमता के सीबीजी प्लांट स्थापित करने के लिए 24 फर्मों ने 38 परियोजना प्रस्ताव दिए हैं। इसके अलावा थर्मल प्लांटों व चीनी मिलों में भी पराली का उपयोग किया जाएगा।

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