जींद के रण में रिश्ते तार-तार, दादा ने दुष्यंत-दिग्विजय को बताया गद्दार, दादी ने दे दी ऐसी बददुआ
जींद उपचुनाव से चौटाला परिवार की कलह फिर उभर गई है। अपनी फरलो रद होने के बाद आेमप्रकाश चौटाला पाेतों दुष्यंत व दिग्विजय पर हमलावर हो गए। दादी ने तो कह दिया कि ऐसे बच्चे न हों।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। राजनीति में जहां दुश्मनी के किसी भी पल दोस्ती में बदल जाने की संभावनाएं बरकरार रहती हैं, वहीं इस खेल में कोई किसी का सगा नहीं होता। जींद का रण इसका गवाह है, जिसकी वजह से दादा ओमप्रकाश चौटाला और पोता दुष्यंत चौटाला आमने-सामने हो गए हैं। अोमप्रकाश चौटाला जींद में इनेलो उम्मीदवार उम्मेद सिंह रेढू के हक में प्रचार करने के लिए तिहाड़ जेल से फरलो पर आने की कोशिश में नाकाम रहे। इसके बाद खुद अोपी चौटाला, उनकी पत्नी आैर इनेलो ने दुष्यंत और उनके भाई दिग्विजय चौटाला पर हमला बोल दिया। इस क्रम में शब्दों की सीमाएं और मर्यादाएं टूट गई्ं। दादा ने पोतों को गद्दार बताया तो दादी ने कह दिया कि ऐसे पोते पैदा न हों और हों तो न रहें।
दादा ओमप्रकाश चौटाला और पोता दुष्यंत चौटाला हुए आमने-सामने
जेजेपी उम्मीदवार दिग्विजय सिंह चौटाला को सोमवार को आम आदमी पार्टी द्वारा समर्थन देने के बाद इनेलाे ने ओमप्रकाश चौटाला को जींद लाने की तैयारी की। तिहाड़ जेल से अस्पताल में इलाज कराए आए ओमप्रकाश चौटाला को फरलो पर अाना था। फरलो में उनको किसी राजनीतिक सभा में शामिल होने की मनाही थी। इसी बीच साेमवार शाम बड़े चौटाला की फरलो रद कर दी गई और उनको अस्पताल से तिहाड़ जेल भेज दिया गया। फिर क्या था इनेलो ने सांसद दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला पर हल्ला बाेल दिया। दादा आेमप्रकाश चौटाला ने भी सांसद पोते दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय चौटाला को घेरने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दिया। राजनीति की इस जंग में दादी भी अपने पोतों को भला-बुरा कहती सुनाई दीं।
अब कम होने की बजाय बढ़ती ही जाएंगी चौटाला परिवार की दूरियां
दादा के राजनीतिक वार को पोते दुष्यंत ने चतुराई से काटने की कोशिश तो की, लेकिन इनेलो व जेजेपी की यह लड़ाई सोशल मीडिया पर तार-तार होते पारिवारिक रिश्तों की कहानी कह रही है। इनेलो नेताओं का मानना है कि दिल्ली सरकार को प्रभाव में लेकर जेजेपी नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की फरलो रद कराई। इस पर सांसद दुष्यंत चौटाला ने भी सफाई दी कि यदि ऐसा संभव होता तो वह अपने पिता डाॅ. अजय चौटाला को फरलो पर बाहर ले आते और जींद में चुनाव प्रचार करवाते। दुष्यंत बोले, हम किसी की फरलो रद नहीं करवा सकते।
दादी स्नेहलता ने दोनों पाेतों को जमकर सुनाई खरी-खोटी
इस जंग में दुष्यंत और दिग्विजय की दादी व आेमप्रकाश चौटाला की पत्नी स्नेहलता भी कूद पड़ीं। बीमार होने के कारण अस्पताल में भर्ती स्नेहलता ने पूरे मामले में दाेनों पोतों दुष्यंत और दिग्विजय को खरी-खोटी सुनाई। उनकी टिप्पणी पारिवारिक तनाव व खटास को स्पष्ट कर दी। उन्होंने दोनों को नालायक बताते हुए बददुआ भी दी। उन्होंने कहा भगवान ऐसे नालायक बच्चे किसी को दें।
स्नेहलता बोलीं- दुष्यंत आैर दिग्विजय जैसे नालायक बच्चे भगवान किसी को न हों और हो जाएं तो रहें नहीं
