किसानों के हित साधने को लेकर छोटे भाई हरियाणा के सामने कहीं नहीं ठहरता पंजाब, हो रही सियासत

Farmers Issues किसान हितों के मामलों को लेकर हरियाणा और पंजाब मेें विवाद तेज हो गया है। दोनों राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों में जुबानी जंग चल रही है। इन सबके बीच यह बात सामने आ रही है कि हरियाणा किसानों केे हितों के मामले में पंजाब से आगे है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Fri, 03 Sep 2021 07:00 PM (IST) Updated:Fri, 03 Sep 2021 07:00 PM (IST)
किसानों के हित साधने को लेकर छोटे भाई हरियाणा के सामने कहीं नहीं ठहरता पंजाब, हो रही सियासत
पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल। (फाइल फोटो।)

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। किसानों के हित साधने को लेकर पंजाब सरकार द्वारा हरियाणा के साथ पंगा लेना भारी पड़ गया है। हरियाणा सरकार ने किसान हित के करीब डेढ़ दर्जन मुद्दों पर पंजाब सरकार की मजबूत घेराबंदी की है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंजाब और हरियाणा के कृषि क्षेत्रफल से लेकर फसल विविधिकरण अपनाने तक 19 ऐसे बिंदु उजागर किए, जिनकी तुलना करते हुए पंजाब अपने छोटे भाई हरियाणा के सामने कहीं भी नहीं ठहरता। हरियाणा में जहां 11 फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी जा रही हैं, वहीं पंजाब में इनकी संख्या मात्र तीन है। हरियाणा सरकार ने इसे आधार बनाते हुए किसान हितों के मुद्दे पर पंजाब सरकार से जवाब मांगा है।

 पंजाब व हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच लगातार बढ़ रही तकरार

हरियाणा और पंजाब राज्यों के बीच तकरार किसान संगठनों के आंदोलन को लेकर शुरू हुई थी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से इस्तीफा मांगा तो मनोहर लाल ने पलटवार करते हुए न केवल कैप्टन से ही त्यागपत्र मांग लिया, बल्कि आठ ट्वीट कर किसानों के हित से जुड़े आठ सवालों का जवाब देने को भी कह दिया।

कैप्टन अमरिंदर की ओर से हालांकि मनोहर लाल के कुछ सवालों का जवाब आया भी, लेकिन उनमें बहुत ज्यादा वजन नहीं दिखा। अब हरियाणा ने नए सिरे से पंजाब व हरियाणा में मिलने वाली सुविधाओं तथा किसान कल्याण के मुद्दों पर आंकड़े सार्वजनिक कर नई बहस छेड़ दी है।

हरियाणा सरकार ने आंकड़ों के जरिये दिखाया पंजाब सरकार को आईना

हरियाणा का कुल क्षेत्रफल 44 हजार 212 वर्ग किलोमीटर है, जबकि पंजाब का क्षेत्रफल 50 हजार 362 वर्ग किलोमीटर है। हरियाणा में 37.41 लाख हेक्टेयर में खेती होती है, जबकि पंजाब में 42 लाख हेक्टेयर में खेती की जाती है। हरियाणा की कृषि विकास दर 6.3 फीसद है, जबकि पंजाब की कृषि विकास दर मात्र 2.1 फीसद ही है। हरियाणा में चीनी मिलों की संख्या 11 है, जबकि पंजाब में हालांकि 16 चीनी मिलें हैं, मगर इनमें से सात बंद पड़ी हैं।

किसान हित के 19 मुद्दों पर पंजाब के साथ की तुलना और मांगा जवाब

हरियाणा में गेहूं, जौ, चना, धान, सूरजमुखी, सरसों, मूंग, बाजरा, मक्का, कपास और मूंगफली समेत 11 फसलों की खरीद ऩ्यूनतम समर्थन समर्थन मूल्य पर की जा रही है, जबकि पंजाब में मात्र तीन फसलें गेहूं, धान और सूरजमुखी की खेती एमएसपी पर होती है। हरियाणा में बिजली का रेट किसानों के लिए मात्र 10 पैसे यूनिट है, जबकि पंजाब में कपास व मक्का उत्पादक किसानों को 4.60 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलती है।

 भावांतर भरपाई योजना में सुरक्षित हो रहे हित

हरियाणा में किसानों के हित बहुत अधिक सुरक्षित हैं। सीएम के अतिरिक्त प्रधान सचिव डा. अमित अग्रवाल के अनुसार हरियाणा में यदि कोई किसान भाई कृषि कार्य करते हुए हादसे का शिकार हो जाए और उसका निधन हो जाए तो सरकार की ओर से पांच लाख रुपये की मुआवजा राशि प्रदान की जाती है, जबकि पंजाब में इस तरह का कोई प्रविधान नहीं है।

फल और सब्जियों के लिए मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना में 21 फल व सब्जियां शामिल हैं, जबकि पंजाब में कोई फल व सब्जी को लाभ नहीं मिलता। फल व सब्जियों के संरक्षित भाव निर्धारित करने के लिए हरियाणा में भावांतर भरपाई योजना लागू की गई है, जिसमें 21 फल व सब्जियों की फसल को शामिल किया गया। पंजाब में यह योजना भी लागू नहीं है। हरियाणा में ई-पोट्ल से जुड़ी मंडियों कीसंख्या 81 है, जबकि पंजाब में मात्र 37 मंडियां ई-पोर्टल से जोड़ी गई हैं।

हरियाणा में आढ़तियों व किसानों को बीमा सुरक्षा कवच

हरियाणा सरकार ने अपने राज्य में किसानों व आढ़तियों को बीमा सुरक्षा कवच प्रदान किया है। सीएम के प्रिंसिपल मीडिया एडवाइजर विनोद मेहता के अनुसार हरियाणा में यह कवर 10 लाख रुपये का है, जबकि पंजाब में कोई राशि नहीं मिलती। जल एवं मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की संख्या हरियाणा में 76 और पंजाब में मात्र 61 है। मंडियों में किसान व मजदूरों के लिए 10 रुपये में भोजन उपलब्ध कराने के बास्‍ते मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 25 कैंटीन की व्यवस्था की है, जिनकी संख्या निरंतर बढ़ेगी, मगर पंजाब में ऐसी कोई सुविधा किसी मंडी में नहीं है। पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए हरियाणा सरकार ने 57 हजार 678 किसानों के पशुधन क्रेडिट कार्ड बनाए हैं, जबकि पंजाब में यह योजना लागू ही नहीं है।

हरियाणा के 17 लाख किसानों को मिला फसल बीमा योजना का फायदा

हरियाणा ने अपने राज्य के किसानों को ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ का भरपूर लाभ दिया है। सीएम के मीडिया सलाहकार अमित आर्य ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा समय-समय पर चलाए गए जागरूकता अभियान की बदौलत बहुत बड़ी संख्या में किसानों ने अपनी फसलों का बीमा करवाना शुरू कर दिया। करीब 17 लाख किसानों को 3961 करोड़ रुपये बीमा राशि के रूप में मिले। 34 लाख से अधिक किसानों को सात हजार करोड़ रुपये की राशि अन्य नुकसान के भरपाई की एवज में दी गई।

पंजाब के किसानों के लिए वहां की सरकार ने ऐसी कोई फसल-बीमा योजना शुरू नहीं की है। प्रदेश में 87 लाख किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य जांच कार्ड मिले, जबकि पंजाब में सिर्फ 24.30 लाख किसानों के ही यह कार्ड मिल पाए हैं। पराली जलाने के मामलों में हरियाणा में 68 प्रतिशथ की कमी आई है, जबकि पंजाब में यह कमी मात्र 51 फीसद है।

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