धान का रकबा घटाने पर गरमाई सियासत, 'मेरा जल, मेरी विरासत' योजना पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

मेरा जल मेरी विरासत योजना पर हरियाणा में राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस का कहना है कि पिछले साल धान की फसल छोड़ने वाले किसानों को न प्रति एकड़ मुआवजा मिला न बीमा हुआ।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 11 May 2020 01:34 PM (IST) Updated:Mon, 11 May 2020 01:34 PM (IST)
धान का रकबा घटाने पर गरमाई सियासत, 'मेरा जल, मेरी विरासत' योजना पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
धान का रकबा घटाने पर गरमाई सियासत, 'मेरा जल, मेरी विरासत' योजना पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में तेजी से गिरते भू जलस्तर से चिंतित प्रदेश सरकार जहां धान की रकबा घटाने की कोशिश में लगी है, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सियासत शुरू कर दी है। पानी बचाने के लिए हाल ही में लांच 'मेरा जल, मेरी विरासत' योजना पर हरियाणा कांग्रेस की प्रधान कुमारी सैलजा और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने सवाल उठाए हैं।

डार्क जोन में शामिल 19 खंडों में प्रदेश सरकार ने धान की खेती पर रोक लगाई है। दूसरी फसलें उगाने वाले किसानों को सात हजार रुपये प्रति एकड़ दिए जाएंगे। सुरजेवाला ने कहा कि पिछले साल भी प्रदेश सरकार ने सात खंडों में धान की जगह मक्का पैदा करने के लिए 'जल ही जीवन' स्कीम चलाई थी। धान की फसल छोड़ने वाले किसानों को न प्रति एकड़ मुआवजा मिला, न बीमा हुआ। हाईब्रिड सीड फेल हो गया और पूरी स्कीम कागजी पुलिंदा बनकर रह गई।

आज तक यह बताया ही नहीं कि पिछली स्कीम का क्या हुआ व कितनी भूमि धान से मक्का में तब्दील हुई। कुमारी सैलजा ने कहा कि भूजल संरक्षण के नाम पर किसान के मुंह का निवाला छीन लेना कदापि मंजूर नहीं किया जा सकता।

बंद हो जाएगी ऑयल इंडस्ट्री : गर्ग

व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि एक तरफ सरकार उद्योगों को चलाने की बात कर रही है तो दूसरी तरफ मंडियों व पड़ोसी राज्यों से सरसों खरीद करने वाले आयल इंडस्ट्री को बंद करने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि वर्षों से सरसों आढ़तियों के माध्यम से खुली बोली में बिकती आ रही है तो फिर नए-नए नियम बनाकर आढ़ती, किसान व मिलरो को तंग क्यों किया जा रहा है। अगर सरसों आढ़ती के माध्यम से नहीं बिकेगी तो मंडी में आढ़ती दुकान करके क्या करेगा। मिलर्स को सरसों नहीं मिलेगी तो हरियाणा में तेल मिल बंद हो जाएंगी। सरसों की मंडियों में बोली बंद करना सरासर गलत है।

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