Reservation System: प्रतियोगी परीक्षा में 100% अंक, फिर भी हरियाणा में सामान्य श्रेणी की अभ्यर्थी को नहीं मिली नौकरी
हरियाणा में सामान्य श्रेणी की युवती को सौ फीसद अंक मिलने के बाद भी सामाजिक आर्थिक तौर पर दिए जाने वाला आरक्षण बाधा बन गया। अभ्यर्थी ने अब इस संबंध में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है।
चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। हरियाणा में यदि सामान्य श्रेणी का उम्मीदवार किसी नौकरी के लिए किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की लिखित परीक्षा में 100 प्रतिशत अंक प्राप्त करता है, तो भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि उम्मीदवार का चयन किया जाएगा। करनाल जिले की एक ऐसी ही एक अभ्यर्थी मोनिका रमन सौ फीसद अंक हासिल पाने के बाद राज्य की बिजली वितरण कंपनी में जूनियर सिस्टम इंजीनियर के पद पर नहीं चुनी गई तो उसने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की शरण ली है।
याची के वकील राजेंद्र सिंह मलिक की दलील है कि सामाजिक आर्थिक मानदंडों पर आरक्षण प्रदान करने वाली हरियाणा सरकार की अधिसूचना संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है जो योग्य अभ्यर्थी के बजाय अयोग्य को वरीयता देती है। याचिका पर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
रमन की याचिका में कहा गया है कि प्रतियोगी परीक्षा में शत-प्रतिशत अंक प्राप्त करने के बाद भी उसे नौकरी से वंचित करना समानता के संवैधानिक अधिकार का उलंघन है। याचिका में कहा गया है कि एचएसएससी ने डीएचबीवीएन के लिए जेएसई के 146 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन दिया था और अपेक्षित योग्यता निर्धारित की थी। चयन मानदंड के अनुसार 90 अंक की परीक्षा होनी थी और सामाजिक आर्थिक मानदंड में आने वालों को 10 अंक दिए जाने थे।
27 फरवरी को वह लिखित परीक्षा के लिए उपस्थित हुई थी जो आनलाइन आयोजित की गई थी और लिखित परीक्षा में कुल 90 अंकों में से 90 अंक हासिल किए थे। दस्तावेजों की जांच के लिए उसका नाम भी शामिल किया गया था, लेकिन 22 अप्रैल 2021 को अंतिम चयन सूची घोषित हुई तो उसका नाम नहीं था। उसे पता चला कि उसका चयन इसलिए नहीं हो सका, क्योंकि सामान्य वर्ग के कटआफ अंक 93 अंक थे और सामान्य वर्ग के लिए प्रतीक्षा सूची 92 अंक निर्धारित की गई थी, लेकिन राज्य सरकार द्वारा अपनाए गए सामाजिक आर्थिक मानदंडों के कारण याची को चयन सूची में जगह नहीं मिल सकी।
इस श्रेणी के तहत उन उम्मीदवारों को अतिरिक्त 10 अंक दिए जाते हैं जो विधवा, अनाथ या उम्मीदवार के परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है। दूसरी तरफ याची की अपेक्षा लिखित परीक्षा में 84 से 89 तक अंक हासिल करने वालों का, सामाजिक आर्थिक मानदंडों के तहत अतिरिक्त अंक देकर चयन कर लिया गया।
याची की तरफ से हाई कोर्ट से 11 जून 2019 की अधिसूचना को निरस्त करने की याचना की है, जिसके तहत सामाजिक आर्थिक मानदंडों के आधार पर दिए गए लाभ के कारण मेधावी उम्मीदवारों का चयन नहीं किया गया। याची ने जेएसई पद के लिए घोषित 22 अप्रैल, 2021 के परिणाम को रद करने की भी मांग की है। याची ने कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह न्याय के हित में एक मेधावी उम्मीदवार होने नाते उसे जेएसई के पद पर चयन के आदेश जारी करे।
पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें