ताऊ की वेबसाइट: सोनाली साकार नहीं कर पा रहीं सपना, पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें

बिग बास में हरियाणा की सोनाली फौगाट सपना चौधरी जैसा दम नहीं दिखा पा रही। हरियाणा के साप्ताहिक कालम ताऊ की वेबसाइट के जरिये राज्य की कुछ ऐसी ही रोचक व अंदर की खबरों पर नजर दौड़ाते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 31 Dec 2020 12:28 PM (IST) Updated:Thu, 31 Dec 2020 12:28 PM (IST)
ताऊ की वेबसाइट: सोनाली साकार नहीं कर पा रहीं सपना, पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें
बिग बास प्रतिभागी सोनाली फौगाट की फाइल फोटो।

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। जैसी धूम बिग बास (Bigg Boss) में सपना चौधरी (Sapna Choudhary) ने मचाई थी, वैसी धूम हरियाणा की भाजपा नेत्री सोनाली फौगाट (Sonali Faugat) बिग बास में नहीं मचा पा रही हैं। हिसार के आदमपुर में मार्केट कमेटी के सचिव को चप्पलों-थप्पड़ों से पीटने वाली सोनाली का नया रूप देखने को हरियाणवी टीवी के आगे बैठे रहते हैं, मगर उन्हेंं सोनाली की एंट्री से कोई खास मजा नहीं आ रहा। हरियाणवी डांसर सपना चौधरी जब सीजन 11 में बिग बास के घर में गई थी, तब अपने बिंदास अंदाज से सभी का दिल जीत लिया था। अब सोनाली पहली बार नामिनेट हुई हैं। बिग बास के घर में हालांकि किसी सेलीब्रिटी को फोन ले जाने की इजाजत नहीं होती, लेकिन उनके मोबाइल से एक वीडियो जारी हुआ है, जिसमें सोनाली अपने लिए वोट मांगती नजर आ रही हैं। यदि सोनाली घर में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा पाती तो शायद नामिनेट होने से बची रह सकती थीं।

अब फिर गाएं हम, सलामत रहे दोस्ताना हमारा

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की दोस्ती के बारे में तो आपने सुना ही होगा। एक समय आया कि दोनों की दोस्ती को नजर लग गई। हवा उड़ी कि दोस्ती में दरार की वजह आर्थिक है, लेकिन इसे आज तक कोई प्रमाणित नहीं कर पाया। विनोद शर्मा सरकार से अलग हो गए और कांग्रेस छोड़ दी। हरियाणा जनचेतना पार्टी के नाम से अलग दल बना लिया। भाजपा में जाने की भी कोशिश की, मगर बात नहीं बनी। आखिर पुरानी दोस्ती कितने दिन छिपी रह सकती थी। हुड्डा और शर्मा फिर चोरी-छिपे मिलने लगे। उसी प्रेम-प्यार का नतीजा है कि अंबाला में विनोद शर्मा की पत्नी मेयर का चुनाव जीत गई। कांग्रेस या यूं कहिये कि सैलजा की पसंद और कांग्रेस से बगावत कर डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाने वाले पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की उम्मीदवार क्यों हार गई, यह तो हुड्डा और सैलजा बेहतर जानते हैं।

ऐसे ही चौधरी नहीं हैं किरण

कांग्रेस विधायक दल की नेता रह चुकीं किरण चौधरी को हलके में लेना उनके राजनीतिक विरोधियों के लिए खतरे से खाली नहीं है। किरण चौधरी वह नेता हैं, जो हुड्डा सरकार में छीने गए अपने मंत्री पद को दो घंटे के भीतर कांग्रेस हाईकमान से वापस ले आई थी। उनका पता नहीं चलता कि कब हुड्डा के पक्ष में हैं और कब सैलजा के विरोध में। उनकी राजनीति की यही खासियत है। कांग्रेस हाईकमान ने किरण चौधरी को बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की 50वीं वर्षगांठ पर होने वाले कार्यक्रमों की कमेटी का सदस्य बनाया है। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी इस कमेटी के अध्यक्ष हैं और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह इसके सदस्य। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के समय इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं। इसी संग्राम के बाद बांग्लादेश अस्तित्व में आया था।

दुष्यंत की दूसरी उड़़ान

हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को आजकल उनके समर्थक आहें भर-भरकर याद कर रहे हैं। प्रदेश में जब किसान आंदोलन शुरू हुआ था, तब उसके कुछ दिन बाद दुष्यंत हरियाणा से बाहर किसी टूर पर चले गए थे। उनके समर्थकों ने फोन कर-करके उन्हेंं अपने बीच वापस बुला लिया। दुष्यंत हरियाणा पहुंचे। किसानों के अहित होने की स्थिति में अपने पद से इस्तीफा देने का बड़ा बयान दिया, कुछ दिन दिल्ली में रहे, केंद्रीय नेताओं से मिले। समर्थकों को लग गया कि अब सब कुछ सेट हो गया है। दुष्यंत गोटियां फिट कर फिर निजी यात्रा के लिए उड़ान भर चुके हैं। अब उनके समर्थक कह रहे कि नेताजी जब आएंगे, तब तक तो किसानों का मसला भी हल हो चुका होगा, वैसे भी यह केंद्र का सिरदर्द है । फिर यहां रहकर ही क्या करते। उनसे वे लोग भी इस्तीफा मांग रहे, जो कभी खुद चुनाव नहीं जीते हैं।

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