हरियाणा में कोयले की किल्लत से नौ बिजली प्लांट बंद, सरकार ने कहा- चिंता की बात नहीं, कारपेट कोयले से होगा उत्पादन

हरियाणा में कोयले का संकट पैदा हो गया है। इसका असर बिजली उत्पादन पर पड़ा है। हालांकि सरकार का कहना है कि लोगों को परेशानी आने नहीं देंगे। प्रदेश में कारपेट कोयले से बिजली उत्पादन होता रहेगा ।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 06:49 AM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 06:56 AM (IST)
हरियाणा में कोयले की किल्लत से नौ बिजली प्लांट बंद, सरकार ने कहा- चिंता की बात नहीं, कारपेट कोयले से होगा उत्पादन
हरियाणा में कोयले की कमी से बिजली उत्पादन प्रभावित। सांकेतिक फोटो

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। देश भर में चल रही कोयले की किल्लत का हाल-फिलहाल हरियाणा की बिजली उत्पादन इकाइयों पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ने वाला है। प्रदेश की बिजली उत्पादन इकाइयों के पास पांच से सात दिन का कोयला मौजूद है। यह कोयला रुटीन के बजाय आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल किया जाता है और इसे कारपेट कोयला कहते हैं। कोयला खदानों में पानी भरा होने की वजह से देश भर में कोयले का संकट पैदा हुआ है। हरियाणा को उम्मीद है कि अगले पांच से सात दिन में कोयला खदानों से यह पानी सूख जाएगा और कोयले की सप्लाई सुचारू हो जायेगी। तब तक राज्य में बिजली उत्पादन बाधित नहीं होगा।

हरियाणा अपनी खुद की बिजली बनाने के बजाय खरीदने में अधिक भरोसा करता है। प्रदेश यदि बिजली पैदा करे तो उसका खर्च अधिक आता है, जबकि मार्केट में सस्ती बिजली उपलब्ध है। हरियाणा विद्युत उत्पादन निगम (एचपीजीसीएल) प्रदेश की कुल जरूरत का मात्र 19.76 फीसद बिजली उत्पादन करता है। यह 2582.40 मेगवाट बिजली है। इसमें 72.42 मेगावाट बिजली हाइडिल से बनती है। बाकी 2510 मेगावाट बिजली कोयले से चलते वाले प्लांट से बनती है। लेकिन प्रदेश के अधिकतर कोयला आधारित बिजली प्लांट हाल-फिलहाल बंद पड़े हैं, क्योंकि उन्हें चलाने का खर्च ज्यादा आता है।

हरियाणा में बंद प्लांट की संख्या नौ है, जबकि कोयला आधारित चल रहे प्लांट तीन हैं। पानीपत में छह प्लांट पूरी तरह से बंद हैं, जबकि तीन प्लांट चालू हालत में हैं। इनमें चालूत हालत के प्लांट में भी सात और आठ नंबर प्लांट 250-250 मेगावाट क्षमता के हैं और दोनों अभी बंद हैं। 210 मेगावाट क्षमता का प्लांट नंबर छह चालू है। यमुनानगर के 300-300 मेगावाट क्षमता के दोनों प्लांट चालू हालत में हैं मगर फिलहाल बंद हैं। इसी तरह खेदड़ में 600-600 मेगावाट क्षमता के दो प्लांट हैं, लेकिन एक प्लांट चालू है और एक बंद कर रखा है।

झज्जर स्थित महात्मा गांधी पावर प्लांट की जमीन हरियाणा की है और उत्पादन निजी कंपनी करती है। लिहाजा इस प्लांट से हरियाणा को 1198 मेगावाट बिजली मिलती है। इसी तरह झाड़ली के प्लांट में केंद्र व हरियाणा की समान हिस्सेदारी है। हरियाणा को यहां से 589.5 मेगावाट बिजली मिलती है। हरियाणा को 7.05 फीसद यानी 846.14 मेगावाट बिजली भाखड़ा ब्याज मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) से मिलती है। केंद्र सरकार से 25.25 फीसद यानी 3027.66 मेगावाट बिजली हरियाणा को दी जाती है। सबसे अधिक 47.98 फीसद बिजली हरियाणा प्राइवेट कंपनियों से खरीदता है। यह 5762.20 मेगावाट बिजली बनती है, जो बाहर से खरीदी जा रही है। इसमें भी अकेले अडानी ग्रुप से 1414 मेगावाट बिजली की खरीद होती है। इसलिए हरियाणा कोयले की कमी की वजह से डेंजर जोन से बिल्कुल बाहर है।

अगर अडानी ग्रुप समेत अन्य प्राइवेट प्लेयर का उत्पादन प्रभावित होता है तो जरूर हरियाणा को थोड़ी बहुत परेशानी झेलनी पड़ सकती है। बाक्स प्रदेश में मांग से ज्यादा उपलब्ध बिजली हरियाणा में फिलहाल 6959 मेगावाट बिजली की मांग है, जबकि उपलब्धता 7040 मेगावाट की है। राज्य की नौ बिजली उत्पादन इकाइयों के बंद होने के बावजूद यहां बिजली संकट नहीं है। प्रदेश की बिजली उत्पादन इकाइयों को 12 रैक कोयले की जरूरत है। एक रैक में करीब 3800 टन कोयला होता है। हरियाणा सरकार ने किसी भी विपरीत स्थिति से निपटने के लिए कारपेट कोयले का इस्तेमाल करने की योजना बना रखी है।

देश में कोयले की कमी के चार कारण

1. अर्थव्यवस्था में सुधार आते ही बिजली की मांग काफी बढ़ गई।

2. कोयला खदानों पर ज्यादा बारिश होने से कोयले का उत्पादन प्रभावित हुआ।

3. विदेशों से आने वाले कोयले की कीमत में बढ़ोतरी होना।

4. मानसून की शुरुआत से पहले कोयले का पर्याप्त स्टाक न हो पाना।

लोगों की जरूरत का रखते हैं पूरा ख्याल

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल का कहना है कि राज्य में बिजली का कोई संकट नहीं है। यह बात सही है कि हम बाहर से बिजली खरीदते हैं, लेकिन यह बात भी सही है कि यह बिजली अपने यहां उत्पादन से सस्ती पड़ती है। हम लोगों की मांग को पूरा करने में सक्षम हैं। अब राज्य में बिजली की उपलब्धता लगातार बढ़ती जा रही है। हम लोगों को सस्ती बिजली उपलब्ध करा रहे हैं। आगे भी सरकार से जो बन पड़ेगा, किया जाएगा।

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