Haryana-UP सीमा विवाद का समाधान फिर लटका, उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव तक मामला टला

Haryana-UP Border Dispute हरियाणा और उत्‍तर प्रदेश के बीच सीमा विवाद का समाधान फिर लटक गया है। अब यह मामला उत्‍तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव तक टल गया है। इस मामल में अब उत्‍तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के बाद ही फैसला होगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 08 Sep 2021 10:02 AM (IST) Updated:Wed, 08 Sep 2021 10:02 AM (IST)
Haryana-UP सीमा विवाद का समाधान फिर लटका, उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव तक मामला टला
हरियाणा-उत्‍तर प्रदेश के सीमा विवाद का मामला फिलहाल टल गया है। (फाइल फोटो)

बिजेंद्र बंसल ,नई दिल्ली। Haryana-UP Border Dispute: हरियाणा-उत्तर प्रदेश सीमा विवाद का समाधान एक बार फिर लटक गया है। इससे उत्तर प्रदेश से लगते हरियाणा के छह जिलों में से पांच जिलों के किसान काफी परेशान हैं। इन किसानों की समस्या यह है कि वे 42 साल से हर साल एक ही समस्या से जूझते हैं। यह मामला अब उत्‍तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव तक टल गया है। अब उप्र विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) के बाद ही इसका समाधान होगा।

उत्तर प्रदेश से लगते छह में से पांच जिलों के किसान सीमा विवाद से हैं परेशान

बता दें कि 15 सितंबर 1975 को दीक्षित अवार्ड के तहत दोनों राज्यों की सीमा तय कर दी गई थीं। इसके बाद 1979 में यह निर्णय हुआ था कि दोनों राज्यों की सीमा को चिन्हित कर तारबंदी की जाएगी। वर्षो से लटक रहे तारबंदी के निर्णय को सिरे चढ़ाने के लिए दोनों राज्यों के सीएम की 14 दिसंबर 2019 को लखनऊ में बैठक हुई।

यमुना का बहाव बदलने से किसानों का फसल को लेकर शुरू हो जाता है टकराव

इस बैठक में सहमति बनी कि सीमा विवाद सुलझाने के लिए यमुना के किनारे दोनों राज्यों की सीमा का सर्वे भारतीय सर्वेक्षण विभाग से कराया जाए। सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार ही सीमा पर पिलर लगाने का काम शुरू किया गया। इससे यमुना का बहाव बदलता भी तो पिलर से यह पहचान हो जाती कि वह भूखंड किस राज्य का है। लेकिन सीमा पर पिलर लगाने का काम पूरा नहीं हो पा रहा है। फिलहाल उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को काम रोकने का सबसे बड़ा कारण बताया गया है।

इस संबंध में हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का कहना है हमने पुराने विवाद को सुलझाने के लिए सार्थक पहल की है। पिलर लगने के बाद यदि यमुना का बहाव भी बदलता है तो जमीन पहचाने में कोई समस्या नहीं आएगी। इसका कारण है कि पिलर इतने ऊंचे होंगे कि उनसे निशानदेही करना आसान होगा।

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