राम रहीम को उम्रकैद की सजा में है यह खास बात, जानिये जज ने फैसले में क्‍या कहा

गुरमीत राम रहीम को रामचंद्र हत्‍याकांड में सीबीआइ कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा में ऐसी खास बात है कि वह अब खुली दुनिया में नहीं आ सकेगा। उसे पूरी जिंदगी जेल में बितानी पड़ेगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Fri, 18 Jan 2019 09:10 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jan 2019 09:12 AM (IST)
राम रहीम को उम्रकैद की सजा में है यह खास बात, जानिये जज ने फैसले में क्‍या कहा
राम रहीम को उम्रकैद की सजा में है यह खास बात, जानिये जज ने फैसले में क्‍या कहा

पंचकूला, [राजेश मलकानियां]। राम रहीम को अब शायद ही कभी खुली दुनिया में आ सके और पूरी जिंदगी उसे सलाखों के पीछे ही गुजारनी पड़ेगी। विशेष सीबीआइ अदालत द्वारा उसे पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में सुनाई गई सजा में ऐसी खास बात है जो गुरमीत की कभी बाहर अाने की उम्‍मीदों को झटका देती है। जज जगदीप सिंह ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सुनाई गई उम्रकैद की सजा में खास व्‍यवस्‍था दी है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि दो साध्वियों के यौन शोषण केस में पहले मिली बीस साल की सजा पूरी होने के बाद रामचंद्र हत्या मामले की उम्रकैद शुरू होगी।

इस तरह गुरमीत जब 70 साल का हो जाएगा तो उसकी उम्रकैद की सजा शुरू होगी। गुरमीत को 28 अगस्‍त 2017 में दो साध्वियों से दुष्‍कर्म के लिए 20 साल की सजा सुनाई गई थी तो इसमें स्‍पष्‍ट किया गया था कि उसे पूरे 20 साल जेल में बिताने पड़ेंगे। उस समय गुरमीत की उम्र 50 साल थी। इस तरह गुरमीत 70 साल का होगा तो उसकी यह सजा पूरी होगी। गुरमीत की जन्‍मतिथि15 अगस्‍त 1967 है।

इस तरह गुरमीत जब 70 साल का होगा तो उसकी उम्रकैद की सजा शुरू होगी। इसके साथ ही अभी रंजीत हत्‍याकांड और साधुओं को नपुंसक बनाने के मामलों में भी फैसला आना है। रामचंद्र हत्‍याकांड में अदालत ने तीन अन्य दोषियों निर्मल, कुलदीप और कृष्ण लाल को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है। चारों को को साजिश और हत्या पर उम्रकैद एवं 50-50 हजार रुपये जुर्माना एवं निर्मल सिंह और कृष्ण लाल को आर्म्‍स एक्ट में तीन साल की कैद एवं पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है। गुरमीत और तीनों अन्य अभियुक्तों को अदालत ने 11 जनवरी को दोषी ठहराया था।

पांच घंटे की लंबी सुनवाई के बाद सीबीआइ जज का फैसला, पत्रकार छत्रपति को 16 साल बाद मिला मिला न्याय

बृहस्पतिवार सुबह लगभग दस बजे सीबीआइ की विशेष अदालत के जज जगदीप सिंह पहुंचे। साथ ही बचाव पक्ष और सीबीआइ के वकीलों के अलावा रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल, राम रहीम का पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह अदालत में पहुंच गए। दोपहर बाद लगभग दो बजे सजा पर सुनवाई शुरू हुई।

सीबीआइ के वकील एचपीएस वर्मा ने गुरमीत को फांसी की सजा देने की मांग की। उन्होंने दलील दी कि गुरमीत ने एक पत्रकार की हत्या करके सच को दबाने की कोशिश की। साध्वियों का यौन शोषण और बहुत से अपकृत्य गुरमीत ने किए हैं। बचाव पक्ष के वकील ने गुरमीत पर रहम की याचना करते हुए कहा कि राम रहीम ने कई अच्छे काम किए हैं, गरीब लड़कियों की शादी, रक्तदान सहित उन्होंने कई ऐसा कामों का उल्लेख किया।

दो पक्षों की ओर से लगभग तीन घंटे तक दलीलें सुनने के बाद जज जगदीप सिंह ने सवा पांच बजे वकीलों को बाहर भेज दिया। लगभग डेढ़ घंटे तक जज जगदीप सिंह ने फैसला लिखवाने के बाद सायं 6.25 बजे आदेश सुना दिया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश गुरमीत पूरी सुनवाई के दौरान सिर झुका कर खड़ा रहा। कैदियों वाले कपड़े पहने गुरमीत ने जैसे ही उम्रकैद की सजा सुनी उसके आंसू टपक पड़े। अन्य दोषी भी अंबाला जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही में पेश हुए थे।

मुआवजे पर कोई आदेश नहीं

सीबीआइ के वकील एचपीएस वर्मा ने बताया कि पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के परिवार को मुआवजा देने की बात आई थी, परंतु इसे लेकर अदालत ने कोई आदेश नहीं दिया है।

बेटे ने कहा, हम संतुष्ट

रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने गुरमीत को मिली सजा पर संतुष्टि जताई। बोले, गुरमीत को उसके कर्मों की सजा मिल गई है। जज जगदीप सिंह ने इंसाफ किया है। हमें 16 साल बाद इंसाफ मिला है। पूरे परिवार को सुकून मिला है।

