live-in relationship को संरक्षण देने से सामाजिक ताना-बाना गड़बड़ा जाएगा, हरियाणा के मामले पर हाई कोर्ट की टिप्पणी

जींद जिले के एक लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे प्रेमी जोड़े की सुरक्षा की मांग याचिका को खारिज करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि ऐसे मामलों को संरक्षण देने से सामाजिक ताना-बाना गड़बड़ा जाएगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 01:58 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 09:58 PM (IST)
live-in relationship को संरक्षण देने से सामाजिक ताना-बाना गड़बड़ा जाएगा, हरियाणा के मामले पर हाई कोर्ट की टिप्पणी
लिव इन में रह रहे प्रेमी जोड़े पर हाई कोर्ट की टिप्पणी। सांकेतिक फोटो

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक प्रेमी जोड़े की सुरक्षा की मांग पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट कर दिया कि अगर घर से भागकर लिव इन रिलेशनशिप (live-in relationship) में रहने वाले प्रेमी जोड़े को सुरक्षा के हाई कोर्ट आदेश जारी करता है तो इससे सामाजिक ताना-बाना गड़बड़ा जाएगा। हाई कोर्ट के जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने यह आदेश जींद जिले के एक प्रेमी जोड़े की सुरक्षा की मांग की याचिका को खारिज करते हुए दिया।

सुरक्षा की मांग करने वाला प्रेमी जोड़ा 18 वर्षीय युवती व 21 वर्षीय युवक जींद जिले के रहने वाला है। दोनों ने एक दूसरे से शादी किए बिना लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का हाई कोर्ट में दावा किया। मामले में लड़की ने तर्क दिया कि उसे आशंका है कि उसके परिवार के सदस्य उसके प्रेमी को झूठे आपराधिक मामलों में फंसाने का कारण बन सकते हैं। लड़की की दलील थी कि इस प्रकार के संबंध निश्चित रूप से दहेज की मांग को समाप्त कर देंगे और ऐसी स्थिति में, संबंधित पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे व्यक्ति जो अपनी मर्जी से इस तरह के लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं, उन्हें परेशान न किया जाए।

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कोर्ट को बताया गया कि लड़की का परिवार अपनी बेटी की शादी अपनी पसंद के लड़के से करना चाहता था लेकिन दोनों याचिकाकर्ता एक-दूसरे के प्यार में पड़ गए और आखिरकार लिव-इन रिलेशनशिप में साथ रहने का फैसला किया। जब उसने लड़के के साथ रहने की इच्छा व्यक्त की तो परिवार ने अनुरोध को ठुकरा दिया क्योंकि वह उनकी पसंद का नहीं है।

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लड़की के अनुसार उसे बताया गया था कि अगर उसने लड़के के बारे में सोचने की कोशिश की तो भी वे खत्म हो जाएंगे। इस प्रकार लड़की के पास अपने घर को छोड़ने और लड़के के साथ रहने के लिए घर छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। दोनों बालिग हैं। लड़की के परिवार के सदस्यों के राजनीतिक नेताओं, इलाके के प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ-साथ स्थानीय पुलिस अधिकारियों के साथ बहुत करीबी संबंध हैं, इसलिए वे याचिकाकर्ताओं को खत्म कर सकते हैं या किसी भी समय लड़के को झूठे मामलों में शामिल कर सकते हैं।

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जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने सभी तर्क सुनने के बाद कहा की खंडपीठ के विचार में अगर लिव-इन रिलेशनशिप के संरक्षण का दावा किया जाता है तो समाज का पूरा सामाजिक ताना-बाना गड़बड़ा जाएगा। इसी के साथ कोर्ट ने प्रेमी जोडे़ सुरक्षा की मांग न मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

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