Guru Purnima पर संतों ने दिया सीधा संदेश- सब हो जाओ लोकल पर वोकल

गुरु पूर्णिमा पर संतों ने लोगों के नाम बड़ा संदेश दिया है। उन्‍होंने कहा कि देश के लिए सभी एकजुट हो जाएं और लोकल पर वोकल हो जाएं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 10:57 AM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 02:01 PM (IST)
Guru Purnima पर संतों ने दिया सीधा संदेश- सब हो जाओ लोकल पर वोकल
Guru Purnima पर संतों ने दिया सीधा संदेश- सब हो जाओ लोकल पर वोकल

नई दिल्ली, जेएनएन। आज गुरु पूर्णिमा रविवार है। कोरोना संकट के चलते सार्वजनिक रूप से धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन तो नहीं हो र‍हे हैं, लेकिन धार्मिक गुरुओं व संतों ने लोगों को बड़ा संदेश दिया हैै। उन्‍होंने लोगों से देशहित में एकजुट होने और लोकल पर वोकल होने को कहा है। उन्‍होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में देशहित में कर्म करते हुए हुए स्वदेशी को अपनाने का संकल्प लें।

जागरण से बातचीत में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, आश्रम हरि मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव और सिद्धदाता आश्रम के गद्दीनशीन स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने सीधा सा संदेश दिया कि सब लोकल पर वोकल हो जाएं।

महामंडलेश्वरर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि भारत कृषि व ऋषि प्रधान देश रहा है। हमारे ग्रंथों में विश्व सद्भाव, प्राणियों के हित की बात कही गई है। गुरु पूर्णिमा मूलत: महर्षि वेद व्यास हमारी ऋषि परंपरा के प्रमुख ऋषि हैं। जिनके माध्यम से गीता, महाभारत, वेद-पुराण मुख्य ग्रंथ हम तक पहुंच पाए। आज भी कथा-सत्संग के आसन को व्यास आसन-व्यास पीठ का नाम देकर उसी परंपरा का सम्मान किया जाता है।

उन्‍होंने कहा कि मौजूदा परिवेश में प्रबल आवश्यकता है कि हम अपने राष्ट्र की इस परंपरा को पहचानें और साथ ही साथ राष्ट्र सम्मान, राष्ट्र गौरव, राष्ट्र स्वाभिमान को सामने रखते हुए स्वदेशी को अपनाएं, स्वदेशी के प्रति निष्ठा एवं जागरूकता को मुख्य कर्तव्य समझें। स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने इस मौके पर अपने पूज्य गुरुजी स्वामी गीतानंद महाराज (वीरजी) को याद करते हुए कहा कि हम सबको अपने गुरु के आदेशों, उनके बताए मार्ग व नियमों का पालन करना चाहिए, तभी हम सनमार्ग पर चल सकते हैंं।

आश्रम हरि मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव ने कगुरु का काम अपने शिष्य को अंधकार से निकाल कर प्रकाश की ओर ले जाना, पतन से बचाना, जीवन जीने का ढंग सिखाना है। जीवन के हर मोड़ पर शिष्य का मार्गदर्शन करे, हमारे धर्म और धार्मिक ग्रंथों का भी यही सार है।

उन्‍होंने कहा कि चीन के साथ हमारे देश की तनातनी वाले मौजूदा परिवेश में आैर कोरोना संकट में हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी का नारा दिया है। वैसे हमारी संस्कृति वसुदैव कुंटुंबकम की है यानी पूरा संसार हमारा परिवार है, इसलिए सबका कल्याण हो, पर जब बात देश की आती है, तो जिस माटी पर, धरा पर हम रहते हैं, तो उसकी रक्षा हम सब देशवासियों का कर्तव्य है।

उन्‍होंने कहा कि इस गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सभी गुरुजनों का अपने शिष्यों के नाम यही संदेश होना चाहिए कि अपने देश की खातिर स्वदेशी को अपनाओ। बेशक हमारे देश में बनी चीजें चीन के मुकाबले महंगी हैं, पर गुणवत्ता के मामले में उनसे बेहतर हैं। और अगर महंगी भी हैं, तो देश की खातिर कड़वे घूंट पीना ही चाहिए। शरीर को बचाने की खातिर भी तो हम सब कड़वी दवा पीते हैं। देश है तो हम हैं। कोरोना में भी तो अपना स्वदेशी काढ़ा ही इंसान की जान बचा रहा है।

श्री सिद्धदाता आश्रम के अधिपति स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने कहा कि इस गुरु पूर्णिमा हमारा सभी धर्मावलंबियों से आग्रह है कि वह देश को विश्वगुरु बनाने की दिशा में प्रयत्न करें। इसके लिए हम स्वदेशी को अपना हथियार बना सकते हैं। आज चीन के साथ तनातनी के बीच देश के लोगों में चीनी वस्तुओं के विरोध के स्वर भी फूटते नजर आते हैं। लेकिन मैं कहता हूं कि इस विरोध को चीन से भी आगे ले जाएं।

उन्‍होंने कहा कि हमें जरूरत है कि चीन आदि देशों के विरोध के बजाय स्वदेशी को प्रश्रय दें। स्वदेशी वस्तु, तकनीक, संसाधन, कंपनी, संस्कारों पर जोर दें। उन्हें अपनाएं तो भारत हर क्षेत्र में तरक्की करेगा। जब हमारे अपने उत्पाद होंगे, उनका उपयोग होगा तो देश की मुद्रा देश में रहेगी और भारत का सकल घरेलू उत्पाद भी तेजी से बढ़ेगा।

गुरु द्रोण के नाम पर है गुरुग्राम

गुरुग्राम का नाम हिंदू ग्रंथो में भी मिलता है। यहीं पर गुरु द्रोणाचार्य ने पांडव और कौरव को शिक्षा दी थी। शहर का पुराणिक नाम गुरुग्राम है, अर्थात गुरु (द्रोणाचार्य) का ग्राम। पहले इसका नाम गुरु गांव था। फिर गुड़गांव के नाम से जाना जाने लगा। महाभारत काल में राजा युधिष्ठिर ने गुरुग्राम को अपने धर्मगुरु द्रोणाचार्य को उपहार स्वरूप दिया था और आज भी उनके नाम पर शीतलामाता मंदिर एक तालाब के भग्नावशेष के रूप विद्यमान हैं।

गुरु गांव के बाद इसका नाम गुड़गांव पड़ गया। इस जिला की स्थापना हरियाणा के गठन के समय ही जिले के रूप में एक नवंबर 1966 को की गई थी। वर्ष 2016 में तत्कालीन मनोहर लाल खट्टर सरकार ने फिर से इस जिले का नाम गुरुग्राम कर दिया था। 

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