गुरुग्राम व फरीदाबाद सहित हरियाणा में पीएनजी व सीएनजी आधारित उद्योग ही लगेंगे, डीजल व कोयला वाली इंड्रस्‍ट्री को नो एंट्री

हरियाणा सरकार ने प्रदूूषण की समस्‍या के मद्देनजर बड़ा कदम उठाया है। राज्‍य में अब डीजल और काेयला आधारित नए उद्योग नहीं स्थापित हाे सकेगी। अब राज्‍य में नई औद्योगिक इकाइयों को स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल की गारंटी देनी होगी। अब पीएनजी और सीएनजी आधारित उद्योग ही स्थापित हो सकेंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Mon, 22 Nov 2021 06:18 PM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 07:31 AM (IST)
गुरुग्राम व फरीदाबाद सहित हरियाणा में पीएनजी व सीएनजी आधारित उद्योग ही लगेंगे, डीजल व कोयला वाली इंड्रस्‍ट्री को नो एंट्री
हरियाणा में अब प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग स्‍थापित नहीं हो सकेंगे। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने प्रदूषण की समस्‍या को देखते हुए बड़ा कदम उठाया है। राज्‍य में अब केवल पीएनजी (पाइप्ड प्राकृतिक गैस) व सीएनजी (संपीडित प्राकृतिक गैस) से संचालित होने वाले उद्योग ही स्थापित हो सकेंगे। नई औद्योगिक इकाई स्थापित करने वाले उद्यमियाें को शपथपत्र देना होगा कि वह डीजल और कोयला ईंधन का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

नहींं खुल सकेंगे डीजल-काेयला आधारित नए उद्योग, स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल की देनी होगी गारंटी

हर साल सर्दियों में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यह फैसला लिया है। अधिक धुआं उत्सर्जित करने वाली पुरानी औद्योगिक इकाइयों पर भी बोर्ड की नजर टेढ़ी है। सभी उद्योगों को पीएनजी-सीएनजी सहित पर्यावरण अनुकूल संसाधनों का इस्तेमाल करना होगा।

नई इकाइयों को डीजल और कोयला ईंधन का इस्तेमाल नहीं करने का शपथपत्र देने पर मिलेगा लाइसेंस

बढ़ते प्रदूषण के लिए वाहनों से निकलता धुआं और निर्माण स्थलों पर उड़ती धूल के साथ ही औद्योगिक इकाइयां काफी हद तक जिम्मेदार हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए प्रदेश सरकार ने एक्शन प्लान तैयार किया है। सीएनजी वाहनों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश भर में सीएनजी पंप लगाने की कवायद शुरू की गई है। साथ ही इलेक्ट्रिकल वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। योजना के तहत औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नए उद्योगों में ग्रीन फ्यूल (स्वच्छ ईंधन) के प्रयोग की गारंटी पर ही नए लाइसेंस दिए जाएंगे।

उद्योगों में ग्रीन फ्यूल अनिवार्य किए जाने से सुधरेगी वायु की गुणवत्ता

प्रदेश भर में छोटी-बड़ी तकरीबन 16 हजार औद्योगिक इकाइयां संचालित हैं। इनमें 13 हजार छोटी इकाइयां हैं तो तीन हजार बड़े व मध्यम दर्जे के उद्योग हैं। उद्योगों में ग्रीन फ्यूल अनिवार्य किए जाने से वायु की गुणवत्ता सुधरेगी। चूंकि हर वर्ष धान कटाई का सीजन शुरू होते ही पराली (धान के अवशेष) जलाने का सिलसिला शुरू हो जाता है, लिहाजा इस समस्या को देखते हुए पराली से बिजली पैदा करने की यूनिट लगाने का भी प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। ट्रायल के तौर पर पानीपत से इसकी शुरूआत हो चुकी है।

प्रदूषण फैला रहीं पुरानी औद्योगिक इकाइयों पर भी नजर

प्रदेश भर में संचालित 16 हजार औद्योगिक इकाइयों में से 50 फीसद से ज्यादा में धुआं उत्सर्जित होता है। खासकर पानीपत, गुरुग्राम, सोनीपत, फरीदाबाद, रोहतक, झज्जर व जींद में ऐसे उद्योगों की संख्या ज्यादा है। इनमें कुछ इकाइयां पंजीकृत हैं तो कुछ अवैध रूप से चल रही हैं। इनमें तारकोल, टायर जलाने, भट्ठे, क्रशर व कोयला बनाने वाली इकाइयां शामिल हैं जो वायु और जल प्रदूषण फैलाती हैं। अधिक धुआं उत्सर्जित करने वाली इकाइयों पर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पूरी नजर बनाए हुए है।

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'अनिवार्य होगा ग्रीन फ्यूल'

'' वायु प्रदूषण को रोकने के लिए हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रोडमैप तैयार किया है। अब नए उद्योगों की स्थापना, खासकर एनसीआर के लिए ग्रीन फ्यूल अनिवार्य किया गया है। प्रदूषण पैदा करने वाले ईंधन का प्रयोग करने वाली औद्योगिक इकाइयों को संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही वाहनों की स्क्रैप पालिसी का भी अध्ययन किया जा रहा है। पुराने वाहनों पर अंकुश से प्रदूषण काफी हद तक कम होगा।

                                                       - डॉ. सुमिता मिश्रा, चेयरमैन, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड। 

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