ताऊ की वेबसाइट: ओमप्रकाश चौटाला को मूल से ज्यादा सूद पर गुस्सा, पढ़े हरियाणा राजनीति की और भी खबरें

हरियाणा में आजकल राजनीति खूब गरमाई हुई है। ओमप्रकाश चौटाला सजा पूरी कर बाहर आ गए हैं। अब वह पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। वहीं कांग्रेस में अंदर की राजनीति गरमाई हुई है। आइए साप्ताहिक कालम ताऊ की वेबसाइट में हरियाणा राजनीति की खबरों पर नजर डालते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 09 Jul 2021 10:02 AM (IST) Updated:Fri, 09 Jul 2021 01:14 PM (IST)
ताऊ की वेबसाइट: ओमप्रकाश चौटाला को मूल से ज्यादा सूद पर गुस्सा, पढ़े हरियाणा राजनीति की और भी खबरें
इनेलो नेता ओमप्रकाश चौटाला की फाइल फोटो।

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। मूल से ज्यादा सूद प्यारा होता है। हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला भी इसके अपवाद नहीं थे, लेकिन अब स्थितियां बदल चुकी हैं। अब उन्हेंं मूल के एक अंश से प्यार है तो दूसरे से विरोध। सूद के साथ भी यही है। वह अजय और उनके बेटों के विरोध में हैं तो अभय और उनके बेटे बुजुर्गवार की आंखों के तारे हैं। चौधरी ओमप्रकाश चौटाला जेल से रिहा होने के बाद जब अपने पिता स्व. देवीलाल के समाधि स्थल पर गए तो वहां मीडिया वालों ने उनसे करारे-करारे सवाल कर डाले। चौटाला ठहरे राजनीति के भीष्म पितामह। तब उन्होंने वार करते हुए यह नहीं देखा कि सामने उनके पोते हैं या जजपा के नेता। चौटाला बोले कि आने वाला समय बताएगा कि कौन कहां ठहरता है। यह बात अलग है कि दुष्यंत और दिग्विजय अपने दादा की कही गई किसी बात का बुरा नहीं मानते हैं।

वो भी क्या दिन थे, जब हम भाई बहन थे

कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्षा कुमारी सैलजा कहने के लिए तो हुड्डा को अपना भाई कहती हैं, लेकिन हुड्डा और उनके समर्थक कुमारी सैलजा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने के लिए लामबंद हैं। हटा पाएं या नहीं, यह अलग बात है। जब सैलजा को कांग्रेसी भाइयों ने निशाना बनाया तो ढाल बनकर उनके भाजपाई भाई ओमप्रकाश धनखड़ मैदान में आ गए। बोले- सैलजा अनुसूचित जाति से आती हैं। संवेदनशील नेता हैं। उन्हेंं हुड्डा काम नहीं करने दे रहे। हुड्डा अनुसूचित जाति से आने वाले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर को भी कांग्रेस से बाहर निकलवा चुके। भाजपाई अपने अध्यक्ष की बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि जब सोलह वर्ष पहले सैलजा के सपोर्ट से हुड्डा मुख्यमंत्री बने थे तो गाते थे- एक हजारों में मेरी बहना है, सारी उमर हमको संग रहना है, लेकिन अब हुड्डा और उनके समर्थक गा रहे हैं हमको सैलजा के साथ नहीं रहना है।

न मिला हाथ तो दीजिएगा साथ

पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन एक बार फिर राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार हैं। वह पंचकूला या कालका से विधानसभा चुनाव लडऩा चाहते हैं। हुड्डा और सैलजा के बीच चल रही आपसी तनातनी में उनको आशंका है कि कहीं कांग्रेस का हाथ उनके सिर से हट न जाए। इसलिए वह अपने को राजनीतिक रूप से मजबूत करने के लिए प्रयासरत हैं। राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो चंद्रमोहन विशुद्ध रूप से जनता के आदमी हैं। यह जनता के प्यार का ही असर है कि चंद्रमोहन की कमजोरियों को भी वह नजरअंदाज कर देती है। हाल ही में चंद्रमोहन की गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से अंबाला में मुलाकात हुई। विज से चंद्रमोहन की मुलाकात को राजनीतिक आशीर्वाद की आकांक्षा भी माना जा रहा है। वैसे भी यदि किसी को हाथ का साथ न मिले तो कमल का फूल भी बेहतर आप्शन हो सकता है।

भाई साहब, गुड मार्निग 

हरियाणा कांग्रेस में किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई और कैप्टन अजय यादव, तीन ऐसे नेता हैं, जिनका अपना भी जनाधार है। कैप्टन अजय बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव के समधी हैं तो किरण दिल्ली की विधानसभा की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। गैर जाट नेता के रूप में कुलदीप बिश्नोई की पहचान राजनीति में भजनलाल के कुल के दीपक के रूप में है। राहुल गांधी की मित्र मंडली में कुलदीप की गिनती होती है। हुड्डा और सैलजा के बीच अभी तनातनी चल रही है। कुलदीप के समर्थक इसका फायदा उठाते हुए कांग्रेस हाईकमान के सामने कुलदीप को गैर जाट नेता के रूप में मौका देने की वकालत कर रहे हैैं। यदि ऐसा हुआ तो उनके हाथ में हरियाणा कांग्रेस की कमान आ सकती है, सो बहुत से कांग्रेसी अब भाई साहब को फोन कर गुड माॄनग बोलने लगे हैं। अगर अध्यक्ष बन गए तो पुराना संबंधों का हवाला तो दे सकेंगे।

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