ओमप्रकाश चौटाला ने तीसरे मोर्चे के गठन के लिए किए प्रयास तेज, पर आसान नहीं इसकी राह

ओम प्रकाश चौटाला ने भले ही तीसरे मोर्चे के लिए गठन को लेकर प्रयास तेज कर दिए हैं लेकिन इसकी राहत आसान नहीं है। नेतृत्व को लेकर सबसे ज्यादा उठापटक होगी। कांग्रेस को लेकर भी अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 03:33 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 09:29 AM (IST)
ओमप्रकाश चौटाला ने तीसरे मोर्चे के गठन के लिए किए प्रयास तेज, पर आसान नहीं इसकी राह
हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला ने भले ही तीसरे मोर्चे के गठन के प्रयास तेज कर दिए, लेकिन तीसरे मोर्चे के गठन की राह इतनी आसान नहीं है। तीसरे मोर्चे में कांग्रेस को शामिल करने अथवा नहीं करने को लेकर सबसे बड़ा असमंजस रहने की संभावना है। हालांकि चौटाला ने कांग्रेस के सामने ऐसा प्रस्ताव रखा है। मोर्चा अगर बन भी गया तो इसके नेतृत्व को लेकर मोर्चे के नेताओं में आपसी जंग छिड़ना तय है।

जेबीटी शिक्षक भर्ती मामले में 10 साल की सजा पूरी कर लौटे इनेलो प्रमुख ने आते ही तीसरे मोर्चे की नींव डालने के प्रयास शुरू कर दिए थे। पिछले दिनों उनके गुरुग्राम आवास पर जनता दल (यू) के महासचिव केसी त्यागी ने मुलाकात की। तब चौटाला और त्यागी के बीच करीब दो घंटे तक लंबी मंत्रणा हुई और दोनों ने भोजन भी एक साथ किया। त्यागी से हुई इस मुलाकात के बाद चौटाला ने तीसरे मोर्चे के गठन के अपने प्रयासों को एक प्रेस कान्फ्रेंस के जरिये जग जाहिर कर दिया। ऐसे ही प्रयास पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (बादल) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल कर रहे हैं।

सुखबीर बादल ने तीसरे मोर्चे के गठन को सिरे चढ़ाने के लिए करीब आधा दर्जन नेताओं से मुलाकात का दावा भी किया है। हालांकि बड़े बादल और चौटाला के बीच पुरानी दोस्ती है, लेकिन 94 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल पिछले काफी समय से सक्रिय राजनीति में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। इसके बावजूद 87 वर्षीय ओमप्रकाश चौटाला को उम्मीद है कि तीसरे मोर्चे के गठन पर प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर बादल साथ हैं। इनेलो प्रमुख की एक अगस्त को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मुलाकात होने वाली है। केसी त्यागी इस मुलाकात के सूत्रधार हैं।

त्यागी जब चौटाला के गुरुग्राम आवास पर मिलने आए थे, तब उन्होंने नीतीश कुमार की चौटाला से बात भी कराई थी। उसी बातचीत के दौरान नीतीश ने चौटाला के साथ लंच करने का न्यौता स्वीकार कर लिया था। अब राजनीति के दोनों दिग्गजों की इस मुलाकात पर तीसरे मोर्चे के प्रारूप का भविष्य निर्भर है। चौटाला पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ भी अपने अच्छे संबंध बताते हैं। अपने ऐसे ही संबंध भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी होने का दावा करते हैं। अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी की दो दिन पहले ही दिल्ली में मुलाकात हुई है।चौटाला और बादल परिवार में भले ही पारिवारिक व राजनीतिक रिश्ते हैं, लेकिन जब तीसरे मोर्चे के गठन का श्रेय लेने की बात आएगी तो सुखबीर बादल नहीं चाहेंगे कि इसका पूरा श्रेय ओमप्रकाश चौटाला को मिले।

शरद यादव पर स्थिति साफ नहीं

चौटाला और बादल परिवार के रिश्ते नीतीश कुमार के साथ-साथ चंद्रबाबू नायडू के साथ भी हैं। शरद पवार की इच्छा तीसरे मोर्चे के गठन की है। शरद यादव को लेकर अभी किसी ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। हालांकि चौटाला ने कांग्रेस को तीसरे माेर्चे में शामिल होने का न्योता दिया है। तीसरे मोर्चे का मतलब भाजपा व कांग्रेस के विरुद्ध मोर्चेबंदी है, लेकिन इस तरह के दावे भी किए जा रहे हैं कि यदि कांग्रेस को तीसरे मोर्चे के किसी नेता का नेतृत्व स्वीकार होगा तो वह इसमें शामिल हो सकती है। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी या राहुल गांधी कोई अन्य नेतृत्व स्वीकार करेंगे, इसकी संभावना बहुत कम है।

सपा-बसपा के बीच राजनीतिक दूरियां मिटाना मुश्किल

बसपा अध्यक्ष मायावती व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव तथा उनके बेटे अखिलेश यादव हालांकि तीसरे मोर्चे के हक में हैं, लेकिन जिस तरह से बसपा और सपा के बीच राजनीतिक दूरियां बनी हुई हैं, उन्हें मायावती और अखिलेश यादव स्वीकार कर भी पाते हैं या नहीं, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है। कुल मिलाकर भाजपा के विरुद्ध बनने वाले संभावित तीसरे मोर्चे की राह इतनी आसान दिखाई नहीं दे रही है, जितना कि दावा किया जा रहा है। इसमें सबसे बड़ा संकट नेतृत्व का ही रहने वाला है।

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