प्राइवेट स्कूल फीस वसूली का मामला फिर पहुंचा हाई कोर्ट, अभिभावकों के हक में खड़ी हुई हरियाणा सरकार

Private school fees लॉकडाउन के दौरान प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस वसूली करने का मामला फिर हाई कोर्ट पहुंच गया है। हरियाणा सरकार ने इससे पहले एकल बेंच द्वारा फीस को लेकर दिए गए फैसले के खिलाफ डिविजन बेंच में अपील दायर की है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 21 Sep 2020 03:25 PM (IST) Updated:Mon, 21 Sep 2020 04:12 PM (IST)
प्राइवेट स्कूल फीस वसूली का मामला फिर पहुंचा हाई कोर्ट, अभिभावकों के हक में खड़ी हुई हरियाणा सरकार
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

जेएनएन, चंडीगढ़। निजी स्कूलों द्वारा बच्चों से मासिक फीस, वार्षिक शुल्क और ट्रांसपोर्ट फीस वसूलने के खिलाफ हरियाणा सरकार कोर्ट में अड़ गई है। हाईकोर्ट की एकल बेंच ने निजी स्कूलों को बच्चों व अभिभावकों से मासिक फीस के साथ वार्षिक शुल्क, बिल्डिंग चार्ज और ट्रांसपोर्ट फीस लेने की छूट दी थी। हरियाणा सरकार ने एकल बेंच के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट की डिविजन बेंच में अपील दायर करते हुए अभिभावकों के हितों की पैरवी की है।

सोमवार को हाई कोर्ट के जस्टिस आरके जैन व जस्टिस अशोक कुमार वर्मा पर आधारित बेंच ने मामले की सुनवाई इसी विषय पर पंजाब के एक मामले के साथ तय करते हुए एक अक्टूबर निर्धारित कर दी है। हरियाणा सरकार ने अपनी अपील में एकल बेंच के आदेश को रद करने की मांग की है। सरकार ने कहा कि एकल बेंच ने सरकार के पक्ष को अनदेखा कर अपना फैसला दिया है। एकल बेंच का फैसला वास्तविक स्थिति के विपरीत है।

हाई कोर्ट के जस्टिस रामेंद्र जैन ने 27 जुलाई को अपने आदेश में निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस के साथ ही वार्षिक शुल्क, ट्रांसपोर्ट फीस और बिल्डिंग चार्ज वसूलने की इजाजत दे दी थी। इससे फीस माफी की आस लगाए बैठे लाखों अभिभावकों को झटका लगा था। आदेश के तहत लॉकडाउन में चाहे किसी स्कूल ने ऑनलाइन क्लास की सुविधा दी है या नहीं, सभी स्कूल इस अवधि की फीस अभिभावकों से वसूल सकते हैं।

जस्टिस रामेंद्र जैन ने पंजाब के एक मामले में जस्टिस निर्मलजीत कौर द्वारा 30 जून को सुनाए गए फैसले के आधार पर हरियाणा के निजी स्कूलों को यह राहत दी थी। एकल बेंच ने कहा था कि लॉकडाउन की अवधि के लिए स्कूल अपने वार्षिक चार्ज भी वसूल सकते हैं, लेकिन इस साल फीस नहीं बढ़ा सकते। एकल बेंच ने यह भी कहा था कि ऑनलाइन न पढ़ाने वाले निजी स्कूल भी ट्यूशन फीस व दाखिला फीस ले सकते हैं।

बेंच ने सभी याचिकाओं का निपटारा करते हुए स्पष्ट किया था कि वार्षिक चार्ज के तौर पर स्कूल वास्तविक खर्च ही वसूलें। लॉकडाउन की अवधि के लिए स्कूल ट्रांसपोर्ट फीस या बिल्डिंग चार्ज के तौर पर सिर्फ वही फीस वसूलें, जितने खर्च वास्तविक तौर पर वहन करने पड़ते हैं। स्कूल खुलने के बाद की अवधि के लिए वे पूर्व निर्धारित दरों के हिसाब से वार्षिक चार्ज ले सकते हैं।

बेंच ने कहा था कि लॉकडाउन के कारण खराब आर्थिक स्थिति में जो अभिभावक फीस नहीं दे सकते, वे स्कूल को अर्जी दे सकते हैं। निजी स्कूल इस पर संवेदनशीलता से गौर कर निर्णय लेंगे। चाहे तो फीस माफ की जा सकती है या फिर बाद में ली जा सकती है। इसके बावजूद अगर स्कूल कुछ नहीं करते हैं तो अभिभावक रेगुलेटरी बॉडी के समक्ष अपनी मांग रख सकते हैं। एकल बेंच ने आर्थिक संकट का सामना कर रहे निजी स्कूलों को राहत देते हुए कहा था कि वे अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी के समक्ष जानकारी देते हुए जरूरी दस्तावेज जमा करवाएं।

सर्व विद्यालय संघ हरियाणा व अन्य ने एकल बेंच के पास दायर याचिका में कहा था कि लॉकडाउन से सिर्फ छात्रों के अभिभावक ही प्रभावित नहीं हुए हैं, बल्कि निजी स्कूल भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। इसलिए सरकार के केवल ट्यूशन फीस लेने के आदेश पर रोक लगाई जाए। हाईकोर्ट की एकल बेंच के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार द्वारा डिविजन बेंच में अपील करने का मतलब साफ है कि सरकार अभिभावकों व बच्चों के हित सुरक्षित रखना चाहती है तथा वह निजी स्कूलों द्वारा वसूले जाने वाले मनमाफिक चार्ज के खिलाफ है।

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