हरियाणा में जनप्रतिनिधियों के सम्मान का नया प्रोटोकाल, नाफरमानी करने वाले अफसर नपेंगे
हरियाणा सरकार ने जनप्रतिनिधियों के सम्मान के लिए नए सिरे से प्रोटोकाल जारी किया है। राज्य में अगर अफसरों ने जनप्रतिनिधियों की अनदेखी की तो उन पर कार्रवाई होगी। माननीयों के काम भी वरीयता से निपटाने होंगे ।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में अफसरों को सांसद-विधायकों को पूरा मान-सम्मान देना होगा। माननीयों को तरजीह नहीं देने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हरियाणा सरकार ने नए सिरे से प्रोटोकाल जारी कर अफसरों को चेताया है कि हर हाल में इसका ध्यान रखें। सार्वजनिक कार्यक्रम हो या फिर दफ्तर, माननीयों की अगवानी से लेकर विदाई तक विशेष सम्मान दिया जाए। उनके बताए कामों को वरीयता से निपटाएं। अनिवार्य रूप से उनका फोन रिसीव करें और मीटिंग या दूसरे कार्यक्रमों में व्यस्तता के चलते फोन अटैंड नहीं कर पाने पर काल बैक करें।
हरियाणा में अफसरशाही द्वारा माननीयों की सुनवाई नहीं करने का मुद्दा लंबे समय से उठता रहा है। न केवल विपक्षी दलों, बल्कि सत्तारूढ़ भाजपा और जजपा के सांसद-विधायक मुख्यमंत्री मनोहर लाल से लेकर विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता और हरियाणा भाजपा के प्रभारियों के समक्ष अफसरों द्वारा सुनवाई नहीं करने का मसला उठा चुके हैं। पिछले महीने विधानसभा के बजट सत्र में भी अफसरशाही की मनमानी का मुद्दा खूब गूंजा था। इसके बाद अब हरियाणा सरकार ने नए सिरे से गाइडलाइन जारी की हैं।
मुख्य सचिव दफ्तर की राजनीतिक एवं संसदीय मामले शाखा ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों, उपायुक्तों, बोर्ड-निगमों के प्रबंध निदेशकों, हाई कोर्ट और विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार तथा एसडीएम को लिखित में आदेश दिए हैं। इन अधिकारियों को कहा गया है कि लोकसभा व राज्यसभा सदस्यों के साथ सभी विधायकों को पूरा मान-सम्मान देना होगा। जनप्रतिनिधियों के मोबाइल नंबर जिले के अधिकारियों को अपने फोन में सेव करने होंगे, ताकि वे तुरंत फोन उठा सकें। अगर मीटिंग या किसी कारण से फोन नहीं उठा पा रहे हैं तो मैसेज करके रिप्लाई करें। बाद में समय मिलते ही फोन करें। अगर सांसद या विधायक फोन नहीं उठाते तो उन्हें मैसेज करना होगा।
आदेशों में साफ कहा गया है कि सांसद-विधायक मुख्य सचिव से ऊपर हैं और उन्हें सम्मान देना ही होगा। वह जनहित से जुड़े जो कार्य बताते हैं, उन्हें तुरंत प्रभाव से पूरा किया जाए। अगर किसी कार्य में कोई अड़चन हो तो इसकी जानकारी भी उन्हें दी जाए। इसके अलावा संबंधित सांसद-विधायक के हलके में अगर कोई सरकारी कार्यक्रम है, तो उन्हें अतिथि के रूप में जरूर बुलाया जाए।