ये हैं रीयल लाइफ के ‘बजरंगी भाईजान’, हरियाणा पुलिस के एएसआइ राजेश कुमार परिवारों से मिलाए 600 बिछुड़े

द बेटर इंडिया ने हरियाणा पुलिस के एएसआइ राजेश कुमार के समर्पण को ‘बुक आफ होप’ के जरिये दुनिया के सामने रखा। रीयल हीरो ने 20 राज्यों और तीन देशों के बिछुड़े बच्चों महिलाओं और बुजुर्गों को ढूंढ़कर उनके घरों तक पहुंचाया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 04:02 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 04:02 PM (IST)
ये हैं रीयल लाइफ के ‘बजरंगी भाईजान’, हरियाणा पुलिस के एएसआइ राजेश कुमार परिवारों से मिलाए 600 बिछुड़े
एंटी ह्यूमन ट्रेफिकिंग यूनिट में तैनात एएसआइ राजेश कुमार। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। सलमान खान अभिनीत फिल्म बजरंगी भाईजान ने बालीवुड में खूब धूम मचाई थी, जिसमें नायक छोटी सी मुन्नी को उसके परिजनों तक पहुंचाता है। कुछ ऐसा ही नेक काम रीयल लाइफ में कर रहे हैं हरियाणा पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) के एएसआइ राजेश कुमार।

राजेश कुमार पिछले पांच वर्षों में 600 से अधिक लापता लोगों को ढूंढ़कर उनके परिवारों से मिलवा चुके हैं।एएसआइ राजेश ने अब तक 20 से अधिक राज्यों और तीन देशों में परिजनों से बिछुड़े बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को उनके घरों तक पहुंचाया है। हाल ही में द बेटर इंडिया ने उनके प्रयासों को अपने नवीनतम प्रकाशन ‘बुक आफ होप’ में प्रकाशित किया है।

एएसआइ राजेश कुमार की फाइल फोटो। 

इससे पहले गार्जियन, गल्फ न्यूज, एशिया सहित विभिन्न भारतीय समाचार चैनलों तथा अंतरराष्ट्रीय मीडिया सहित कई उल्लेखनीय व्यक्तित्वों और प्रकाशनों ने उनके नेक कार्यों व सराहनीय प्रयासों को मान्यता दी है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने पिछले साल ट्वीट करते हुए लिखा था कि ‘भारत को ऐसे दयालु और बहादुर पुलिसकर्मियों की जरूरत है। मैंने अभी एएसआइ राजेश कुमार से बात की है जो लापता बच्चों को फिर से परिवार से मिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मैंने उनसे कहा- खुद एक पुलिस कांस्टेबल का बेटा होने के नाते, पुलिस की इस तरह के कार्यों से मुझे बहुत गर्व होता है।’

पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार अग्रवाल ने भी उनके प्रयासों और समर्पण भाव की सराहना की है। राष्ट्रीय स्तर के प्रकाशन ने हाल ही में अपनी नवीनतम पुस्तक में राजेश की ‘रियूनाइटिंग’ कहानियों को चित्रित किया है। डीजीपी ने कहा कि राजेश जैसे पुलिस कर्मियों ने जन सेवा करने की तर्ज पर अपने कर्तव्य से आगे बढ़ते हुए सक्रिय पुलिसिंग की एक मिसाल कायम की है। वर्षों या महीनों के बाद परिवार के एक लापता सदस्य को वापस पाने से ज्यादा उम्मीद या खुशी और क्या हो सकती है। उनकी कहानियां निश्चित रूप से ‘बुक आफ होप’ के पाठकों के लिए भी प्रेरणादायक होंगी।

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