रणजीत चौटाला ने परिवार के सदस्यों को सुनाई खरी-खरी, कहा- वोट और पहचान दोनों देवीलाल की देन
हरियाणा में चौटाला परिवार में एक-दूसरे पर आरोपों का दौर चल रहा है। इस पर बिजली मंत्री रणजीत चौटाला ने परिवार के सदस्यों को नसीहत दी है। कहा कि परिवार के सदस्य किसी खुशफहमी में न रहें वोट व पहचान देवीलाल की देन है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के बिजली एवं जेल मंत्री चौधरी रणजीत चौटाला अपनी खरी-खरी बातें कहने के लिए मशहूर हैं। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह उनकी कही हुई बात का क्या मतलब निकलेगाा। राजनीति में सही को सही और गलत को गलत कहना उनकी पहचान बन चुकी है। ऐलनाबाद उपचुनाव के नतीजों के बाद रंजीत चौटाला ने कहा है कि चौधरी देवीलाल के परिवार का कोई सदस्य किसी खुशफहमी में न रहे। उन्हें अगर वोट और पहचान मिल रही है तो वह स्व. देवीलाल की वजह से ही मिल रही है।
इस परिवार से हाल ही में पांच विधायक विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। रणजीत चौटाला सिरसा जिले की रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक हैं। कांग्रेस के सांसद रह चुके रंजीत चौटाला को जब रानियां से टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय चुनाव में कूद गए और जीत हासिल कर ली। अब रणजीत चौटाला की मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार में पावरफुल मंत्रियों में गिनती होती है।
रणजीत चौटाला अपने परिवार के सदस्यों के बीच चल रही लड़ाई से काफी आहत हैं, लेकिन किसी का समर्थन या विरोध कर वह विवादित नहीं होना चाहते। परिवार की लड़ाई से जुड़े सवाल पर रणजीत चौटाला कहते हैं कि 2019 के चुनाव में स्व. देवीलाल के परिवार से पांच विधायक चुनकर आए। पहले भी चुने जाते रहे हैं और आगे भी चुने जाते रहेंगे, लेकिन भले ही उनका अपना कोई असर और प्रभाव हो, लेकिन इस सच्चाई को कतई नकारा नहीं जा सकता कि सभी को देवीलाल के किए कामों की बदौलत वोट मिलते हैं।
चौटाला उपनाम पर परिवार के सदस्यों के बीच चल रही लड़ाई पर रणजीत कुछ नहीं बोले, लेकिन उन्होंने इतना कहा कि जब मेरे और ओमप्रकाश चौटाला के बीच विवाद की स्थिति बन रही थी, तब हमारे पिताजी देवीलाल ने सुलह कराने की बहुत कोशिश की, लेकिन नहीं हो पाई। बड़े भाई ओमप्रकाश चौटाला ने अलग रास्ता पकड़ा और मैंने अलग रास्ता चुना। आज मैं और दुष्यंत चौटाला सरकार में साझीदार हैं। बाकी लोग अपने-अपने ढंग से स्व. देवीलाल की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। यदि तीन दिन चुनाव और देरी से होते तो हम ऐलनाबाद जीतने जा रहे थे। तमाम तरह के विरोध और साजिशों के बावजूद गठबंधन के उम्मीदवार का 60 हजार वोट लेना बड़ी बात है।
रणजीत चौटाला पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेहद करीबी रहे हैं। पार्टी छोड़ने के बावजूद वह हुड्डा की इज्जत करते हैं। रणजीत चौटाााला का कहना है कि कांग्रेस में आज सिर्फ एक ही नेता है और वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा है। यदि हुड्डा अकेले अपने दम पर भी चुनाव लड़ें तो आज प्रदेश में 15 से 17 विधायक अकेले लाने का दम रखते हैं। प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा का राज्य में कोई जनाधार या पहचान नहीं है। ऐलनाबाद के चुनाव में सैलजा जब गांवों में जाती थी तो लोग पूछते थे कि यह महिला कौन है।
जाट और गैर जाट राजनीति से जुड़े सवाल पर रंजीत चौटाला ने बेहद सधा हुआ जवाब दिया। उन्होंने कहा कि आइएएस और आइपीएस की परीक्षाओं में 781 युवाओं ने बाजी मारी है। इनमें जाट समुदाय के बच्चे 42 हैं। इससे पता लग जाना चाहिए कि जाट युवाओं में मेहनत करने की आदत है और वह अपनी प्रतिभा के दम पर बहुत ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं।