हरियाणा में अब आंदाेलन के दौरान उपद्रव पड़ेगा भारी, नुकसान भरपाई विधेयक पर राज्यपाल की मुहर

हरियाणा में अब आंदोलनों के दौरान उपद्रव और तोड़फोड़ बहुत महंगा पड़ेगा। इससे हुए नुकसान की भरपाई अब आंदोलनकारियों से की जाएगी। इस संबंध में हरियाणा विधानसभा में पारित विधेयक को राज्‍यपाल ने भी मंजूरी दे दी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Fri, 02 Apr 2021 08:08 AM (IST) Updated:Fri, 02 Apr 2021 08:08 AM (IST)
हरियाणा में अब आंदाेलन के दौरान उपद्रव पड़ेगा भारी, नुकसान भरपाई विधेयक पर राज्यपाल की मुहर
हरियाणा में आंदोलन में तोड़़फोड़ अब महंगी पड़ेगी। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में अब आंदोलनों के दौरान उपद्रव और तोड़फोड़ महंगी पड़ेगी। अब इससे हुए नुकसान की भरपाई आंदोलनकारियों से होगी। यह कानून अब लागू हो गया है। हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में पारित हरियाणा लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान क्षति वसूली विधेयक, 2021 को राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने मंजूरी दे दी है। आंदोलनों के दौरान हुए नुकसान के मुआवजे के आवेदन पर फैसला लेने के लिए प्रदेश सरकार एक या एक से अधिक दावा अधिकरण (क्लेम ट्रिब्यूनल) का गठन करेगी।

विधानसभा में पारित हरियाणा लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान क्षति वसूली विधेयक को मिली मंजूरी

क्लेम ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता हरियाणा सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विसेज के एक अधिकारी द्वारा की जाएगी। इसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से नामित किया जाएगा। क्लेम ट्रिब्यूनल में दो या दो से अधिक सदस्य हो सकते हैं। ट्रिब्यूनल के अन्य सदस्य राज्य सरकार के अधिकारियों में से होंगे, जो अतिरिक्त उपायुक्त के रैंक से नीचे नहीं होंगे। ट्रिब्यूनल नुकसान के मामलों में देयता का निर्धारण करेगा। साथ ही उसके पास भेजे गए मुआवजे के दावों का आंकलन करेगा और मुआवजा निर्धारित करेगा। उसके बाद मुआवजे का अवार्ड किया जाएगा।

पंचायत चुनाव के लिए सरकार ने हाई कोर्ट से मांगा दो महीने का समय

हरियाणा में पंचायत चुनाव कराने के लिए निर्देश देने की मांग की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान बेंच ने तय किया कि पंचायत चुनाव से संबंधित सभी याचिका पर एक साथ सुनवाई की जाए। हरियाणा राज्य चुनाव आयोग के वकील अनिरूद सिंह ने बताया कि पंचायत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने राज्य चुनाव आयोग को 22 मार्च को एक पत्र लिख कर वार्डबंदी व आरक्षण तय करने के लिए दो महीने और उसके बाद अन्य तैयारी के लिए एक महीने का समय लगने की बात कही है।

सरकार की वार्डबंदी व अन्य काम के बाद ही राज्य चुनाव आयोग चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। सभी पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने इस मामले को पंचायत चुनाव से संबंधित अन्य याचिका के साथ सुनवाई के लिए तय करते हुए मामले की सुनवाई 20 अप्रैल तक स्थगित कर दी। इस मामले में जिला जींद के देवेंद्र सिंह व अन्य ने याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 ई के प्रावधानों के अनुसार चुनाव कराने के लिए अधिसूचना जारी करने के लिए राज्य को निर्देश देने की मांग की है।

याचिकाकर्ताओं ने ग्राम पंचायतों के मामलों को चलाने के लिए प्रशासकों की नियुक्ति के राज्य सरकार के फैसले पर भी आपत्ति जताई है।याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट को बताया कि हरियाणा में ग्राम पंचायतों का चुनाव जनवरी 2016 में हुआ था और इस तरह से ग्राम पंचायत का चुनाव 23 फरवरी या पंचायत के कार्यकाल की समाप्ति से पहले पूरा किया जाना था। हालांकि राज्य, पंचायतों के कार्यकाल की समाप्ति से पहले चुनाव की प्रक्रिया को पूरा करने में विफल रहा।

सरकार ने संविधान व जनादेश के खिलाफ प्रशासक नियुक्त कर दिए।हाई कोर्ट को जानकारी दी गई कि ग्राम पंचायत स्थानीय प्रशासन या स्व-शासन के मॉडल का एक अनिवार्य हिस्सा है। निर्धारित समय के भीतर चुनाव न कराने और राज्य द्वारा प्रशासक नियुक्त करने के आदेश सरकार की मनमानी को दिखाता है।

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