Paddy Procurement: हरियाणा की मंडियों में नहीं खरीदा जाएगा उत्तर प्रदेश व पंजाब के किसानों का धान

Paddy Procurement हरियाणा में यूपी व पंजाब के किसानों की धान की खरीद नहीं होगी। मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर फसल बिक्री के लिए इन दोनों राज्यों के 52 हजार किसानों ने पंजीकरण था। हरियाणा ने केंद्र के समक्ष पैरवी की लेकिन केंद्र ने राज्य सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 10:06 AM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 10:06 AM (IST)
Paddy Procurement: हरियाणा की मंडियों में नहीं खरीदा जाएगा उत्तर प्रदेश व पंजाब के किसानों का धान
हरियाणा में नहीं होगी पंजाब व यूपी के किसानों की धान खरीद। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। केंद्र सरकार ने हरियाणा को पड़ोसी राज्यों पंजाब व उत्तर प्रदेश के किसानों का धान अपनी मंडियों में खरीदने की अनुमति नहीं दी है। हरियाणा से बाहर के करीब 52 हजार किसानों ने यहां की मंडियों में अपना धान बेचने के लिए मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। केंद्र सरकार का कहना है कि जब हर राज्य में मंडी सिस्टम है तो प्रत्येक सरकार को अपने-अपने राज्य के किसानों का धान खरीदना चाहिए।

हरियाणा में कई बार्डर जिले ऐसे हैं, जिनकी खेती की जमीन उत्तर प्रदेश और पंजाब में पड़ती है। कुछ जमीन राजस्थान के बार्डर में भी आती है, लेकिन वहां धान की खेती नहीं होती। प्रदेश सरकार पिछली बार की तरह इस बार भी बार्डर पर लगते जिलों के किसानों की धान की फसल खरीदना चाहती थी और इसके लिए किसानों को मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण कराने की सुविधा भी दी गई, लेकिन जब हरियाणा ने केंद्र सरकार को इस बारे में जानकारी दी तो वह इसके लिए राजी नहीं हुई।

हरियाणा में 15 नवंबर तक धान की खरीद होनी है। पिछले सा्ल 56 लाख टन धान की खरीद हुई थी, जबकि इस बार 60 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी के अनुसार इसमें से करीब 42 लाख टन धान की खरीद की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया था कि बहुत से किसान ऐसे हैं, जो रहते हरियाणा में हैं, लेकिन उनकी जमीन उत्तर प्रदेश या पंजाब में है और वह वहीं पर खेती करते हैं, इसलिए उनकी फसल खरीदी जानी चाहिए। इस पर केंद्रीय खाद्य सचिव की ओर से जवाब आया कि हर राज्य में धान की खरीद होती है। प्रत्येक राज्य की अपनी-अपनी सुविधा और बंदोबस्त है, इसलिए सभी किसानों को अपने-अपने राज्यों में ही फसल बेचनी चाहिए।

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के सचिव अनुराग रस्तोगी ने बताया कि पड़ोसी राज्यों के इन किसानों की फसल बहुत अधिक नहीं है। अधिकतर किसान एक एकड़ की जोत वाले हैं, इसलिए उन्हें अपने-अपने राज्य में फसल बेचने में अधिक दिक्कत नहीं आने वाली है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा खरीदी गई धान का 70 फीसद भुगतान हो चुका है और 80 प्रतिशत उठान किया जा चुका है।

दूसरी तरफ हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग ने कहा कि तीन कृषि कानूनों में यह सुविधा है कि कोई भी किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकता है, लेकिन हरियाणा सरकार इससे मना कर रही है। एक तरफ वह इन कानूनों को किसान हितैषी बताती है और दूसरी तरफ पड़ोसी राज्यों में हरियाणा के किसानों की जमीन पर पैदा होने वाली फसल नहीं खरीद रही है। पड़ोसी राज्यों के किसान, आढ़ती व मिलरों का परिवारिक संबंध है। अगर पड़ोसी राज्य का किसान अपना धान हरियाणा में बेचेगा तो हरियाणा सरकार को चार प्रतिशत मार्केट फीस व आढ़तियों को कमीशन व मजदूरों को मजदूरी मिलेगी। इसके साथ ही यहां किसानों का बाजार विकसित होगा, इसलिए प्रदेश सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।

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