कोरोना काल में फीस न देने वाले छात्रों को परीक्षा में न बैठने देने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में हरियाणा सरकार को ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं जो फीस न भरने पर स्टूडेंट्स को परीक्षा में बैठने से रोक रहे हैं। हाई कोर्ट में हरियाणा के एक निजी स्कूल का मामला पहुंचा था।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 04:28 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 08:51 PM (IST)
कोरोना काल में फीस न देने वाले छात्रों को परीक्षा में न बैठने देने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश
फीस के बिना परीक्षा में न बैठने देने वाले स्कूलों पर कार्रवाई के आदेश। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार को आदेश दिया है कि वह फीस न देने वालों छात्रों को परीक्षा में न बैठने देने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करे। हाई कोर्ट के जस्टिस सुधीर मित्तल ने यह आदेश स्टूडेंट पेरेंट्स वेलफेयर ग्रुप कैथल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई थी उसने निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन व अन्य फीस बढ़ाने को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी हुई है। उनके मामले की सुनवाई अभी हाई कोर्ट में विचाराधीन है जिस पर 16 दिसंबर को सुनवाई तय है। इस बीच, प्रतिवादी स्कूल ने गृह परीक्षा के लिए डेटशीट जारी कर दी है, लेकिन जिन बच्चों की फीस जमा नहीं करवाई उनको परीक्षा में नहीं बैठने नहीं दिया जा रहा।

हाई कोर्ट को बताया गया कि कई स्तर पर यह आदेश जारी हो चुके हैं कि अगर कोई विद्यार्थी फीस नहीं जमा करवा पाता है तो उसे परीक्षा से नहीं रोका जा सकता, लेकिन स्कूल इन आदेशों का पालना नहीं कर रहे। याची पक्ष ने इस मामले में हाई कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की। याची पक्ष की दलील सुनने के बाद हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वो इस मामले में लगाए आरोपों की जांच करे। अगर आरोप सही हैं तो स्कूल के खिलाफ उचित कार्रवाई करे।

बता दें, कोरोना काल में फीस आदि को लेकर कई याचिकाएं हाई कोर्ट में लंबित हैं। अभिभावकों का कहना है कि कोरोना के कारण उन्हें आर्थिक संकट झेलना पड़ा है। कई की तो नौकरी भी चली गई। ऐसे में वह एडमिशन फीस आदि नहीं दे सकते। कई स्कूल ऐसे भी हैं जिन्होंने विधिवत आनलाइन पढ़ाई भी नहीं करवाई और पूरी फीस मांग रहे हैं। वहीं, स्कूलों का तर्क है कि कोरोना के कारण उनके स्कूल बंद रहे, लेकिन उनके खर्च कम नहीं हुए हैं। 

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