रोचक है ओमप्रकाश चौटाला के पांच बार हरियाणा का CM बनने की राजनीतिक कहानी, सात बार रहे MLA

हरियाणा के पांच बार सीएम रहे ओमप्रकाश चौटाला सजा पूरी होने के बाद तिहाड़ जेल से रिहा हो गए हैं। चौटाला तीन उपचुनाव और चार आम चुनाव जीतकर सात बार एमएलए रहे। अगला चुनाव वह तभी लड़ पाएंगे जब केंद्रीय चुनाव आयोग से कोई राहत मिल सके।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 02 Jul 2021 06:49 PM (IST) Updated:Sat, 03 Jul 2021 07:52 AM (IST)
रोचक है ओमप्रकाश चौटाला के पांच बार हरियाणा का CM बनने की राजनीतिक कहानी, सात बार रहे MLA
गुरुग्राम के सिरहौल बॉर्डर पर पहुंचे इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला। जागरण

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके इनेलो अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला सात बार विधायक बन चुके हैं। उन्होंने विभिन्न विधानसभा सीटों से तीन उपचुनाव और चार आम चुनाव जीते हैं। चौटाला हालांकि ऐलनाबाद उपचुनाव में तभी ताल ठोंक सकेंगे, जब केंद्रीय चुनाव आयोग उनकी छह साल तक यानी जुलाई 2027 तक चुनाव न लड़ पाने की कानूनी अयोग्यता को खत्म कर दे।

चौटाला के पांच बार मुख्यमंत्री बनने की राजनीतिक कहानी खासी रोचक है। इनेलो महासचिव व विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके अभय चौटाला ने दावा किया था कि यदि कानूनी अड़चन नहीं आई तो बड़े चौटाला ऐलनाबाद से उपचुनाव लड़ सकते हैं। चौटाला के राजनीतिक जीवन में उनका मौजूदा जुलाई महीने से पुराना नाता रहा है।

चौटाला कुल पांच बार राज्य के सीएम बने, जिसमें दो बार अर्थात दूसरी और चौथी बार जुलाई माह में ही उन्होंने सत्ता संभाली। 31 वर्ष पूर्व 12 जुलाई 1990 को चौटाला ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद को शपथ ली, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता को दो माह में ही इस पद से हटा दिया गया था। हालांकि चौटाला के मुख्यमंत्री बनने के पांच दिनों बाद ही 17 जुलाई 1990 को राजनीतिक विवशता के कारण इस पद से त्यागपत्र देना पड़ा था और हुकम सिंह अगले मुख्यमंत्री बन गए थे। उस समय उनके पिता चौधरी देवी लाल देश के उप प्रधानमंत्री थे।

इससे पूर्व, दो दिसंबर 1989 को चौटाला पहली बार मुख्यमंत्री बने थे एवं 22 मई 1990 तक इस पद पर रहे। पद से हटने के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने सिरसा की तत्कालीन दरबाकलां सीट से उपचुनाव जीता। इसके बाद उसी छठी विधानसभा के दौरान चौटाला 22 अप्रैल 1991 को तीसरी बार मुख्यमंत्री बने, परंतु केवल दो सप्ताह अर्थात पांच अप्रैल तक ही इस पद पर रह सके, क्योंकि तत्कालीन राज्यपाल की सिफारिश पर केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।

वर्ष 1993 में भजनलाल सरकार के कार्यकाल के दौरान नरवाना उपचुनाव जीतकर उन्होंने सबको हैरान कर दिया था। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार के अनुसार इसी दौरान चौटाला पहले जनता दल, फिर समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय), फिर समता पार्टी में रहे। हालांकि 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने हरियाणा लोक दल (राष्ट्रीय)-हलोदरा के नाम से नई पार्टी बना ली और 1998 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में बसपा से गठबंधन कर प्रदेश की 10 में से पांच लोकसभा सीटें जीती। इसके बाद उन्हें मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल का दर्जा हासिल हो गया था। तब चौटाला ने अपनी पार्टी का नाम बदलकर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) कर लिया था।

24 जुलाई 1999 में चौटाला चौथी बार मुख्यमंत्री बने, जब तत्कालीन बंसीलाल की हविपा-भाजपा गठबंधन की सरकार से पहले भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद हविपा में ही फूट पड़ गई। हविपा के बागी विधायकों के समर्थन और भाजपा के सहयोग से चौटाला उस समय राज्य के मुख्यमंत्री बने, हालांकि इसके दिसंबर 1999 में उन्होंने विधानसभा भंग करवा दी और ताज़ा विधानसभा चुनाव में दो मार्च 2000 को चौटाला पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने। उस समय चौटाला पूरे पांच साल यानी मार्च 2005 तक मुख्यमंत्री रहे थे. हालांकि इसी कार्यकाल के दौरान 2004 के लोकसभा चुनाव भी आए, जिससे पहले इनेलो व भाजपा का गठबंधन टूट गया था।

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