अब हरियाणा में मनमर्जी से सेवा नियम नहीं बदल सकेंगे बोर्ड-निगम और सरकारी संस्थान
Haryana Service Rules हरियाणा में अब बोर्ड निगम और सरकारी संस्थान सेवा नियमों में मनमर्जी से बदाल नहीं कर सकेंगे। राज्य सरकार ने इनके लिए माडल सर्विस रुल्स को अनिवार्य कर दिया है। इसमें संशोधन के लिए अब मुख्यमंत्री की मंजूरी जरूरी होगी।
चंडीगढ़ , राज्य ब्यूराे। हरियाणा में बोर्ड-निगम और सरकारी संस्थान व महकमे अब मनमर्जी से सेवा नियम नहीं बना पाएंगे। सभी प्रशासनिक सचिवों से कहा गया है कि वे माडल सर्विस रूल के अनुसार ही सेवा नियमों में संशोधन करें। इसके लिए मुख्यमंत्री से भी मंजूरी लेनी जरूरी है। वहीं, अदालतों में चल रहे विभिन्न मामलों में विभागाध्यक्षों को प्रतिवादी के रूप में मुख्य सचिव का नाम हटाने की हिदायत दी गई है।
माडल सर्विस रूल का अनुसरण जरूरी, संशोधन के लिए मुख्यमंत्री की मंजूरी जरूरी
मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से जारी निर्देशों के मुताबिक सरकारी महकमों, बोर्ड-निगमों, विश्वविद्यालयों और सरकारी संस्थानों द्वारा भेजे गए सेवा नियमों में बदलाव के प्रस्ताव अमूमन आधे-अधूरे होते हैं। न ही इनमें माडल सर्विस रूल्स का पालन किया जाता है। इसलिए सभी प्रशासनिक अधिकारी प्रस्ताव भेजते समय सुनिश्चित करेंगे कि ड्राफ्ट सर्विस रूल्स माडल के अनुसार हो।
अदालतों में चल रहे विभिन्न मामलों में मुख्य सचिव का नाम प्रतिवादी से हटाने का निर्देश
मुख्यमंत्री की स्वीकृति हो और रूल्स का प्रस्ताव हिंदी व अंग्रेजी दोनों में होना चाहिए। साथ में पुराने नियमों की प्रति भी संलग्न होनी चाहिए। दस्तावेजों की दो कापी अटैच करते हुए तुलनात्मक टेबल भी बनानी होगी। अगर इसमें कोई भी कमी निकली तो सेवा नियमों में संशोधन के प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जाएगा।
मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से जारी एक अन्य आदेश के अनुसार अदालती मामलों में अगर प्रतिवादी से नाम नहीं हटवाया तो संबंधित अफसरों पर कार्रवाई की जाएगी। अमूमन प्रदेश सरकार से जुड़े किसी भी मामले में कोई याचिका दायर की जाती है तो मुख्य सचिव को प्रतिवादी बनाया जाता है। वह भी तब जब याचिकाकर्ता मुख्य सचिव से कोई राहत नहीं मांगते हैं। इसलिए जिन याचिकाओं में फैसला मुख्य सचिव के स्तर पर नहीं होना है, उनमें प्रतिवादी विभाग को अदालत के सामने आग्रह करके मुख्य सचिव का नाम प्रतिवादी के तौर पर हटाया जाना चाहिए।
वर्ष 2014 और 2017 में आदेश दिए जाने के बावजूद अदालतों में बहुत सारे मामले लंबित हैं जिनमें मुख्य सचिव का पार्टी बनाया हुआ है। संबंधित महकमों की ओर से अदालत में न तो कभी संयुक्त जवाब दायर किए गए और न ही प्रतिवादी विभाग ने मुख्य सचिव का नाम हटवाने के लिए कोई प्रयास किए। सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिया है कि हर हाल में गैरजरूरी मामलों में मुख्य सचिव का नाम हटवाया जाए। अन्यथा संबंधित अफसरों से जवाब तलबी की जाएगी।