स्नेहलता ने कहा, 'दुष्यंत और दिग्विजय पता नहीं क्या समझते होंगे। बस दुष्यंत आैर दिग्विजय जैसे नालायक बच्चे किसी को न हों। यदि हों तो रहें नहीं। किसी के एेसे बच्चे हो गए तो उसका सत्यानाश ही है। हमारा तो इन्होंने कर दिया। स्नेहलता ने कहा, मैं मर जाऊं तो वे मेरी अर्थी को भी हाथ न लगाएं और मुझे देखने भी नहीं आएं।' ओमप्रकाश चौटाला की फरलो रद करने को लेकर उन्होंने कहा, यह सबको पता है कि यह इन्होंने ही कराई है। गोहाना में भी धक्का मुक्कीउन्होंने ही कराई थी। वे ताे चाहते थे दादा के हाथ-पैर टूट जाएं।
दुष्यंत चौटाला बोले, फरलो देना व रद करना दिल्ली पुलिस के अधिकार क्षेत्र में
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि इनेलो का आरोप बेबुनियाद है। यह उसकी हताशा और जींद उपचुनाव में तय हो चुकी हार को दर्शाता है। किसी की फरलो हम कैसे रुकवा सकते हैं, यह तो पूरी तरह दिल्ली पुलिस के अधिकार क्षेत्र में है। उन्होंने कहा, हमारी जानकारी के अनुसार दादा को इस शर्त के साथ फरलो मंजूर हुई थी कि वह कोई राजनीतिक गतिविधि या चुनाव प्रचार हरगिज नहीं करेंगे। संभव है इस शर्त की वजह से उन लोगों ने खुद ही छुट्टी रद करा दी हो। शर्त वाली फरलो मिलने का आदेश तो मीडिया में है, लेकिन रद होने का आदेश कहीं नहीं है। इससे तो यही लगता है कि फरलो रद हुई नहीं, खुद कराई गई है।
दरअसल, चौटाला परिवार की इस जंग के अब किसी सूरत में थमने की संभावना नहीं रह गई। अब अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला के बीच यह जंग और बढ़ेगी। गोहाना रैली में हुड़दंग के आरोप लगाते हुए पहले दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला तथा बाद में अजय चौटाला को पार्टी से निकाला गया। फिर जींद की धरती पर जननायक जनता पार्टी का गठन हुआ।
दुष्यंत चौटाला ने जींद के रण में अपने भाई दिग्विजय को उतारकर दूसरे दलों की मुश्किलें बढ़ा दीं। कांग्रेस से रणदीप सुरजेवाला यदि उम्मीदवार नहीं होते तो अभय सिंह चौटाला अपने बेटे अर्जुन चौटाला को मैदान में उतारते। बदली राजनीतिक परिस्थितियों में पार्टी ने कंडेला खाप से ताल्लुक रखने वाले उम्मेद सिंह रेढू को टिकट थमाया। परिवार की यह सारी जंग अब इनेलो व जेजेपी की हार-जीत के प्रयासों से जुड़ी है।
अभय चौटाला अपनी पार्टी के उम्मीदवार के हक में लगातार प्रचार कर रहे हैं। इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा और पूर्व सीपीएस रामपाल माजरा समेत तमाम पार्टी नेता जींद में डेरा डाले हुए हैं। जेजेपी की तरफ से दुष्यंत और नैना चौटाला ने मोर्चा संभाल रखा है। इनेलो ने ओमप्रकाश चौटाला को भी जींद के रण में बुलाने के प्रयास किए, जो फेल हो गए।
इससे आहत ओमप्रकाश चौटाला ने अपने पोते समेत अन्य नेताओं का नाम लिए बगैर उन्हें गद्दार तक कह दिया, लेकिन दुष्यंत चौटाला ने यह कहते हुए सारी बात पर मिट्टी डाल दी कि यदि फरलो रुकवाना या दिलवाना हमारे वश में होता तो हम इसे अपने हक में इस्तेमाल करते।
दादा पोते की यह राजनीतिक जंग जींद ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा में चर्चा का विषय बनी हुई है। इस जंग का जींद के रण में किस तरह से असर दिखाई देगा, यह 31 जनवरी को चुनाव नतीजों के बाद ही पता चल सकेगा। बहरहाल, इतना तय है कि अब दूरियां कम होने की बजाय बढ़ती ही जाएंगी।