जोगिया सब जानता है: मानवता के दुश्मनों की वकालत कतई नहीं, भ्रष्टतंत्र को लगा करंट, पढ़ें हरियाणा की अंदर की खबरें

आपदा के समय में हरियाणा में कालाबाजारी करने वालों का कोई भी केस वकील नहीं लड़ेंगे। यह घोषणा हिसार जिला बार एसोसिएशन ने की है। आइए राज्य के साप्ताहिक कॉलम जोगिया सब जानता है में नजर डालते हैं कुछ ऐसी ही खबरों पर...

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 05:03 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 05:03 PM (IST)
जोगिया सब जानता है: मानवता के दुश्मनों की वकालत कतई नहीं, भ्रष्टतंत्र को लगा करंट, पढ़ें हरियाणा की अंदर की खबरें
हिसार बार एसोसिएशन की तर्ज पर निर्णय लेते हुए फरीदाबाद बार के सदस्य वकील शिवदत्त वशिष्ठ व अन्य ।जागरण

नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। इस आपदा काल को भी मानवता के दुश्मन अवसर बना रहे हैं। कोरोना संक्रमितों के इलाज में काम आने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन की कालाबाजारी चरम पर है। प्रशासन की समस्या यह है कि आवश्यक वस्तु सेवा अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज मुकदमे में कालाबाजारी करने वालों को जमानत आसानी से मिल जाती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होने वाला। मानवता के दुश्मनों के विरोध में वकील भी आ गए हैं। आएं भी क्यों न। वे सजग व सचेत नागरिक जो हैं। सामाजिक जिम्मेदारियां समझते हैं। सो, हिसार जिला बार एसोसिएशन के प्रधान मनदीप बिश्नोई ने घोषणा कर दी कि उनकी एसोसिएशन का कोई सदस्य कालाबाजारी करने वालों की पैरवी नहीं करेगा। यह संदेश प्रदेश की हर बार एसोसिएशन तक पहुंच चुका है।हर जगह वकील कालाबाजारी करने वालों की वकालत नहीं करने का फैसला ले रहे हैं।

कफन में जेब नहीं होती साहब

कोरोना संक्रमण के बढ़ते कहर से स्वास्थ्य सेवाएं एक तरह से ठप हो गई हैं। इसके चलते जो लोग कोरोना संक्रमण के प्रति लापरवाही बरतते थे, उन्हें भी अब दिन में तारे नजर आ रहे हैं। लोगों को समझ आ गया है कि यदि संक्रमण हुआ तो फिर इसका इलाज भी आसान नहीं है, क्योंकि इलाज के लिए किसी अस्पताल में स्वास्थ्य संसाधन बकाया ही नहीं बचे हैं, इसलिए बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने तो अब लाकडाउन जैसा कदम उठाया है मगर कुछ जागरूक उद्यमियों व व्यापारियों ने तो खुद ही स्वेच्छा से अपने संस्थानों में शटडाउन की घोषणा कर दी थी। इन संस्थानों के स्वेच्छा से शटडाउन के बाद भी कुछ व्यापारी और उद्यमी ऐसे दिखाई दिए, जिन्होंने अपनी कमाई के कारण शटडाउन लागू रहते भी अपने संस्थान खोले रखे। इस दौरान व्यापारी संगठन के नेताओं ने उनसे यही कहा कि कफन में जेब नहीं होती।

जेलों के भ्रष्टतंत्र को लगा करंट

जेलों में भी भ्रष्टतंत्र हावी है। फरीदाबाद, गुरुग्राम सहित राज्य की बड़ी जेलों में पोस्टिंग पाने के लिए कुछ जेल अधीक्षकों के नाम ही अंगुलियों पर आते हैं। घूम-फिरकर ये जेल अधीक्षक बड़ी जेलों में आ जाते हैं, इसलिए कैदी भी इनके कहर के चंगुल से बाहर नहीं आ पाते। सरकार ने लाख प्रयास कर लिए कि जेलों में कैदियों को मोबाइल फोन की सुविधा नहीं मिले, मगर जब कभी जेल में किसी बड़े अधिकारी का छापा पड़ता है तो कैदियों से बड़ी संख्या में मोबाइल फोन बरामद होते हैं। जेल के अंदर से आपराधिक गिरोह संचालित होते हैं। इन शिकायतों को दूर करने के लिए सरकार ने जेल महानिदेशक के पद पर ईमानदार पुलिस अधिकारी के पर्याय माने जाने वाले आइपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर को नियुक्त किया है। वैसे जब से कपूर के इस पद पर आर्डर हुए हैं तब से जेलों के भ्रष्टतंत्र को करंट लग गया है।

विपक्ष की भी अपनी जिम्मेदारी

लोकतांत्रिक प्रणाली में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की भूमिका जनहित में अहम मानी गई है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जब सत्तापक्ष ने विपक्ष के सहयोग से राष्ट्रीय आपदा-विपदा का निवारण किया है। कोरोना संक्रमणकाल में सत्तापक्ष के चुने हुए प्रतिनिधि भी शासन-प्रशासन की खामियों को उजागर कर रहे हैं। गुरुग्राम पहुंच मुख्यमंत्री मनोहर लाल के समक्ष भाजपा के सुधीर सिंगला सहित तीन विधायकों ने इलाज में हो रही खामियों की वस्तुस्थिति रखी। अब बताने वाले तो यह भी बता रहे हैं कि सुधीर सिंगला का जो रूप था, उसमें चुने हुए जनप्रतिनिधि की व्यथा झलकती थी। मगर इन्हें भी यह अफसोस था कि अब इस आपदा के समय में विपक्ष कहां है? वैसे विपक्ष के विधायक नीरज शर्मा ने भी पहले जहां एक विधायक को मिले 13 सिलेंडर और कालाबाजारी के लिए रखे गए 50 सिलेंडर का मामला उजागर किया है। हालांकि इससे सत्तापक्ष के नेता नाराज हो गए हैं। 

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