रामचंद्र छत्रपति की सिरसा में उनके  घर के बाहर 24 अक्टूबर 2002 को पांच गोलियां मारी गई थीं। बुरी तरह से घायल छत्रपति की 21 नवंबर 2002 को मौत हो गई थी।

13 पेज के फैसले में जज ने कहा, सच्ची जर्नलिज्म करना आसान नहीं

जज जगदीप सिंह ने अपने फैसले में पत्रकारिता की कठिनाइयों का भी जिक्र किया। उन्‍होंने लिखा, एक आधुनिक राज्य में चौथे स्तंभ के रूप में प्रेस को जाना जाता है। प्रेस आदर्श रूप से लोकतंत्र का प्रहरी है। जनमत को प्रभावित करने की अपनी विशाल क्षमता के कारण यह आमतौर पर स्वीकार किया जाता है कि किसी भी व्यक्ति या संगठन के कैरियर को बनाने की शक्ति है। पत्रकारिता एक गंभीर व्यवसाय है, जो सत्य की तलाश करने और रिपोर्ट करने की इच्छा को प्रज्वलित करता है और जैसे कि एक बेहतर समाज और दुनिया की जरूरत है। इस व्यवसाय में थोड़ा ग्लैमर है, कोई बड़ा इनाम नहीं है और पारंपरिक सांचे में यह मुख्य रूप से ईमानदारी से सार्वजनिक सेवा है।

विशेष सीबीआइ जज जगदीप सिंह ने फैसले में लिखा है, किसी भी ईमानदार और समर्पित पत्रकार के पास हमेशा सच्चाई को रिपोर्ट करना एक कठिन कार्य होता है, विशेष रूप से एक शक्तिशाली व्यक्ति के बारे में जिसे पार्टी की तर्ज पर राजनीतिक संरक्षण का प्राप्त हो। फैसले में जज ने लिखा है कि यदि पत्रकार प्रभावशाली लोगों के हिसाब से काम करे, तो इनाम मिलता है और यदि ईमानदारी से काम करे, तो उसे सजा मिलती है। जो लोग मना करते हैं वे अक्सर परिणाम का सामना करते हैं, कभी-कभी तो मौत तक भी पहुंच जाते हैं।

जज ने लिखा है, यदि पत्रकार शक्तिशाली के अनुसार काम करेंगे, तो लोगों में विश्वसनीयता खो जाएगी। इसलिए लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को हिलाने की कोशिश करने वालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। इस केस में भी पत्रकार ने पॉवरफुल डेरे के खिलाफ निर्भीकता से लिखा और मासूम पत्रकार को मार दिया गया।

अब तक का घटनाक्रम

- पत्रकार रामचंद्र छत्रपति द्वारा 'पूरा सच' में 30 मई 2002 को धर्म के नाम पर किया जा रहा है साध्वियों का जीवन बर्बाद समाचार प्रकाशित किया गया।

- 4, 7 और 27 जून 2002 को डेरा सच्‍चा सौदा से जुड़े बड़े समाचार प्रकाशित किए।

- डेरा अनुयायियों ने पूरा सच के खिलाफ कार्रवाई करने व प्रतिबंध की रखी मांग।

- 2 जुलाई 2002 को एसपी सिरसा को डेरे की धमकियों से अवगत करवाया और सुरक्षा की मांग रखी।

- अक्टूबर 2002 में डेरा के प्रबंधक कृष्ण लाल पूरा सच कार्यालय पहुंचे और यहां उन्होंने डेरे के विरूद्ध खबर लिखने के मामले को बंद करने को कहा।  

24 अक्टूबर 2002 को डेरा में कारपेंटर का काम करने वाले दो युवकों ने रामचंद्र छत्रपति को उनके घर के बाहर गोली मारी। एक पकड़ लिया गया। शहर थाना में केस दर्ज।

- 24 अक्टूबर 2002 को एसआइ ने बयान दर्ज किए, लेकिन डेरा प्रमुख का नाम नहीं लिखा।

- 29 अक्टूबर 2002 को कृष्ण लाल ने सीजेएम फिरोजपुर की कोर्ट में सरेंडर किया।

- छत्रपति का 8 नवंबर 2002 तक क पीजीआइ रोहतक में चला इलाज। इसके बाद अपोलो भेज दिया गया।

- 8 नवंबर 2002 को ही छत्रपति के पिता सोहन राम ने मजिस्ट्रेट से बयान करवाए जाने की दरखास्त दी।

- 21 नवंबर को रामचंद्र छत्रपति का देहांत हो गया।

 - 5 दिसंबर 2002 को सिरसा पुलिस ने सीजेएम कोर्ट में दायर की चार्जशीट, डेराप्रमुख का नाम नहीं था।

- 2003 : अंशुल छत्रपति ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआइ जांच की मांग की।

- 10 नवंबर 2003 सीबीआइ को ट्रांसफर हुआ केस।

- 9 दिसंबर 2003 को सीबीआई ने शुरू की जांच, सीबीआई ने शहर थाना में एक केस और दर्ज किया, जिसमें डेरा प्रमुख का नाम भी शामिल किया।

- 30 जुलाई 2007 को सीबीआई ने पेश किया चालान।                                                                              -2 जनवरी 2019: पंचकूला की विशेष सीबीआइ कोर्ट में मामले की सुनवाई पूरी।                                            - 11 जनवरी 2019: विशेष सीबीआइ कोर्ट के जज जगदीप सिंह ने गुरमीत राम रहीम सहित चारों आरोपित दोषी करार।

-17 जनवरी 2019 गुरमीत राम रहीम सहित चारों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई।

chat bot
आपका साथी